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जमकर करो शराब की तस्करी,पकड़े जाने पर जुर्माना देना,यही हो गया है थोक अनुज्ञापियो का काम

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बलिया डॉ विपिन ताडा के समय जो शराब माफिया अपने अवैध व्यापार को कम कर दिये थे ,वो एक बार फिर से कारोबार में तेजी पकड़ाते हुए दिख रहे है । यह दो कारणों से हो रहा है -एक बिहार में शराब बंदी लागू होना व यहां चल रहे पंचायत/मुखिया के चुनाव और दूसरा दीपावली का सन्निकट होना । इस समय दोनों कारणों से बहुत अधिक मुनाफा शराब के अवैध कारोबारियों को हो रहा है । पहले हरियाणा निर्मित शराब व कच्ची शराब का अवैध धंधा हो रहा था लेकिन अब आबकारी कानून के कारण ही यह धंधा थोक अनुज्ञापियो द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है । या यूं कहें कि कुछ अनुज्ञापी बलिया को बिहार भेजने वाले अवैध शराब के कारोबार का हब बना दिये है ।

कैसे हो रहा है कारोबार

जिले में अंग्रेजी शराब हो या देशी इसके लिये कई थोक अनुज्ञापियो को आबकारी विभाग से थोक व्यापार करने के लिये लाइसेंस मिला हुआ है । इनका काम जनपद भर के फुटकर अनुज्ञापियो को उनके ऑर्डर पर भुगतान लेकर उनकी दुकानों तक अंग्रेजी/ देशी को परिवहन के माध्यम से भेजना है । इसके अतिरिक्त ये एक शीशी या पाउच किसी को नही बेच सकते है ।

लेकिन हो यह रहा है कि थोक अनुज्ञापियो द्वारा ही फर्जी तरीके से किसी भी दुकानदार के नाम पर बिल काटकर अवैध कारोबारियों को शराब सौप दी जा रही है । अगर यह शराब पकड़ी भी जा रही है तो वाहन चालक जेल जाएगा और जिस थोक अनुज्ञापी के यहां से माल निकला है, उसके ऊपर आबकारी विभाग जुर्माना ठोकर वसूली करके सम्बंधित को हिदायत देकर छोड़ देगा ।

जब इस गोरखधंधे के सम्बंध में जिला आबकारी अधिकारी बलिया से बात की गई तो उनका कहना है कि चूंकि यह शराब ड्यूटी पेड होती है,इस लिये इस पर और जुर्माना लगा कर वसूली करके ऐसे कारोबार को हतोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है । इस आरोप में किसी अनुज्ञापी का लाइसेंस निरस्त नही होता है ।



अधिक राजस्व की वसूली का लक्ष्य इस धंधे के लिये शुभ

एक तरफ सरकार  मद्य निषेध कार्यक्रम चलाती है , तो दूसरी तरफ प्रत्येक जिले के वार्षिक लक्ष्य में कम से कम 25 प्रतिशत तक अधिक शराब बिक्री का लक्ष्य निर्धारित करके अधिकारियों पर लक्ष्य के अनुरूप राजस्व की वसूली का दबाव भी बनाती है । ऐसे में थोक गोदामो से होने वाले अवैध कारोबार से मजबूरन अधिकारियों को अपनी आंखें हटानी पड़ती है और इससे अधिकारियों को दो फायदे होते है -एक तो सरकारी राजस्व बढ़ जाता है और दूसरा अच्छा खासा चढ़ावा मिल जाता है ।

अनुज्ञापी बेदरानी का थोक गोदाम काफी चर्चा में

अवैध शराब के कारोबार में लम्बी पूंजी की आवश्यकता होती है । क्योंकि कब अवैध रूप से भेजी गई शराब की खेप पकड़ जाये, कहा नही जा सकता है । ऐसे में इस धंधे में वह सिंडीकेट हावी होता है जिसके पास पूंजी अकूत हो,जिसके सहयोगी बड़ी बड़ी हस्तियां हो । इस मामले में गाजीपुर मोहम्मदाबाद की निवासिनी बेदरानी की फर्म अन्य फर्मो पर काफी भारी है । यही कारण है कि अबतक जो भी बड़ा कंसाइमेन्ट पुलिस ने पकड़ा है, वह सभी बेदरानी के ही गोदाम से निकल कर गया है ।

आबकारी कानून ही ऐसे कारोबारियों की रक्षा करते है । क्योंकि अगर राशन की दुकान का चावल गेंहू या अन्य सामान अगर थोड़ी मात्रा में भी कही पकड़ा जाता है तो दुकान तत्काल निरस्त होती है । लेकिन वही अगर शराब के लाइसेंसी दुकानों से निकली शराब अवैध रूप से कही रखी हुई या ले जाती हुई पायी जाती है तो दुकानदार का लाइसेंस निलम्बित या निरस्त नही होता है बल्कि जुर्माना लगा कर छोड़ दिया जाता है ।

बेदरानी के थोक गोदाम से निकले तीन बड़े कंसाइमेन्ट का पकड़ा जाना यह चीख चीख कर कह रहा है कि जनपद में शराब की अवैध तस्करी का मूल स्रोत यही गोदाम है । बावजूद अगर कोई बड़ी कार्यवाही नही होती है तो निश्चित रूप से आबकारी विभाग पर उंगली उठनी लाजिमी है । आबकारी विभाग का कानून ही अवैध कारोबार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है । अगर दस बार अवैध सप्लाई हो गयी और एक बार माल पकड़ भी गया और जुर्माना लगा, तो इनकी सेहत पर कोई खास असर नही पड़ता है ।

जांच से हो जाएगा खुलासा, अबतक कितनी शराब की हुई तस्करी

जनपद में हो रही अवैध अंग्रेजी व देशी शराब की तस्करी को अगर शासन प्रशासन वास्तव में रोकना चाहता है,मात्र केवल कुछ शराब की खेप को पकड़ कर अपनी स्वयं पीठ थपथपाना नही चाहता है तो सबसे पहले जनपद के सभी थोक अनुज्ञापियो के यहां से फुटकर अनुज्ञापियो के यहां भेजी गई शराब और फुटकर अनुज्ञापियो के यहां पहुंची शराब के बिल और स्टॉक रजिस्टर को अपने कब्जे में लेकर जांच करनी होगी ।

यह जांच, जांच अधिकारियों की आंखों को खोल देगी और साफ साफ दर्शा देगी की कितनी मात्रा में थोक अनुज्ञापियो के यहां से शराब, अवैध कारोबारियों को बेची गयी है । सूत्रों की माने तो थोक अनुज्ञापियो द्वारा  जिन फुटकर अनुज्ञापियो के यहां शराब भेजी गई दर्शायी गयी है उसका आधा भी फुटकर अनुज्ञापियो के स्टॉक रजिस्टर में दर्ज ही नही है या यूं कहें कि थोक गोदाम से निकली शराब जिस फुटकर अनुज्ञापी के लिये चली थी, उसके यहां पहुंची ही नही, सीधे अवैध कारोबारियों के पास पहुंच गई जो उसको बिहार भेज दिये ।

पकड़ने का सबसे आसान तरीका बिक्री पर लगा टैक्स है । अगर किसी फुटकर अनुज्ञापी ने थोक अनुज्ञापी के यहां से ऑर्डर देकर माल मंगवाया है तो उसके पास जो बिल होगी ,उसकी एक प्रति थोक अनुज्ञापी के पास भी होती है और दोनों बिलो में कटा टैक्स और स्टॉक रजिस्टर में दर्ज मात्रा एक होती है । लेकिन जब थोक अनुज्ञापियो द्वारा फर्जी तरीके से किसी फुटकर अनुज्ञापी के नाम पर बिल काटकर शराब को ब्लैक मार्केटिंग की गई होती है तो थोक अनुज्ञापी के स्टॉक रजिस्टर से जितनी शराब आउट हुई रहती है उतनी शराब उस तथाकथित फुटकर अनुज्ञापी के स्टॉक रजिस्टर में दर्ज ही नही होती है । ऐसे में थोक अनुज्ञापी से कड़ाई के साथ पूंछताछ करने पर अवैध शराब के कारोबारियों के नेटवर्क और इसमें शामिल सफेदपोशों का चेहरा बेनकाब हो सकता है ।


व्यापार मंडल के पदाधिकारी ने भी बेदरानी की फर्म पर उठायी है उंगली


 उद्योग व्यापार संगठन के जिलाध्यक्ष त्रिलोकीनाथ गुप्ता ने अपने आवास पर प्रेसवार्ता के माध्यम से बलिया के आबकारी विभाग व प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए आरोप लगाया है कि आबकारी विभाग व जिला प्रशासन की मिलीभगत से शराब के थोक गोदामो से सीधे शराब की तस्करी होती है और इसके लिये छोटे खुदरा लाइसेंसी को परेशानी उठानी पड़ती है । कहा कि दोकटी थाना क्षेत्र में और हल्दी थाना क्षेत्र में पकड़ी गई अवैध शराब से यह बात सबके सामने आयी है ।

कहा कि इन दोनों घटनाओ में एवरेस्ट होटल स्थित बेदरानी के थोक गोदाम से निकली हुई शराब पकड़ी गई थी । इन दोनों घटनाओ में जिन  दो दुकानदारों के नाम से गेटपास/बिल कटा है, दोनों लोगों ने न तो आर्डर दिया था, न ही पैसे ही जमा किये थे ।

बता दे कि जिस डीसीएम से भेजा गया माल हल्दी थाना के रामगढ़ स्टेट बैंक के पास पकड़ा गया था , उसमे कुल पेटी माल गोदाम से निकला था लेकिन हल्दी पुलिस की पकड़ में आया मात्र पेटी । अब न जाने बलिया से रामगढ़ के बीच अवैध कारोबारी है जो इस डीसीएम के माल को लिया । 

इस डीसीएम पर कुल 176 पेटी शराब बेदरानी के गोदाम से 6 अक्टूबर 2021 को 21 बजकर 48 मिनट पर लोड की गई थी लेकिन पुलिस की जांच व जब्ती में मात्र 146 पेटी ही बरामद हुई है । ऐसे में सवाल उठता है कि 30 पेटी शराब को चालक ने किसको दिया ?