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तहसीलदार बैरिया की राय में बापू का अहिंसा का सिद्धांत गलत,गांधी जयंती पर रिवाल्वर संग किया फेसबुक पर पोस्ट



बापू का एक गाल पर थप्पड़ मारने वाले के सामने दूसरा गाल करने के सिद्धांत को तहसीलदार बैरिया ने सोशल मीडिया के पोस्ट के द्वारा बताया गलत,रिवाल्वर दिखाकर मारने की तरफ किया इशारा

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जिस बापू के सम्बंध में यह कहा जाता है कि -

हम उस मां के सपूत हैं जो डरे नहीं अंधियारों से

लाख करो कोशिश तुम डरे नहीं हम हथियारों से

उस बापू के विचारों को अगर कोई अपने पद के गुरुर में गलत ठहराने की कोशिश करता है तो ऐसा लगता है कि कोई दिया सूरज को रोशनी दिखाने की जुर्रत कर रहा हो । ऐसे ही तहसीलदार जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे नौकरशाह ने बापू के वसूलों को अपनी ओछी पोस्ट से झुठलाने का कुत्सित प्रयास किया है , वो भी असलहा का प्रदर्शन करके । अब देखना है बापू के जन्मदिन पर अहिंसा को गलत ठहराने वाले और सोशल मीडिया पर असलहा की नुमाइश करने वाले तहसीलदार बैरिया शिवसागर दुबे पर शासन क्या कार्यवाही करता है । क्योकि अभी कुछ ही दिन हुए असलहा के प्रदर्शन पर एक महिला पुलिस की जवान को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है ।

कोई माने या न माने लेकिन मेरे विचार में आज भले ही गांधी हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन कई 'गोडसे' आज भी इस देश में हैं. देश बापू को याद कर रहा है. उनका पूरा जीवन हमारे लिये एक प्रेरणा है. सत्य, अहिंसा ये हथियार बापू ने ही तो हमें दिये हैं. मगर कई लोग आज बापू के बारे में भला बुरा कहते हैं या उनके खिलाफ इशारों में गलत बयानी उस दिन करते है जिस दिन गांधी जयंती होती है ।

 यह तब और सोचनीय हो जाता है जब कोई सरकारी अधिकारी अपने फेसबुक एकाउंट पर अहिंसा के पुजारी के जन्मदिन पर बापू की सादगी को गलत ठहराते हुए अपने हथियार के साथ हिंसा करने की गलत सोच को गीता का सहारा लेकर सही साबित करने की कोशिश करता है । जी,हां, हम बात कर रहे है बलिया जनपद के बैरिया तहसील के तहसीलदार पंडित शिवसागर दुबे की,जिन्होंने गांधी जयंती पर अपने फेसबुक पोस्ट पर गांधी जी की विचारधारा को गलत ठहराते हुए पोस्ट डाला है । पहले आप इनके पोस्ट पढिये --



फिर साहब अपनी रिवाल्वर को हाथों में लेकर अपनी बात की पुष्टि करते है कि ये बापू नही है जो एक गाल पर थप्पड़ पड़ने पर मारने वाले के सामने दूसरा गाल भी मार खाने के लिये सामने कर दे,यह गांधी जी की मूर्खता थी, ये तो वो है जो मारने वाले को कानून से नही खुद सजाये मौत दे दे । देखिये साहब कैसे रिवाल्वर की नुमाइश कर रहे है ----




तहसीलदार जैसे जिम्मेदार पद पर होने के बाद और जिनकी अदालत वाली कुर्सी के पीछे बापू की फोटो लगी होती है, ऐसा अधिकारी अगर बापू के जन्मदिन पर ही बापू के अहिंसा के सिद्धांत को गलत ठहराते हुए हिंसा को सही ठहराये, ऐसे अधिकारी से न्याय की उम्मीद भी करना बेमानी है । इनके सम्बन्ध में तो ये पंक्तियां ही सटीक है ---

"दो चार दिन की पर्सनालिटी नहीं जो लोग हमें भूला दे,

 उस गब्बर जैसा हूँ जिसका नाम बोलके माँ अपने बच्चे को सुला दे।"

वैसे साहब का यह पहला सोशल मीडिया पोस्ट नही है जिस पर बवाल हुआ है,इसके पहले भी हलचल मचा चुके है ।