जंजीरी मातम के साथ ताजिये के फूल को किया गया कर्बला में दफ्न
इमाम का चेहल्लुम शिया समुदाय ने ज़बरदस्त जंजीरी मातम करे मनाया
बलिया ।। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के छोटे नवासे हज़रत इमाम हुसैन अoस0 व उनके 72 साथियों की अज़ीम शहादत की याद में मनाए जाने वाला चेहल्लुम के मौके पर शिया समुदाय द्वारा ताजिया, दुलदुल, अलम, और अमारीओं के साथ कर्बला पर पहुंचकर बढ़ा दिया गया ।इस मौकें पर अंजुमन हाशममियां के मेम्बरान नें जंजीरी मातम वह सीना ज़नी के साथ ही नौहाख़ानी की।
इससे पूर्व मौलाना हैदर मेहंदी ने मजलिस में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अ0स0 के अमन और इंसानियत के पैग़ाम को मोमेनिन तक पहुंचाते हुए इंसानियत को बचाने के लिए अपने परिवार सहित बहत्तर साथियों की कुर्बानी देकर कर नजीर पेश की । उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन ने जो क़ुर्बानी दी उसके बारे में सब को बताना आज की जरूरत है ।
ताजिये के कर्बला तक पहुंचने से पूर्व शिया मस्जिद में नौजवानों द्वारा जबरदस्त जंजीरी मातम किया गया । जंजीरी मातम करने वालो को शरीर से खून टपकने का भी कोई गम नही था, गम था तो बस यही कि या हुसैन हम नही थे ,हम नही थे ।
इस अवसर पर तबर्रुकात ताज़िया, दुलदुल, अलम, को कर्बला पहुंच कर ठंडा किया गया। इसके पूर्व मजलिस हुई मजलिस मौलाना हैदर मेहन्दी ने सम्बोधित किया।नौहाखानी अन्जुमन हाशिमिया के नौहा खानी पेश किया। बाद सलाम के चेहल्लुम के ताजिए और तबर्रुकात दफ़न किए गए। अलविदाई तक़रीर को मौलाना अली अब्बास ने खिताब किया।