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भाग 2 : डॉ ब्रजेश मिश्र (ब्राह्मण भूमिहार ?) ने लागू किया माध्यमिक में बेसिक शिक्षा की वसूली वाला फंडा



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। बलिया एक्सप्रेस ने अपनी पूर्व घोषित खबर के अनुसार डॉ ब्रजेश मिश्र (भूमिहार या ब्राह्मण ?) की उस नीति का खुलासा कर रहा है, जिसके आधार पर बलिया के माध्यमिक शिक्षकों में हड़कम्प है । इस वसूली नीति का खुलासा करने से पहले यह बता दे कि डॉ ब्रजेश मिश्र मूलरूप से बिहार के निवासी है और ये मैथिली ब्राह्मण है या  भूमिहार चर्चा में है ।इनकी पत्नी जरूर भूमिहार है । वर्तमान में साहब अकूत संपत्ति के मालिक है । साहब के पास प्रयागराज में एक फॉर्म हाउस है जिसमे लगभग 300 गाये रखी गयी है । यही नही प्रयागराज में ही पॉश एरिया में एक आलीशान बंगला भी है । यह भी सूच्य हो कि ये साहब प्रयागराज के बेसिक शिक्षा अधिकारी भी रह चुके है । इनका यहां का कार्यकाल भी काफी चर्चित रहा है । साहब ने अपनी ही कलम से अपनी पत्नी को जूनियर हाई स्कूल में अध्यापिका वेतन सत्यापित कर चुके है जिसकी वर्तमान में जांच चल रही है । जबकि यह भी खबर है कि इसके लिये डॉ मिश्र द्वारा शासन स्तर से स्वीकृति ली गयी है। वही बिहार में भी साहब ने अच्छी संपत्ति खड़ी कर ली है । सूत्रों के अनुसार पटना में एक मॉल व एक होटल है ।




हरदोई का कार्यकाल इनका आप सब सुधि पाठकों को पता चल ही गया है कि कैसा था । हरदोई के कार्यकाल के कारण ही साहब की कुर्सी पर खतरा उतपन्न हो गया है । बेसिक शिक्षा अधिकारी रहते इन्होंने एक नई नीति चलायी थी । अध्यापको का जांच के नाम पर वेतन रोक देते थे और काफी दौड़ाने के बाद चढ़ावा मिलने पर जारी करते थे ।

बलिया में डीआईओएस बनकर आने के बाद अपनी सत्यापित नीति को माध्यमिक शिक्षा में भी लागू कर दिया । सबसे पहले इन्होंने जनपद के पुराने एडेड ऐसे विद्यालयों का चयन करके नोटिस जारी करके यहां के अध्यापको कर्मचारियों का वेतन रोक दिया, जहां 20 से 25 साल पहले किसी न किसी विवाद के चलते यहां की प्रबन्ध समिति डीआईओएस के द्वारा ही संचालित होती थी ।

ऐसे विद्यालयों से 20-25 साल पहले की नियुक्तियों का ब्यौरा तलब कर वेतन को रोक दिया गया । एल डी स्कूल बलिया ,चौरा इण्टर कालेज करनछपरा ,इण्टर कॉलेज मनियर  आदि लगभग एक दर्जन विद्यालय इनकी वसूली नीति के शिकंजे में फंसकर कराहने लगे । इन विद्यालयों के लगभग 150 अध्यापको का वेतन रोक दिया गया 

लगभग 100 लोगो के द्वारा चढ़ावा चढ़ाने के बाद पुनः वेतन जारी कर दिया गया । सवाल यह उठ रहा है कि अगर इन अध्यापको की नियुक्ति फर्जी थी तो डीआईओएस ने कोई जांच समिति बनाने के लिये उच्चाधिकारियों को चिट्ठी क्यो नही लिखी ? अगर कोई उच्च स्तरीय जांच समिति बनी ही नही, न किसी ऐसी समिति की रिपोर्ट ही प्राप्त हुई फिर कैसे रोका हुआ वेतन जारी कर दिया गया ? इससे साफ जाहिर हो रहा है कि इनके द्वारा बेसिक शिक्षा की तरह ही वेतन रोकने और फिर जारी करने का खेल शुरू कर दिया गया है । बलिया एक्सप्रेस मांग करता है कि डीआईओएस बलिया जिन लोगो का वेतन रोके थे और फिर जारी कर दिये, की उच्च स्तरीय जांच की जाय और पता लगाया जाये कि इस खेल में कितनी वसूली हुई है ।


 डॉ ब्रजेश मिश्र (भूमिहार /ब्राह्मण ?) के कारनामो का अगली कड़ी में और खुलासा बलिया एक्सप्रेस द्वारा किया जायेगा ।