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योगी सरकार में भी भ्रष्टाचार पर कार्यवाही में बिलम्ब,22 जुलाई को शासन से पत्र जारी होने के बाद दोषी अधिकारी आज भी है डीआईओएस बलिया



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। पीएम मोदी व सीएम योगी लगातार भ्रष्टाचार पर प्रहार का कोई भी मौका नही छोड़ते है । वही योगी सरकार में शासन में बैठे अधिकारियों और भ्रष्टाचार में संलिप्त  अधिकारियों में कितनी सांठगांठ है,इसका नजारा बलिया में देखने को मिला है । चाहे भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा ईओ नगर पालिका बलिया हो,जिसके खिलाफ डीएम से लेकर सीएम तक शिकायत होने के बाद,लगभग 2 दर्जन से अधिक भ्रष्टाचार की जांच हो,अधिकतर में दोषी साबित हो, बावजूद इसके अगर उसका साढ़े चार साल होने के बावजूद स्थानांतरण न होना,भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियो की पहुंच को दर्शा ही रही थी कि जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया बृजेश मिश्र की भ्रष्टाचार की खुली पोल ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या योगी सरकार में भी शासन बैठे अधिकारी भ्रष्टाचारियो के लिये मददगार बने हुए है ।



जी,हां , जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया बृजेश मिश्र अपने हरदोई जनपद के कार्यकाल में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी रहते हुए भ्रष्टाचार के खूब गुल खिलाये हुए है । चार बार की हुई प्राथमिक शिक्षकों की भर्तियों में इनके द्वारा जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है और जांच में प्रथम दृष्टया दोषी भी पाये गये है । प्रदेश की राज्यपाल द्वारा बृजेश मिश्र के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश भी दे दिये गए है । शासन से 22 जुलाई 2021 को संयुक्त निदेशक लखनऊ मंडल लखनऊ को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने हेतु आदेश भी जारी कर दिया गया है , बावजूद जिला विद्यालय निरीक्षक जैसे  महत्वपूर्ण पद पर निलंबित होने की बजाय जमे हुए है । यह दर्शाता है कि डीआइओएस बलिया की शासन में कितनी ऊंची पकड़ है ।



उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर लगाई  स्थगन आदेश देने की गुहार

बलिया ।। शासन के पत्र को ठंडे बस्ते में डलवाने के बाद बृजेश मिश्र चुपके से माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर शासन द्वारा अपने खिलाफ जारी आदेश को स्थगित करने की गुहार लगाई है । श्री मिश्र ने उच्च न्यायालय में 7 अक्टूबर को याचिका दायर की है, जिस पर सुनवाई 19 अक्टूबर को होनी है । भ्रष्टाचार साबित होने के बावजूद अगर तुरंत कार्यवाही नही होती है तो यह निश्चित है कि ऊपर का कोई अधिकारी बचा रहा है ,जो यह चाहता है कि बृजेश मिश्र को निलंबित होने से पहले स्थगन आदेश मिल जाय । यह निश्चित ही योगी सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ चलायी जा रही मुहिम के लिये शुभ संकेत नही है ।