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सरकारी विभागों के लालफीताशाही पर व्यंग करती कहानी -जामुन का पेड़,का हुआ मंचन,दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

 






बलिया ।। दफ्तरों में फ़ाइल घूमती रही और जामुन के पेड़ के नीचे शायर दब कर मर गया। सरकारी तंत्र और लालफीताशाही पर व्यंग्यात्मक कहानी जामुन का पेड़ की नाट्य प्रस्तुति ने व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। कृश्न चन्दर की बहुचर्चित कहानी जामुन का पेड़ की नाट्य प्रस्तुति अमृतपाली स्थित अमृत पब्लिक स्कूल में की गई। संकल्प साहित्यिक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया के रंगकर्मियों ने इसे मंच पर अपने शानदार अभिनय से जीवंत कर दिया। 





कहानी में एक शायर जामुन के पेड़ के नीचे दब जाता है । उसको बाहर निकालने की बजाय सरकारी दफ्तरों में उसको पेड़ के नीचे से निकालने के लिए फाइल तैयार होती है । यह फ़ाइल दफ्तरों में घूमती रहती है और अंततः शायर मर जाता है ‌ । उपस्थित दर्शकों ने देर तक ताली बजाकर प्रस्तुति की सफलता पर मुहर लगाया। मंच पर अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाले कलाकारों में आनन्द कुमार चौहान, ट्विंकल गुप्ता, अनुपम पाण्डेय, अखिलेश मौर्य, मुकेश चौहान, शुभम द्विवेदी, राहुल रावत, आलोक कुमार ने शानदार भूमिका निभाई।

 नाटक की मंचीय परिकल्पना और निर्देशन प्रसिद्ध रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी ने किया। नाट्य प्रस्तुति से पहले संकल्प के रंगकर्मियों ने कबीर भजन और  जनगीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात 'वर्तमान समय में पठनीयता का संकट' विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित हुई। गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता रामजी तिवारी ने कहा कि वर्तमान समय में यह सत्य है कि लोग साहित्य से दूर होते जा रहे हैं। इसका खामियाज़ा समाज को भुगतना पड़ रहा है। समाज में ईर्ष्या,द्वेष, नफ़रत बढ़ती जा रही है। जरूरी है नई पीढ़ी साहित्य कला और संस्कृति से संस्कारित करने की। 

अजय पाण्डेय ने कहा कि प्राथमिक स्तर से बच्चों को साहित्य से जोड़ने की जरूरत है। डॉ. अमलदार निहार ने कहा कि समाज में पठनीयता के संकट का कारण संवेदना हीनता है। डॉ. मनजीत सिंह ने कहा कि बाजार वाद ने हमें एक वस्तु बना दिया है। जरूरत है इससे बाहर निकलकर एक बेहतर दुनिया बनाई जाए। 

अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक जी ने कहा कि वर्तमान समय में पठनीयता की समस्या के साथ-साथ लेखन और सम्प्रेषण की भी समस्या है। जरूरी है लेखक और पाठक के बीच एक पुल बनाने की। जिसमें स्कूलों और कॉलेजों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। स्वतंत्र रूप से ऐसे क्लब की भी स्थापना की जाये। जिसमें समय-समय पर साहित्यिक विमर्श होता रहे। 

इस अवसर पर श्वेतांक सिंह, समीर पाण्डेय, डॉ राजेन्द्र भारती, शिवजी पाण्डेय रसराज, शशि प्रेमदेव, उमेश सिंह, उपेंद्र सिंह, रामप्रकाश, अरविंद उपाध्याय , डॉ कादम्बिनी सिंह ने अपने विचार व्यक्त किये। गोष्ठी का विषय प्रवर्तन संस्था के सचिव आशीष त्रिवेदी ने किया। रंगकर्मी एवं वक्तजनों को शुभाशीष पण्डित ब्रज किशोर त्रिवेदी ने दिया। संचालन अचिन्त्य त्रिपाठी तथा आभार व्यक्त संजय कुमार ने किया।