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ईओ बलिया की वकालत के आगे शासनादेश धराशायी




अब पत्नी ने  अपना स्थानांतरण रुकवाया

मधुसूदन सिंह
बलिया ।। शासनादेश को कैसे तोड़कर अपने मनमाफिक आदेश कराया जाता है,अगर किसी को सीखना है तो बलिया नगर पालिकाH के ईओ दिनेश कुमार विश्वकर्मा से सीख सकता है । पिछले साल जब डीओ लेटर जिलाधिकारी बलिया ने लिखकर ईओ का ट्रांसफर कराया था तब ईओ दिनेश विश्वकर्मा ने अपने राजनैतिक और शासन के ऊंचे रसूख का इस्तेमाल करते हुए अपना स्थानांतरण यह कहकर रूकवाया था कि मेरी पत्नी जीजीआईसी बलिया में कार्यरत है । यही खेल इस वर्ष अब पत्नी ने खेला है ।

बता दे कि इस वर्ष कोरोना काल के चलते माध्यमिक शिक्षा में सरकार ने उन लोगो का ही स्थानांतरण किया जिन्होंने अपना स्थानांतरण करने का अनुरोध किया था । यह अनुरोध ऑनलाइन भरकर भेजा गया और जिन्होंने अनुरोध किया उनका स्थानांतरण भी हो गया । ऐसा ही ईओ दिनेश विश्वकर्मा की पत्नी व जीजीआईसी बलिया की प्रभारी प्रधानाचार्या शिल्पा शर्मा ने किया था । जिसके आधार पर इनका स्थानांतरण बाराबंकी जनपद के लिये हो गया और डीआईओएस ने इनको रिलीव भी कर दिया है ।

इसके बाद कानूनविद ईओ दिनेश विश्वकर्मा अपनी कानूनी चाल चलते है और शिल्पा शर्मा का स्थानांतरण इस आधार पर रुकवाने में सफल होते है कि शिल्पा शर्मा के पति की पोस्टिंग बलिया में है,लिहाजा इनको भी बलिया ही रहने दिया जाय और स्थानांतरण रुक जाने की सूचना है ।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब इस वर्ष केवल अनुरोध के आधार पर ही स्थानांतरण होना था और शिल्पा शर्मा को बखूबी पता था ही नही बल्कि अपने पति के साथ बलिया ही रहती है, फिर अपने स्थानांतरण का अनुरोध निदेशालय को क्यो भेजा ?  जब जाना ही नही था तो शासन के नियम को क्या बच्चो का खेल समझती है जो कभी जाऊंगी कहती है, तो कभी रुकूँगी कह रही है ।
हैरानी इस बात की है कि निदेशालय के अधिकारी भी निजी अनुरोध के स्थानांतरण को,निजी आवेदन पर ही फिर रोक दे रहे हैं । क्या इन अधिकारियों को शिल्पा शर्मा की नीयत समझ मे नही आयी या किसी अदृश्य दबाव में अनजान बन गये ?

दरअसल ईओ दिनेश विश्वकर्मा का बलिया में कार्यकाल 4 से अधिक हो गया है और इनको शासनादेश के अनुसार अपने स्थानांतरण होने का अंदेशा हो रहा था । इस लिये इन्होंने अपनी पत्नी का पहले बाराबंकी स्थानांतरण करवाया ताकि स्वयं का स्थानांतरण होने पर पत्नी के नौकरी के आधार पर अपना स्थानांतरण भी बाराबंकी करा सके । 

लेकिन पत्नी का तो स्थानांतरण हो गया लेकिन विश्वकर्मा जी बलिया ही रह गये । ऐसी सूरत में इन्होंने शासनादेश को बच्चो का खिलौना समझते हुए निजी अनुरोध के तबादले को, निजी अनुरोध पर ही रूकवाया दिया ।