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तो क्या बलिया से स्थानांतरित चिकित्सको पर दर्ज होगी एफआईआर ?



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। भृगु क्षेत्र का बागी बलिया वह जिला है जहां ट्रांसफर होने के बाद भी जल्दी कोई अधिकारी आना नही चाहते है लेकिन जो आ जाते हैं वो ट्रांसफर होने के बाद भी जाने का नाम नही लेते है ।बलिया के स्वास्थ्य विभाग में ऐसा ही खेल देखने को मिल रहा है । 

 शासन ने लेवेल 2,3,4 के 6 चिकित्सा अधिकारियों का स्थानांतरण जुलाई माह में ही कर दिया है । बावजूद इसके ये लोग येनकेन प्रकारेण अभी यही जमे हुए है । अन्य जनपदों में तो स्थानांतरण के बावजूद जो लोग रिलीव नही हुए थे,उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हो गयी है । लेकिन यह बलिया है,यहां रामराज्य है । यहां तो ऐसे चिकित्सक भी है जिनका वर्षो पहले स्थानांतरण हो गया ,ऑर्डर भी कैंसिल नही हुआ,बावजूद आजतक यही जमे हुए है,है कोई माई का लाल जो इनको हिला सके ।

सूत्रों की माने तो स्थानांतरित चिकित्सको को रिलीव करने के लिये रिमाइंडर भी आ चुका है । अगर ये लोग आजकल में रिलीव नही होते है तो इनके खिलाफ शासन के द्वारा एफआईआर दर्ज कराने का आदेश भी दो दिनों में आ सकता है । अब देखना है कि ये लोग ससम्मान रिलीव होकर जाते है या एफआईआर के बाद ....होकर जाते है ।

शासनादेश का उड़ाया माखौल

बलिया में शासनादेशों का जमकर माखौल भी उड़ाया जाता है ,यह हकीकत है । उत्तर प्रदेश सरकार ने माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों के तबादले इस बार शिक्षकों के अनुरोध पर किया था । इस आदेश के तहत नगर पालिका बलिया के अधिशाषी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा की धर्मपत्नी शिल्पा शर्मा जो जीजीआईसी बलिया में प्रवक्ता/प्रभारी प्रधानाचार्या थी,ने अपने स्थानांतरण के लिये ऑनलाइन आवेदन किया और इनका स्थानांतरण बाराबंकी के लिये हो भी गया । इनको जिला विद्यालय निरीक्षक ने रिलीव भी कर दिया ।

  रिलीव होने के बाद इनको याद आया कि इनके पति तो बलिया में कार्यरत है और इन्होंने अपने पति के बलिया में कार्यरत होने को दर्शा कर अपना स्थानांतरण आदेश रद्द कराकर पुनः बलिया आ गयी है और प्रवक्ता के पद पर योगदान दे रही है ।

 अपने पति के साथ उसी जनपद में कार्यरत रहे,इसमे किसी को ऐतराज नही है । ऐतराज इस बात का है कि जब इनको तबादला नही करवाना था तो ऑनलाइन आवेदन क्यो दर्ज की ? क्या आवेदन दर्ज करते समय इनको नही पता था कि इनके पति तो बलिया में ही कार्यरत है ? इस बार किसी का स्थानांतरण तो शासन द्वारा हो नही रहा था फिर इन्होंने ऐसा कृत्य शासन की आंखों में धूल झोंकने के लिये क्यो किया और शासन के उच्चाधिकारी स्थानांतरण आदेश को रद्द करते समय इस बिंदु पर ध्यान क्यो नही दिये ? यह गलती से हुआ है या जानबूझ कर किया गया है,रद्द करने वाले साहब ही जानते है ।