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जाने कौन है प्रदेश का वो जिला जहां बिना टीका लगाये ही जारी हो गया प्रमाण पत्र

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।।  सरकार द्वारा टीकाकरण से सम्बंधित जो आंकड़े जारी होते है,उस पर गाहे बगाहे उंगली उठती थी तो लोग इसको मानवीय भूल कहकर टाल देते थे । लेकिन ऐसी भूलो को करने वालो पर कार्यवाही न होने के कारण छोटी छोटी भूले अब स्वास्थ्य विभाग में नासूर बनती जा रही है । अब तो आलम यह हो गया है कि अगर आप टीकाकरण के लिये पंजीकरण ऑनलाइन या ऑफ लाइन करा लिये तो जरूरी नही है कि आपका टीका लग ही जाये, संभावना यह भी है कि बिना टिका लगाये ही स्वास्थ्य विभाग के कम्प्यूटर ऑपरेटर की कृपा से आपको टीका लगने का प्रमाण पत्र जारी हो जाय ।

जी,हां, यह सोलह आने सच्ची खबर है और यह कारनामा करने वाला जनपद है बलिया, ऐतिहासिक जनपद बलिया,बागी जनपद बलिया । जिले के बांसडीह कोतवाली क्षेत्र के हुसैनाबाद गांव में कोविड-19 टीका लगाये बिना ही टीका लगाने का प्रमाण पत्र जारी किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। वैसे इस घटना के प्रकाश में आने पर  मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ तन्मय कक्कड़ ने इसकी वजह तकनीकी गड़बड़ी बताई है।

बता दे कि  जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बांसडीह कोतवाली क्षेत्र के हुसैनाबाद गांव में ऐसे अनेक मामले सामने आये हैं जिसमें बिना टीका लगाये ही टीका लगने का प्रमाण पत्र जारी हो गया है। प्रमाण पत्र जारी होने के बाद गांव में अफरातफरी का माहौल बन गया है। बता दे कि इस गांव की तकरीबन 15 हजार आबादी है । इस गांव के 34 वर्षीय विनायक चौबे ने पत्रकारों को बताया कि वह हरियाणा के गुड़गांव में नौकरी करते हैं। गुड़गांव में उन्होंने टीके के लिए एप पर पंजीयन तो करा लिया था, लेकिन वैक्सीन नहीं लिया था। श्री विनायक पिछले बृहस्‍पतिवार को अपने गांव पहुंचे, तो उन्‍हें पता चला कि अगले दिन शुक्रवार को गांव में टीका शिविर लगने वाला है। विनायक ने बताया कि '' शुक्रवार को मै टीकाकरण शिविर पर  अपने छोटे भाई विमलेश चौबे और बहन प्रियंका चौबे के साथ टीका लगवाने चला गया। सेंटर पर हमने वहां पंजीकरण कर रहे कर्मी को ऑफ लाइन अपनी तमाम जानकारी दे दी और बैठकर अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे । कैंप में काफी भीड़ थी । हमने दिन भर इंतज़ार किया, लेकिन बारी नहीं आई । हम शाम को घर लौट आए।”

 श्री चौबे ने बताया कि उनके मोबाइल पर रात के करीब 10 बजे मैसेज आया तो उनके होश उड़ गये । मोबाइल पर जो मैसेज आया था उसके अनुसार उनको टीका लग चुका है। हड़बड़ाहट में पोर्टल पर प्रमाण पत्र देखा तो उस पर उनकी ही जानकारी दी गई है, जबकि हकीकत में उन्हें टीका लगा ही नहीं है।

ऐसा नही है कि यह केवल श्री चौबे के ही साथ हुआ है ,गांव की ही रहने वाली 22 वर्षीय रानी दुबे और 25 वर्षीय आरती दुबे की भी ऐसी ही समस्या है।रानी दूबे ने पत्रकारों को बताया कि ''शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर मैं, मेरी दीदी आरती दुबे और भतीजी प्रगति दुबे टीका लगवाने पहुंचे। वहां काफी भीड़ थी। जैसे-तैसे हमने अपने आधार कार्ड का नंबर और फोन नंबर लिखवाया और अपनी बारी का इंतज़ार करने लगे। शाम पांच बजे तक हमने इंतज़ार किया, लेकिन हमारी बारी नहीं आई। फिर हम तीनों वापस लौट आए।”उन्होंने बताया, ''मोबाइल पर रात के 10 बजे हम तीनों को मैसेज आया कि आपको टीका लग गया है। हम हैरान हो गए कि जब हमें वैक्सीन लगा ही नहीं तो ये मैसेज कैसे आया।''

ग्रामप्रधान के अनुसार 20-30 लोगो के साथ ऐसी समस्या

गांव के ही 21 वर्षीय पियूष तिवारी ने बताया कि देर शाम बिना टीकाकरण के वह वापस लौट आये और रात को उनके मोबाइल पर टीका लगने का संदेश आ गया ।इससे पहले रानी ने दावा किया कि गांव के कई लोगों के साथ ऐसा हुआ है । हुसैनाबाद गांव के प्रधान संजीत यादव के मुताबिक उनके गांव में करीब 20-30 ऐसे मामले सामने आये हैं। यादव बताते हैं, ''मुझे गांव के ही हरिशंकर गौड़ ने बताया कि उन्हें टीका नहीं लगा है, लेकिन लगने का मैसेज आ गया है।

श्री यादव ने मीडिया को यह भी बताया कि उन्होंने इस मामले की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दे दी है। वही स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अव्यवस्था के चलते ऐसा हुआ है और स्वास्थ्य विभाग ने ग्राम प्रधान को आश्वस्त किया है कि जिनके साथ भी ऐसा हुआ है, उन्हें टीका लगेगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. तन्मय कक्कड़ ने बताया कि उन्हें फोन पर ऐसी तीन शिकायत मिली है। सीएमओ ने बताया कि ''टीका नहीं लगा और मैसेज चला गया तो यह टेक्निकल गलती है । उन्होंने बताया कि इस शिकायत को उन्होंने टेक्निकल यूनिट को दे दिया है ।