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स्वतंत्रता की 75वीं बरसी पर अगस्त क्रांति उत्सव का आगाज

 







अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे की बलिया एक अमित निशानी है,

जर्जर तन बूढ़े भारत की यह मस्ती भरी जवानी है ।।

बलिया ।।  सावन की रिमझिम फुहारों के बीच ढपली ढोलक की थाप पर आजादी के तराने गाते हुए शहीद पार्क चौक से जब युवाओं की टोली निकली तो शहर ठिठक गया और इस जुलूस में अगस्त क्रांति 1942 की छवि देखने लगे थे ।

ज्ञातव्य है कि 10 अगस्त 1942 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी उमाशंकर सोनार के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन अगस्त क्रांति का आगाज हुआ था और बलिया ने पूरे देश से 5 वर्ष पहले ही आजादी छीन कर स्वराज प्राप्त कर स्वदेशी सरकार बना लिया था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद बलिया के मंत्री शिव कुमार सिंह कौशिकेय के नेतृत्व में मंगलवार को अगस्त कांति उत्सव का रंगारंग शुभारंभ हुआ।

 बलिया के बलिदान और बगावत की परंपरा का जुलूस शहीद पार्क से सेनानी उमाशंकर स्मारक, रेलवे स्टेशन होते हुए सेनानी चित्तू पांडे जी के स्मारक पर इसका समापन हुआ।कार्यक्रम में जागरूक संस्थान के कलाकारों के द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में बलिया के योगदान पर बने गीतो एवं लघु नाटकों की प्रस्तुति की गई । 

आ0 भा0 सेनानी उत्तराधिकारी संगठन के जिला अध्यक्ष महेंद्र सिंह, महामंत्री विजय बहादुर सिंह, कोषाध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद गुप्त, समाजसेवी सर्वदमन जायसवाल, जागरूक संस्थान के सचिव अभय सिंह कुशवाहा, छोटेलाल, आशुतोष, पुनीत, बृजेश, अजीत, सुमंत, सलोनी, ज्योति, विशाल, अर्जुन, मृत्युंजय, पंकज, आदि की उपस्थिति रही।