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ढाई साल के मासूम ने बचाई 7 बच्चो की जान

 विश्व अंगदान दिवस पर विशेष


बलिया ।। क्या आपने कभी सोचा है कि महज ढाई साल का बच्चा 7 लोगों की जिंदगी कैसे बचा सकता है. वह भी तब जब उस बच्चे की जिंदगी का ही कोई भरोसा नहीं. ऐसी ही एक घटना गुजरात के सूरत में सामने आई है जहां ढाई साल के एक ब्रेन डेड मासूम के अंगदान से 7 लोगों को नया जीवन मिला है. दुर्भाग्य से यह बच्चा खेलते-खेलते अपने घर की दूसरी मंजिल से गिर गया था. डॉक्टर इसे नहीं बचा सके लेकिन इसके अंगदान ने मरणासन्न 7 बच्चों की जिंदगी बचा ली.


इस घटना ने अंगदान की अहमियत को बताया है कि अगर सभी लोग इस पर गौर करें तो कई बीमार और लाइलाज बीमारी का दंश झेलने वाले लोग ठीक हो जाएंगे और उन्हें एक नई जिंदगी मिल जाएगी. आइए जानते हैं कि अंगदान क्या होता है और कौन-कौन से अंग दान किए जाते हैं. दरअसल, किसी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर के टिश्यू या किसी अंग का दान करना ही अंगदान (Organ donation) कहलाता है. यह टिश्यू या अंग किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है. दान देने वाले व्यक्ति (donor) के शरीर से ऑपरेशन कर अंग या टिश्यू निकाला जाता है और उसे बीमार व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाता है ।




कितने तरह के अंगदान होते हैं


अंगदान दो तरह का होता है. एक, जीवित अंगदान और दूसरा मृतक अंगदान. जीवित अंगदान में कोई जीवित व्यक्ति किडनी और पैंक्रियास का कुछ हिस्सा दान कर सकता है. मृतक अंगदान में मृत व्यक्ति अपने कई अंग दान कर सकता है. यह प्रक्रिया अक्सर ब्रेन डेड लोगों के लिए अपनाई जाती है. सूरत के बच्चे का अंगदान इसी श्रेणी में आता है जो खुद नहीं बच पाया लेकिन उसके अंग कई बच्चों की जिंदगी बचा गए.


इन 8 अंगों का होता है दान


अंगदान में 8 अंग शामिल हैं जिन्हें दान किया जाता है. मृत व्यक्ति का किडनी, लीवर, फेफड़ा, ह्रदय, पैंक्रियास और आंत दान में दिया जा सकता है. साल 2014 में इस सूची में हाथ और चेहरे को भी शामिल कर दिया गया. कोई जिंदा व्यक्ति चाहे तो वह एक किडनी, एक फेफड़ा, लीवर का कुछ हिस्सा, पैंक्रियास और आंत का कुछ हिस्सा दान कर सकता है.


कैसे करते हैं अंगदान


अंगदान के लिए पहले इसकी स्वीकृति देनी होती है और यह काफी आसान काम है. इसके लिए ऑनलाइन प्लेज फॉर्म आता है जिसे आप ऑनलाइन भर कर इस प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. इसके लिए www.organindia.org पर अप्लाई किया जा सकता है. यहां रजिस्ट्रेशन कराने के बाद इस संस्थान की ओर से एक डोनर कार्ड भेजा जाता है जिस पर यूनिक गवर्मेंट रजिस्ट्रेशन नंबर होता है. जितने प्लेज फॉर्म भरे जाते हैं, वो सभी नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑरगेनाइजेशन (National Organ and Tissue Transplant Organization या NOTTO) के साथ रजिस्ट किए जाते हैं.


अंगदान करने वाले व्यक्ति को इसके लिए कोई पैसा नहीं मिलता है क्योंकि यह सेवा का काम है. लोग अपनी इच्छा से अंगदान करते हैं जिन्हें लगता है कि दूसरे की जिंदगी बचाई जा सकती है. इस बारे में नेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक्ट 1984 कहता है कि मानव अंगों को बेचना गैरकानूनी और अवैध है और यह अपराध की श्रेणी में आता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति प्लाज्मा, स्पर्म या एग सेल्स खरीदता या बेचता है, तो इसे अवैध नहीं माना जाता.


1998 में पहला लीवर ट्रांसप्लांट


दिल्ली में संजय कंदासामी नाम के 21 के युवा को उनके पिता ने लिवर डोनेट किया था. नवंबर 1998 में उनकी लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की गई थी. इसी के साथ भारतीय डॉक्टरों ने पहली सफल लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी कर इतिहास रच दिया. संजय न केवल अब सामान्य जीवन जी रहे हैं, बल्कि वह खुद डॉक्टर बनने की ट्रेनिंग भी ले रहे हैं- यह संजय का इलाज करने वाले डॉक्टरों की विशेषज्ञता और संजय और उसके परिवार की दृढ़ता का ही परिणाम है. इस सफल सर्जरी ने भारतीय चिकित्सा जगत में नई क्रांति ला दी।।


मैं डॉ कृष्णा शंकर सिंह, इस मंच के माध्यम से ये घोषणा करता हूं कि इस अंग दान दिवस  के अवसर पर मैं अपने सम्पूर्ण शरीर का दान करूँगा, जो किसी जरूरतमंद को मरणोपरांत काम आए


Dr. Krishna S Singh

Consultant Physician and Trained Cardio-physician 

स्पंदन ,बलिया