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जाने किस कोतवाली के कूड़े के पास फेंकी गई है सीएम की फोटो वाली होर्डिंग


                  कूड़े के ढेर के पास मुख्यमंत्री जी का पोस्टर

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। रसड़ा कोतवाल नागेश उपाध्याय के कार्यकाल में न बालिका को न्याय मिल रहा है, न विक्षिप्त चंद्रभान सिंह का मेडिकल हो रहा है । हद तो तब हो गयी है जब इनके कैम्पस में प्रदेश के मुखिया सीएम योगी जी की तस्वीर को भी सम्मान नही मिल रहा है ।इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि महिला की सुरक्षा रसड़ा कोतवाल के हाथों कितनी सुरक्षित है । अभी तीन दिन पहले ही पुलिस अधीक्षक बलिया डॉ विपिन ताडा द्वारा महिला हेल्प डेस्क का रसड़ा कोतवाली परिसर में उद्घाटन किया गया और मात्र 3 दिन में ही मुख्यमंत्री जी की तस्वीर वाला मुख्यमंत्री हेल्पलाइन का प्रचार करने वाली होल्डिंग कूड़े के ढेर के पास रखी है और यह किसी एकांत वाले क्षेत्र में नही है बल्कि परिसर में आने वाला कोई भी व्यक्ति देख सकता है ।



भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता भानु प्रताप सिंह ने तो 17 जुलाई को इस थाने में पुलिस अभिरक्षा में रहने वाली लड़की द्वारा वीडियो वायरल कर प्रताड़ित करने,अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने,बयान बदलने के लिये दबाव डालने और उस दिन से लड़की के गायब हो जाने की घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग तक कर डाली है  ।

श्री सिंह का कहना है कि बाहर प्रताड़ित होने पर पुलिस का सहयोग लिया जाता है लेकिन अगर अपने थाने में पीड़ितों को पुलिस भी प्रताड़ित करने लगे तो भगवान ही मालिक है । 

भाजपा नेता भानु प्रताप सिंह का बयान


17 जुलाई को नाबालिग किशोरी द्वारा कोतवाली परिसर से वायरल वीडियो


17 जुलाई से यह पीड़िता रसड़ा कोतवाली परिसर से पुलिस अभिरक्षा में होते हुए भी लापता है जिसका आजतक कोई सुराग पुलिस नही लगा पायी है । परिजनों को अब किशोरी के जान की फिक्र लग गयी है ।  कोतवाल की अभिरक्षा से किशोरी गायब है और कोतवाल पर उच्चाधिकारियों द्वारा कार्यवाही न करना चर्चा का विषय बन गया है ।

रसड़ा कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक नागेश उपाध्याय की करिस्तानियो की फेहरिश्त बड़ी लम्बी है । रसड़ा कोतवाली क्षेत्र के ही एक विक्षिप्त चंद्रभान सिंह एकाएक गायब हो जाते है और कुछ माह बाद जब इनकी करोड़ो की जमीन पर तथाकथित भू माफिया रजिस्ट्री के आधार पर कब्जा करने आते है तो परिजनों द्वारा न सिर्फ कब्जा दखल का विरोध किया जाता है बल्कि क्रेताओं के खिलाफ अपने विक्षिप्त परिजन को गायब करने,मानसिक रोगी से रजिस्ट्री कराने और हत्या किए जाने की संभावना का एफआईआर दर्ज कराया जाता है ।

एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस हरकत में आती है और विक्षिप्त चंद्रभान सिंह को बरामद कर लेती है । बरामदगी के बाद जब परिजनों द्वारा मेडिकल कराने और कोर्ट में बयान कराने का दबाव बनाया जाने लगा तो कोतवाल रसड़ा द्वारा चंद्रभान सिंह को कोतवाली में रखने के बाद लगभग  3 दिन बाद कोर्ट में बयान 19 मार्च 2021 को कराया गया । जहां बन्द कमरे में वीडियो रिकार्डिंग व मानसिक रोगियों की भाषा समझने वाले विशेषज्ञ की उपस्थिति में बयान लेने की कोशिश हुई लेकिन चंद्रभान सिंह कोई बयान नही दे पाये । ऐसी सूरत में माननीय न्यायालय ने बलिया पुलिस को चंद्रभान सिंह का मेडिकल मानसिक चिकित्सालय से कराने का आदेश दिया । लेकिन तब से आजतक नागेश उपाध्याय जी के पास न्यायालय के आदेश के अनुपालन में मेडिकल कराने का समय ही नही है । चंद्रभान सिंह के भतीजे मिथिलेश सिंह ने इनकी भू माफियाओं के साथ संलिप्तता का आरोप लगाया है ।

19 मार्च को बलिया एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। रसड़ा कोतवाली में दर्ज अपराध संख्या 52/2021 के मुख्य गवाह की बड़ी ही जद्दोजहद के बाद रसड़ा पुलिस ने गुरुवार 19 मार्च 2021 को माननीय मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयान के लिये प्रस्तुत किया । बन्द कमरे में वीडियो रिकार्डिंग के साथ हुए इस बयान में उपस्थित दिव्यांग जनों की भाषा को समझने वाले विशेषज्ञ भी मौजूद रहे । वादी पक्ष के विद्वान अधिवक्ता राजेन्द्र वर्मा की माने तो जब माननीय मजिस्ट्रेट व विशेषज्ञ दोनों लोग चंद्रभान सिंह की बातों को समझने में असफल रहे या यूं कहें कि चंद्रभान सिंह अपना नाम पता के अलावा कुछ नही बोल पाये,तो इनके मानसिक स्थिति के लिये मेडिकल कराकर पुनः शुक्रवार को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया गया ।

बता दे कि चंद्रभान सिंह के भतीजे द्वारा रसड़ा कोतवाली में दर्ज कराये गये मुकदमें में कहा भी गया है कि मेरे चाचा चंद्रभान सिंह की मानसिक बीमारी का फायदा उठाते हुए कुछ लोग करोड़ो की उनकी संपत्ति को रजिस्ट्री करा लिये है । साथ ही इन्होंने स्थानीय कोतवाल/जांच अधिकारी पर भी प्रतिवादियों से मिले होने का गंभीर आरोप लगाते हुए इस मुकदमे की जांच किसी और से कराने की मांग भी पुलिस अधीक्षक बलिया से की गईं है ।

 सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब चंद्रभान सिंह की बातों को, ऐसे व्यक्तियों की भाषा समझने वाले विशेषज्ञ को भी समझ मे नही आती है तो रसड़ा के रजिस्ट्रार महोदय कैसे समझ लिये ? यह भी सोचनीय व जांच का प्रकरण है । अगर चंद्रभान सिंह मेडिकल रिपोर्ट में मानसिक रूप से बीमार निकलते है तो निश्चित हो जायेगा कि चंद्रभान सिंह से करायी गयी रजिस्ट्री में रसड़ा के रजिस्ट्रार साहब भी शामिल हो सकते है । अब देखना है कि पुलिस इनका मेडिकल कब कराती है ।