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वैधानिक संकट : एडीएम बड़े या एसडीएम,एडीएम ने दिया पट्टा, एसडीएम करा रहे है खाली



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। उप जिलाधिकारी रसड़ा के एक मौखिक आदेश से एडीएम द्वारा जारी पट्टे की वैधानिकता कटघरे में खड़ी हो गयी है और लोग पूंछ रहे है कि एडीएम बड़े या एसडीएम । जी हां,यह संकट उतपन्न किये है उप जिलाधिकारी रसड़ा जिन्होंने अतिक्रमण/अवैध कब्जा हटाने के नाम पर वैधानिक रूप से काबिज पट्टेदारों को भी अवैध करार देते हुए मौखिक रूप से दुकानों को खाली करने का आदेश जारी किये हुए है । अब इस आदेश के बाद पट्टेदारों ने जिलाधिकारी बलिया के यहां पहुंच कर दुकानों को ध्वस्तीकरण से बचाने व स्वयं से खाली न कराने की गुहार लगायी है । इन लोगो का कहना है कि जब हम लोगो ने नीलामी में भाग लेकर उच्चतम बोली लगाकर,इसका किराया जमाकर 3 वर्ष के लिए पट्टे पर लिया है तो उप जिलाधिकारी रसड़ा किस वैधानिक अधिकार से खाली कराने पर आमादा है ।

बता दे कि रीना गुप्ता , सुनील कुमार , नीतू गुप्ता ,राहुल कुमार ने उप जिला मजिस्ट्रेट रसड़ा पर गम्भीर आरोप लगाते हुए डीएम से न्याय की गुहार लगाई है। आरोप है कि उप जिला मजिस्ट्रेट रसड़ा द्वारा विधि विरूद्ध तरीके 3 साल के लिए पट्टे पर लिए दुकान को जबरिया खाली कराना चाहते है जो नियम विरुद्ध है।

बेदखल करने से रोकने को लेकर पीड़िता रिना गुप्ता सहित दुकानदारों ने डीएम से गुहार लगाई है। रीना गुप्ता सहित तीन और लोगो ने विधिसंगत तरीके से पट्टा की शर्तो का अनुपालन करते हुए उचित पैसा देकर करके दुकान को 20.05.2021 को पंजीकृत कराया है। 

बता दे कि माननीय जिला निबन्धक / अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) बलिया द्वारा नीलामी में उच्चतम बोली के आधार पर दुकान नं03 सा०रसड़ा अन्दर परगना लखनेश्वर जिला बलिया के मुहल्ला आजाद नगर वार्ड नं 08 परगना लखनेश्वर जिला बलिया की दुकान की वर्ष 2021 से 2024 तक तीन वर्षों के लिए पट्टा पर दिया गया है । पट्टाधारक द्वारा पट्टा का पंजीकरण कराकर उचित प्रतिफल अदा करके मौके पर काबिज दखिल होकर अपनी दुकान में पूंजी लगाकर व्यापार प्रारम्भ भी कर दिया गया  है और दुकान चल रही है ।

लेकिन 28 जुलाई 2021 को उप जिला मजिस्ट्रेट रसड़ा द्वारा मौखिक सूचना देकर दुकान से इन लोगो को बेदखल करने तथा दुकान को खाली कराने तथा दुकान ध्वस्त कराने की धमकी दी गयी  हैं।आरोप है कि उप जिला मजिस्ट्रेट रसड़ा की सम्पूर्ण कार्यवाही अवैधानिक तथा विधि विरूद्ध है। जिसे रोकने के लिए पीड़ितों ने डीएम से न्याय की गुहार लगाई है । एसडीएम की इस कार्यवाही से एक बहस तो छिड़ ही गयी है कि एडीएम बड़े या एसडीएम ।