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बलिया जहां भ्रष्ट अधिकारियों पर योगी सरकार में भी नही हो रही है कार्यवाही

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जनपद के लाल,हिंदी के कालजयी दैदीप्यमान नक्षत्र आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने अगर दशकों पहले कहा था कि बलिया जिला नही देश है,तो कोई गलत नही कहा था,यह आज साबित भी हो रहा है । पूरे प्रदेश में योगी जी भ्रष्टाचार पर जोरदार तरीके से हमलावर है,भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्य कर रहे है लेकिन बलिया एक ऐसा जनपद है जहां लगता है योगी जी भ्रष्टाचार विरोधी नीति लागू ही नही होती है । यहां एक भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ वर्षो से स्थानीय विधायक /मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल पत्राचार करते हो,जिलाधिकारी डीओ लेटर तक भेजते हो,लगभग 3 दर्जन भ्रष्टाचार की जिसके खिलाफ जांचे प्रचलित हो/हो चुकी हो,ऑडिट विभाग जिस अधिकारी के कृत्य को कई मामलों में गबन कह चुका हो,जो उत्तर प्रदेश सरकार की स्थानांतरण नीति के अनुसार भी स्थानांतरित(पिछले 4 सालों से बलिया में ही कार्यरत) होने के लिए अर्हता रखता हो,फिर भी बलिया से ऐसे अधिकारी का स्थानांतरण अगर नही हो पा रहा है, तो यह कहने में थोड़ा भी संकोच नही है कि चाहे योगी जी का पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ डंका बज रहा हो,लेकिन बलिया में नही है,क्योकि बलिया जिला नही देश है और देश पर मुख्यमंत्री नही प्रधानमंत्री का शासन चलता है ।

हम बात कर रहे है विगत 4 सालों से बलिया को बरसात में तरणताल बनाने वाले,प्रत्येक वर्ष नाला सफाई के नाम पर 50 लाख से ऊपर खर्च करके भी जलजमाव से राहत न दिलाने वाले अधिशाषी अधिकारी बलिया दिनेश विश्वकर्मा की । यह अधिकारी शासन सत्ता में इतना रसूख रखता है कि इसका स्थानांतरण बलिया से न हो,बड़े बड़े राजनेता व अधिकारी शासन में सरपट दौड़ लगाने लगते है । भ्रष्टाचार करने की इस अधिकारी की हिम्मत इतनी है कि 1 लाख 80 हजार की जगह (जेम पोर्टल से दिये गये ऑर्डर पर ) 18 लाख का भुगतान कर देता है और जब लगभग 10 माह बाद ऑडिट आपत्ति आती है तो लगभग 80 प्रतिशत गबन की गई धनराशि नगद नगर पालिका में जमा कराता है जबकि यह जिस फर्म को भुगतान हुआ था उसके खाते से नगर पालिका के खाते में सीधे जमा होनी चाहिये थी । यही नही कलेजा इतना मजबूत है कि अपनी राजकीय बालिका इंटर कालेज में प्रवक्ता पत्नी के मेडिकल क्लेम को,जो इनके आजमगढ़ कार्यरत होने के समय का था,अपने यहां से भुगतान स्वयं कर देता है । जबकि यह आश्रित की श्रेणी में भी नही आते है और हद तब है जब इस क्लेम को निकालने के लिए इसने किसी से भी अनुमति भी नही ली । जबकि 1 लाख से ऊपर के भुगतान में निदेशक प्रशासन लखनऊ से अनुमति जरूरी है लेकिन इस अधिकारी ने अपने डीडीओ पद का दुरुपयोग करते हुए 2 लाख 80 हजार के करीब भुगतान ले लिया । इसको जब ऑडिट ने गबन कहा तो वापस फिर जमा कर दिया ।

अभी इस अधिकारी के सीनाजोरी के बल पर घोटाले की दूसरी कहानी जानिये । सदर विधायक आनंद स्वरूप शुक्ल (अब मंत्री है)ने इसका स्थानांतरण 2019 में रामपुर करा दिया था और बलिया में रामपुर से ही स्थानांतरित होकर आये डॉ इंदु प्रकाश ने चार्ज भी ग्रहण करके कार्य करना शुरू कर दिया था । लेकिन इस भ्रष्ट ईओ ने एक चर्चित राजनेता के आशीर्वाद से पुनः बलिया स्थानांतरण करा लिया । बलिया में कार्यभार ग्रहण करने के बाद इसने अपने अनुपस्थित माह का वेतन भी स्वयं के आदेश से निकाल लिया । जबकि इसको अनुपस्थित माह के वेतन के लिये मेडिकल लगा कर उच्चाधिकारियों के अप्रूवल के बाद ही निकालना चाहिये,लेकिन डीडीओ पावर है तो किसी से आदेश लेने की आवश्यकता ही क्या है । यानी बलिया में एक माह में दो दो ईओ का वेतन आहरित हुआ ।

बरसात माह में नाला नाली सफाई के नाम पर करोड़ो का भुगतान होता है । छोटे छोटे कार्यो का मस्टररोल निकाला जाता है या कोटेशन पर कार्य कराकर भुगतान किया जाता है । इस साल भी ऐसी ही लगभग 50 फाइल भुगतान के लिये तैयार है ,जो सिर्फ घोटाला है और कुछ नही । इसके द्वारा मशीनों की खरीद में जबरदस्त घोटाला हुआ है । बिजली की तीन पुरानी मोटरों को औने पौने दामों में बेचने का भी कार्य हुआ है जबकि ये मोटरे आज लाख रुपये से अधिक में एक आएगी ।

साफ सफाई के नाम पर आउट सोर्सिंग कम्पनी आर्यन ग्रुप को नियम विरुद्ध तरीके से काम दिया गया और प्रतिमाह लगभग 38 लाख तक का भुगतान किया गया । इसकी तत्कालीन जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगरौता द्वारा समिति से जांच कराई गई और घोर वित्तीय अनियमितता पाये जाने पर टेंडर निरस्त करते हुए करोड़ो रूपये की रिकवरी का आदेश दिया गया,लेकिन योगी जी के राज में भी कुछ नही हो पाया और आर्यन कम्पनी का काम आज भी जारी है । बता दे कि इस कम्पनी को नगर पालिका को सिर्फ मशीनरी देनी थी जिसकी मरम्मत कराना व तेल भरवाना आर्यन कम्पनी का दायित्व था लेकिन ये दोनों कार्य नगर पालिका के द्वारा करके सरकार को प्रतिमाह लाखो का नुकसान पहुंचाया गया ।

इस अधिकारी का शासन सत्ता में रसूख जितना बड़ा है, उतनी ही इसके भ्रष्टाचार की फेहरिश्त है । कई जांचों में दोषी साबित होने के बाद भी अगर अब तक पद पर आसीन है तो निश्चित ही यह कहने में संकोच नही है कि बलिया में भ्रष्टाचार की जड़े काफी गहरी हो चुकी है और यह बिना सत्ता पक्ष के रसूखदारों के फल फूल तो नही सकती है ।

दूसरा प्रकरण यहां के स्वास्थ्य विभाग से है । यहां के सीएमओ डॉ राजेन्द्र प्रसाद की अगुवाई में कोरोना से लड़ने के लिये कोरोना वॉरियर्स को दिए जाने वाले सामानों में जमकर घोटाला हुआ और मानक विहीन सामानों को कोरोना वारियर्स को देकर उनके जीवन को संकट में डाला गया । इसकी जांच जिलाधिकारी द्वारा गठित समिति द्वारा की गई और शिकायत को सही पाया गया । इस प्रकरण में स्टोरकीपर निलंबित हो गया (अब माननीय उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश लेकर कार्यरत) और ऐसे सामानों को खरीदने और भुगतान करने वाले सीएमओ डॉ राजेन्द्र प्रसाद और एसीएमओ/नोडल अधिकारी डॉ एचएन प्रसाद साफ बच गये थे । अब जब शासन से सीएमओ डॉ राजेन्द्र प्रसाद को एसीएम बनाकर महराजगंज के लिये भेज दिया है तो ये बलिया में अनैतिक तरीके से रुक कर कार्य कर रहे है,निश्चित ही अपने भ्रष्टाचार के साक्ष्यों को मिटा रहे है । जबकि इनको तत्काल चार्ज किसी एसीएमओ को देकर बलिया से चले जाना चाहिये क्योंकि वर्तमान में डॉ राजेन्द्र प्रसाद एसीएमओ है न कि सीएमओ । वही इनके साथ ही अन्य चिकित्साधिकारियों का भी स्थानांतरण हुआ है लेकिन कोई भी अबतक रिलीव नही हुआ है । लगता है इन लोगो को शासन का भी डर नही है ।

तीसरी खबर माध्यमिक शिक्षा से है । राजकीय बालिका इंटर कालेज बलिया की प्रभारी प्रधानाचार्या शिल्पा शर्मा का स्थानांतरण बाराबंकी के लिये हो गया है लेकिन ये है कि रिलीव हो ही नही रही है । सूत्रों ने तो यहां तक कहा है कि डीआईओएस बलिया पर इनको रिलीव न करने का भारी दबाव पड़ रहा है क्योंकि ये नगर पालिका बलिया के अधिशाषी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा की धर्मपत्नी जो है ।

वही जब इस संबंध में डीआईओएस ब्रजेश मिश्र से बात की गई तो उनका कहना है कि उनके पास अभी तक शासन से न पत्र आया है न मेल ही आयी है कि किसका किसका स्थानांतरण हो गया है । अब सवाल यह उठ रहा है कि इस समय जब सारा आदेश मेल से ही पहुंच रहा है तो क्या कारण है कि तीन दिन पहले हुआ आदेश डीआईओएस के मेल पर भी नही पहुंचा है ? लखनऊ से ही या बलिया में डीआईओएस कार्यालय से कोई खेल करने वाले खिलाड़ी का कृत्य तो नही है अब तक आदेश न आना ।

अब देखना यह है कि सीएम योगी जी बलिया को देश मानते है या जिला । अगर जिला मानेंगे तो यहां भी भ्रष्टाचार पर कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे । अन्यथा देश है तो इसी तरह भ्रष्टाचार के दलदल में फंसता रहेगा ।