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राजनेताओ व अधिकारियों की उपेक्षा से शवो को नही मिल रही है सम्मानजनक अंतिम विदाई



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। भारतीय संविधान में जहां हर व्यक्ति के लिये अधिकार को परिभाषित किया है तो वही मृत शरीर को भी अंतिम संस्कार सम्मानजनक तरीके से हो,इसकी व्यवस्था की है । लेकिन बलिया जनपद के रसड़ा तहसील मुख्यालय से महज कुछ ही दूरी पर राज्य मार्ग के किनारे शवो को खुले में जलाने की वर्षो पुरानी विभत्स परंपरा को किसी ने भी बन्द कराकर सम्मानजनक अंतिम संस्कार करने की व्यवस्था नही दी है । जबकि सरकार  तो कब्रिस्तानों की चहारदीवारी बनाने से लेकर श्मशान घाट बनाने के लिये बजट भी उपलब्ध कराती है । यह बात और कचोटती है कि जब इस क्षेत्र के विधायक उमाशंकर सिंह विकास पुरुष कहलाते है और नगर पालिका के चेयरमैन वशिष्ठ नारायण सोनी विकास करने के लिये सुप्रसिद्ध है ।

 सड़क पर शमशान की एक लाइव तस्वीर उत्तर प्रदेश के बलिया से सामने आई है।  रसड़ा कोतवाली थाना क्षेत्र के बलिया रसड़ा मार्ग के कोटवारी मोड़ से महज कुछ ही दूरी पर सड़क के फुटपाथ पर जलती हुई लाश को देखिये । यह बलिया लखनऊ स्टेट हाइवे के फुटपाथ पर  स्थानीय श्मशान घाट पर जलती हुई लाश की तस्वीर  है । बता दे कि यह कोई पहली जलती हुई लाश या फिर कोरोना मरीज की लाश नही है, यह वर्षो पुरानी चली आ रही परंपरा की निशानी है ।यहां हर दिन लाशें जलाई जाती है। बलिया की यह सबसे व्यस्त व महत्वपूर्ण सड़क है। इस सड़क से महज दो कदम की दूरी पर ही लोगो ने यह शमशान घाट बना दिया है। यहां शमशान घाट का बैनर भी लगा हुआ है। सड़क पर ऐसी तसवीरे देख मासूम बच्चे हो,या फिर राहगीर हो या फिर गुजरने वाले वाहन हो उन सब पर कितना  असर पड़ता होगा इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते  है ।






 जलती हुई इस लाश को देखिये, स्टेट हाईवे से महज 10 मीटर की दूरी भी नही है।लाश जलाने आये लोगो की माने तो सड़क किनारे लाश जलाने की यह सैकड़ो वर्ष पुरानी परंपरा है ।उनके पूर्वज भी यही लाश जलाते थे।कुछ लोग गंगा किनारे भी जाते है मगर आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते लोग इसी सड़क के किनारे ही जलाते आ रहे है।


बाईट-संतोष राजभर (लाश जलाने आये मृतक के परिजन)



 शमशान घाट पर मौजूद लोगों की माने तो सड़क के फुटपाथ पर लाश जलाना सही नही है मगर स्थानीय प्रशासन हो,नगर पालिका हो या स्थानीय लोकप्रिय विधायक हो, किसी  ने भी इस परंपरा को सुव्यवस्थित करने के विषय मे सोचा ही नही है । हमारा संविधान मरने के बाद भी शव को भी सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार हो,इसका अधिकार दिया है । लेकिन संविधान की शपथ लेकर सरकारी सेवक हो या जननेता किसी ने भी इस जगह पर शमशान घाट बनाकर शवो को सम्मान देने की बात सोची ही नही है । यह इस क्षेत्र के राजनेताओ व अधिकारियों के लिये शर्म की बात है ।

 ऐसी व्यवस्था नही दिया है। इसीलिए वर्षों से यहां सड़क पर लाश जलाने की परंपरा कायम है।


बाईट-मुंगेर राजभर( स्थानीय ग्रामीण)