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सदर तहसील बलिया :जहां सरकारी कर्मियों की शह पर भू माफियाओं की चांदी,शरीफ लोगो को परेशान कर ऐंठ रहे है रंगदारी,क्या इसमे होती है तहसील कर्मियों की भी हिस्सेदारी ?

 


मधुसूदन सिंह

बलिया ।। जनपद की सदर तहसील में बड़ा गड़बड़ झाला सामने आया है जिसमे भू माफियाओं की सरकारी कर्मियों के सहयोग से चांदी कट रही है । वही इस तहसील में शहर के किनारे जमीन रजिस्ट्री करवाने वाले को रंगदारी टैक्स व जमीन पर कब्जे के लिये अधिकारियों के चौखटों पर सर रगड़ना पड़ रहा है लेकिन न्याय मिलने में सालों लग जा रहे है । ऐसे में शरीफ आदमी के सामने गुंडा टैक्स देने के अलावा कोई चारा नही रह जाता है ।

आइये बताते है कि कैसे कैसे तरीके अपना रहे है भू माफिया

 रजिस्ट्री के बाद जमीन पर आपत्ति दाखिल कर दाखिल खारिज रुकवाना

सबसे आसान फार्मूला भू माफियाओं ने जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद क्रेता का नाम भू खण्ड पर दर्ज न हो , आसान तरीका खोज निकाला है ।इसके लिये तहसीलदार कोर्ट में बिना किसी आधार व सबूत के आपत्ति दाखिल कर देते है और तहसील कर्मियों की मिलीभगत से इतना लंबा खिंचवा देते है कि बार बार कोर्ट में तारीख पर आने की बजाय क्रेता ऐसे आपत्तिकर्ता से कोर्ट के बाहर गुंडा टैक्स देकर समझौता करने में ही भलाई समझता है और जो ऐसा नही करता है वह कभी एसडीएम,कभी जिलाधिकारी, कभी पुलिस अधीक्षक, कभी थानों का चक्कर काटता है लेकिन न्याय कही नही मिलता है । इस अंधेर गर्दी में क्षेत्रीय लेखपालों की सबसे बड़ी भूमिका होती है । जबकि हकीकत में अधिकर आपत्तिकर्ताओं के पास न वैधानिक अधिकार होता है और न वे सह खातेदार ही होते है,बावजूद इसके बिना सबूत के तहसील के अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा आपत्ति स्वीकार कर ली जाती है । सदर तहसील में ऐसी कई आपत्तियां लंबित होनी सूत्रों द्वारा बताई जा रही है ।

अपनी ही रजिस्ट्री शुदा प्लॉट पर निर्माण नही करा पा रही है महिला

बता दे कि 2016 में डेढ़ डिसमिल जमीन संध्या देवी पत्नी रामेश्वर निवासी बनकटा बलिया ने श्रीमती गंगा देवी पत्नी संत बख्स  निवासी निधरिया बलिया से एक लाख रुपये में बैनामा कराकर काबिज हुई और बाउंड्री कराकर इसको सुरक्षित कर ली । बैनामा के आधार पर इनका दाखिल खारिज भी हो गया और सरकारी दस्तावेजों में इनका नाम भूमिधर के रूप में दर्ज भी है लेकिन ये अपने ही भूखंड में निर्माण नही करा पा रही है क्योंकि एक भू माफिया जिसकी पत्नी से जमीन खरीदी गई है,वह गुंडा टैक्स के रूप में 5 लाख रुपये की मांग कर रहा है और ऐसा न करने पर जमीन पर 5-6 गुंडा किस्म के लोगो को बैठाये रहता है और वहां जाने पर मारपीट व गाली गलौज देकर फौजदारी पर आमादा हो जाता है ।

पीड़ित महिला तहसीलदार,एसडीएम,डीएम,एसपी से लगायत थाना दिवस का चक्कर काट रही है लेकिन कही से भी न्याय नही मिल पा रहा है । महिला का आरोप है कि इस फसाद की जड़ में तत्कालीन व वर्तमान लेखपालों की बड़ी भूमिका है ।

प्रदेश के मुखिया योगी जी का फरमान है कि भू माफियाओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाय लेकिन बलिया की सदर तहसील में तो भू माफियाओं को सरकारी कर्मियों की ही शह पर खूब फलने फूलने का मौका मिल रहा है,कार्यवाही की बात तो दूर की कौड़ी है । 

आइये इस भू माफिया व तहसील कर्मियों /लेखपालों की सांठगांठ का कुछ सबूत बताते है जिसको देखने के बाद शायद उच्चाधिकारियों की आंखे खुल जाए और तहसील भू माफिया विहीन हो सके --

12 एयर जमीन खरीद कर बेच दी 56 एयर ,सबका दाखिल खारिज भी हुआ

सबसे हैरान करने वाला व क्षेत्रीय लेखपाल (वर्तमान व तत्कालीन ) की संलिप्तता का सबूत बलिया एक्सप्रेस के हाथ लगा है । इस सबूत के अनुसार गंगा देवी पत्नी संत बख्स निवासी निधरिया बलिया ने 23 अप्रैल 2010 को प्रशांत आदि से 12 एयर भूखंड बैनामा कराया । लेकिन सरकारी मुलाजीमो की मेहरबानी कहे या सहभागिता सरकारी दस्तावेजों में गंगा देवी की जमीन का रकबा 12 एयर की जगह 12 डिसमिल दर्ज हो गया । अब यही से फ्राड करने की जमीन तैयार होती है और गंगा देवी पत्नी संत बख्स एक दो नही सात लोगो को रजिस्ट्री करके 56 एयर भूमि बिक्री कर देती है जबकि 12 डिसमिल के हिसाब से भी 48 डिसमिल ही जमीन होती है । सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि सभी क्रेताओं का नाम सरकारी दस्तावेजों में भूमिधर के रूप में दर्ज भी हो गया है ।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्षेत्रीय लेखपाल है,राजस्व निरीक्षक है,नायब तहसीलदार है,इन लोगो की क्या जिम्मेदारी होती है ? बिना जांच पड़ताल किये ही बैनामा वाले व्यक्ति का नाम सरकारी अभिलेखों में दर्ज कर दे ? अगर ये लोग थोड़ी भी सतर्कता बरतते तो ऐसे भू माफिया को फलने फूलने का मौका नही मिलता । अगर संध्या देवी पत्नी रामेश्वर यह आरोप लगाती है कि क्षेत्रीय लेखपाल की शह पर गुंडा टैक्स की मांग की जा रही है तो इसमें गलत क्या है ।

आइये आपको गंगा देवी पत्नी संत बख्स द्वारा 12 एयर की जगह 56 एयर जमीन किसको किसको और कब बिक्री की गई उसका विवरण नीचे दे रहे है ----

न्यायालय तहसीलदार बलिया द्वारा आदेश दिनांक 20 फरवरी 13 के अनुसार बिक्रेती गंगा देवी पत्नी संत बख्स का नाम खारिज कर क्रेती अनिता देवी का नाम निधरिया के खाता संख्या 45 आराजी नम्बर 62 में से 6 एयर भूखंड पर दर्ज किया जाय ।

इसी तरह 19 नवम्बर 14 को आदेश हुआ कि उपरोक्त भूखंड से 8 एयर पर गंगा देवी का नाम खारिज कर क्रेती जमीला खातून का नाम दर्ज किया जाय ।

इसी प्रकार 4 फरवरी 15 को आदेश हुआ कि गंगा देवी का नाम खारिज कर 6 एयर जमीन पर देवंती देवी का नाम दर्ज किया जाय ।

23 मार्च 2015 को आदेश हुआ कि गंगा देवी का नाम खारिज कर 6 एयर जमीन पर दुर्गावती देवी का नाम दर्ज किया जाय ।

23 अप्रैल 2015 को आदेश हुआ कि गंगा देवी का नाम खारिज कर  12 एयर जमीन पर शबाना परवीन का नाम दर्ज किया जाय ।

8 जनवरी 16 को आदेश हुआ कि गंगा देवी का नाम खारिज कर 6 एयर जमीन पर मंजू देवी का नाम दर्ज किया जाय ।

29 अक्टूबर16 को आदेश हुआ कि गंगा देवी का नाम खारिज कर 12 एयर जमीन पर सरताज जमानी पत्नी सरफराज हुसैन का नाम दर्ज हो ।

उपरोक्त तो सदर तहसील में फैले भ्रष्टाचार की एक बानगी भर है । अगर जिलाधिकारी बलिया द्वारा उच्च स्तरीय जांच करा दी जाएगी,तो बहुत सारे सफेदपोशों के भी चेहरे भू माफिया के रूप में सामने आ जाएंगे और इनको लाभ पहुंचाने में संलिप्त कर्मचारी भी बेनकाब हो जायेगे ।

मृतक सरकारी सेवानिवृत्त कर्मी की रिपोर्ट लगाने के लिये 4 हजार

स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त कर्मी इन्द्रासन की मौत लगभग 4 माह पूर्व हुई थी । मृतक के वारिसों में मात्र एक बेवा लड़की एकमी देवी पत्नी स्व श्रीकांत निवासी जगदीशपुर बलिया है । एकमी देवी ने मृतक इन्द्रासन के 29 दिन के पेंशन के पैसे को निकालने के लिये आवेदन किया है ,जिसकी जांच क्षेत्रीय लेखपाल को लगभग 3 माह पूर्व मिली है । लेखपाल साहब इस गरीब से रिपोर्ट लगाने के नाम पर चढ़ावे के रूप में 4 हजार की मांग रखते है,इस गरीब द्वारा किसी तरह जुगाड़ करके इनको 2 हजार दे दिया गया है । लेकिन 2 हजार और न मिलने के कारण अभी तक साहब रिपोर्ट नही लगाये है । बता दे कि इन्द्रासन चतुर्थ श्रेणी कर्मी था जिसकी पेंशन 20 हजार से अधिक नही हो सकती है । इसमें भी 4 हजार का चढ़ावा,यह तहसील के भ्रष्टाचार को बतलाने के लिये काफी है ।

इस सम्बंध में जब क्षेत्रीय लेखपाल से संपर्क किया गया तो उनका कहना है कि महिला का आरोप बेबुनियाद है । मेरे द्वारा 3 माह पहले ही रिपोर्ट ट्रेजरी को भेज दी गयी है । ऑफिस खुलने के बाद इसका साक्ष्य भी उपलब्ध करा दूंगा ।