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व्हाट्सएप्प को टक्कर देने आ गया स्वदेशी व सरकारी एप्प संदेश

 


नईदिल्ली ।। केंद्र की मोदी सरकार ने व्‍हाट्सएप को टक्‍कर देने के लिए एक स्‍वदेशी इंस्‍टैंट मैसेज प्‍लेटफॉर्म संदेश को विकसित किया है। लोकसभा में रोड़मल नागर द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में इलेक्‍ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्‍य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यह जानकारी बुधवार को प्रदान की।

राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र एनआईसी), इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इंस्‍टैंट मैसेज प्‍लेटफॉर्म के लिए एक स्‍वदेशी समाधान सैंड्स संदेश विकसित किया है। संदेश सैंड्स एक खुला स्रोत आधारित, सुरक्षित, क्‍लाउड सक्षम प्‍लेटफॉर्म है जिसे सरकारी इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर पर होस्‍ट किया गया है ताकि सामरिक नियंत्रण भारत सरकार के पास बना रहे।


इसमें वन-टू-वन और ग्रुप मैसेजिंग, फाइल और मीडिया शेयरिंग, ऑडियो वीडियो कॉल और ई-गवर्नेंस एप्‍लीकेशन इंटीग्रेशन आदि जैसे फीचर्स दिए गए हैं। इस प्‍लेटफॉर्म का उपयोग सरकार द्वारा किया जा रहा है और यह गूगल प्‍ले स्‍टोर और एप्‍प स्‍टोर पर उपलब्‍ध है।

फेसबुक, ट्विटर और अन्‍य विदेशी सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा क्‍या उपाय किए गए हैं इस सवाल पर राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 में परिभाषित मध्‍यस्‍थ हैं। यूजर्स के लिए सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म की जवाबदेही सुनिश्चित करने और यूजर्स सुरक्षा को बढ़ाने के लिए, सरकार ने इस अधिनियम के तहत सूचना प्रौद्योगिकी मध्‍यस्‍थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है, जो सोशल मीडिया मध्‍यस्‍थों सहित सभी मध्‍यस्‍थों द्वारा सम्‍यक तत्‍परता का अनुपालन करने को विनिर्धारित करता है।

इन नियमों में फेसबुक, ट्विटर आदि जैसे महत्‍वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज द्वारा अनुपालन की जाने वाली अतिरिक्‍त सावधानी बरतने का भी प्रावधान किया गया है।


केंद्र सरकार ने इंस्‍टैंट मैसेज ऐप WhatsApp को टक्कर देने के लिए स्वदेशी विकल्प संदेश नाम के ऐप को विकसित किया है। हालांकि अभी तक इसका इस्तेमाल सिर्फ सरकारी कर्मचारियों और उन एजेंसियों के बीच आंतरिक रूप से किया जा सकता है, जो सरकार से जुड़े हैं। व्हाट्सऐप की तरह नए एनआईसी प्लेटफॉर्म का यूज किसी भी व्यक्ति के मोबाइल नंबर या ईमेल के साथ सभी प्रकार के कम्युनिकेशन के लिए किया जा सकता है। ऐसे में जानिए कि संदेश को क्यों बनाया गया और यह कैसे काम करता है।



क्यो पड़ी स्वदेशी व्हाट्सएप एप्प बनाने की

दरअसल, स्वदेशी मैसेजिंग ऐप विकसित करने का विचार मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान ही आया था, जबकि इस पर वास्तविक काम 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ।

मार्च 2020 में कोरोना महामारी फैल गई और देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया तो सरकार ने इस प्रक्रिया को तेजी से ट्रैक किया, क्योंकि सरकारी कर्मचारियों के बीच बातचीत को सुरक्षित करने की जरूरत महसूस की गई थी, जो घर से काम करते समय संवेदनशील नीतिगत मामलों पर संवाद कर रहे थे। एनआईसी ने अपना पहला वर्जन अगस्त 2020 में जारी किया।

आधिकारिक बातचीत को सुरक्षित करने के लिए हाई लेवल विचार विमर्श के बाद राष्‍ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने गवर्नमेंट इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम (जीआईएमएस) पर काम करना शुरू कर दिया, जो एक ओपन सोर्स, क्लाउड इनेबल्ड, एंड टू एंड एनक्रिप्टेड ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत सरकार के डेटा सेंटर पर होस्ट किया गया है। संदेश सरकार और नागरिकों के बीच तुरंत और सुरक्षित मैसेज भेजने के लिए एनआईसी की ओर से विकसित किया गया स्वदेशी प्लेटफॉर्म है।

अन्य ऐप की तरह ही पहली बार यूजर को रजिस्ट्रेशन करने के लिए इसे एक वैध मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी की आवश्यकता होती है। Sandes के एंड्रॉइड और iOS वर्जन https://gims.gov.in पर उपलब्ध हैं। सैंड्स में ईमेल और मोबाइल आधारित सेल्फ रजिस्ट्रेशन, वन-टू-वन और ग्रुप मैसेजिंग, फाइल और मीडिया शेयरिंग, ऑडियो वीडियो कॉल के साथ चैटबॉट सक्षम डैशबोर्ड शामिल हैं।