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स्वयं सहायता समूहों को कोटे की दुकान देने वाला शासनादेश असंवैधानिक, उच्च न्यायालय ने किया रद्द



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लखनऊ ।। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कोई भूखा न मरे, टिप्पणी के साथ कोटे की दुकानें आवंटित करने में स्वयं  सहायता समूहों को वरीयता देने वाले शासनादेश को असंवैधानिक व शून्य करार दिया।


जस्टिस एआर मसूदी ने यह फैसला शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनाया। इनमे सात जुलाई 2020 के इस शासनादेश को रद्द करने का आग्रह किया गया था। कोर्ट ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 47 के अंतर्गत यह मूल कर्तव्य है कि कोई भूखा न मरे इस जीवन के मूल अधिकार अंग के रूप में भोजन के अधिकार के तहत पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि इसके बिना गरिमामय जीवन का अस्तित्व समझ से परे हैं।


जीवन के मौलिक अधिकार को नया आयाम देने वाली व समाज के वांछित तपके के हितों को संरक्षित करने वाली यह टिप्पणी कोर्ट ने मौजूदा हालात में सुनाए गए फैसले की शुरुआत में की है।


कोर्ट ने कहा कि प्रश्नगत शासनादेश को जब यूपी पंचायत राज अधिनियम के संबंधित प्रावधान के साथ पढ़ा जाता है तो यह संविधानिक प्रावधानों के उद्देश्यों को मात देने वाला है।