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दीपक तले अंधेरा : नोडल के नाक के नीचे धड़ल्ले से चल रहा है बिना रजिस्ट्रेशन व मानक के निजी अस्पताल, मरीजो के जीवन के साथ हो रहा है खिलवाड़,जनपद भर में फैला है अवैध अस्पताल, अल्ट्रासाउंड, पैथालॉजी का मकड़जाल

 



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। दीपक तले अंधेरा की कहावत आप लोगो ने बचपन से लेकर अबतक न जाने कितनी बार सुनी होगी लेकिन आज मैं आपको यह दिखाने जा रहा हूँ । बता दे कि बलिया में प्राइवेट अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन व बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल न चले इसके लिये बलिया में डॉ वीरेंद्र कुमार को इसके लिये नोडल अधिकारी बनाया गया है । इस डॉक्टर साहब के पास कार्यो का बोझ इतना है कि ये झोलाछाप अस्पतालों की तरफ देखने का समय ही नही निकाल पाते है या देखना ही नही चाहते है, यह तो डॉ कुमार ही बता सकते है लेकिन इनकी नाक के नीचे ही अगर दो वर्षों से बिना रजिस्ट्रेशन के अस्पताल संचालित हो रहा हो, और कार्यवाही अबतक न हुई हो, इससे तो इनकी कार्यशैली संदेह के दायरे में तो आ ही जाती है । यह तब और संदेह को बढ़ाता है जब इनके चार्ज वाले अस्पताल से महज 500 मीटर की ही दूरी पर कोई अनाधिकृत रूप से अस्पताल चल रहा हो ।

जी हां, एडिशनल सीएमओ डॉ वीरेंद्र कुमार के पास वर्तमान में जनपद भर के प्राइवेट अस्पतालों के रजिस्ट्रेशन,फर्जी अस्पतालों को बंद कराने की जिम्मेदारी के साथ ही जनपद भर में पैथालॉजी के भी रजिस्ट्रेशन व झोलाछापों के खिलाफ कार्यवाही करने व सीएचसी रसड़ा व सरायभारती के एमओआईसी का भी प्रभार के साथ जनपद स्तरीय अन्य प्रभार भी है । यह अलग बात है कि तत्कालीन जिलाधिकारी बलिया के आदेश के बाद तत्कालीन सीएमओ द्वारा जारी 9 अगस्त 2019 के स्थानांतरण आदेश का पालन करते हुए इनके जैसे लेवल 4 व 4 के चिकित्साधिकारियों ने अपना अपना चार्ज दूसरे चिकित्सको को दे दिया । यह अलग बात है कि कमाऊ सीट को कोई इतनी आसानी से थोड़े छोड़ता है,दो को छोड़कर सभी आज भी पुरानी जगह ही कार्य कर रहे है । सच मानिये तो इन लोगो के सामने चाहे शासन का आदेश हो या जिलाधिकारी का कोई मायने रखता ही नही है ।

डॉ वीरेंद्र कुमार अधिकतर सीएचसी रसड़ा पर ही रहते है । इसी सीएचसी से लगभग 500 मीटर की दूरी पर कोटवारी मोड़ पर एक तथाकथित चिकित्सक (इस लिये कि न तो इनका कोई कागजात सीएमओ कार्यालय में जमा है, न ही इनकी डिग्री ही अस्पताल में टांगी गयी है )डॉ विनय कुमार वैष्णवी सेवा सदन व जच्चा बच्चा केंद्र कोटवारी मोड़ ,रसड़ा बलिया ,विगत 2017 से चला रहे है और आजतक रजिस्ट्रेशन नही कराये है । ऐसे में सवाल उठता है कि बिना रजिस्ट्रेशन के कोई अस्पताल चल रहा है तो उसके लिये जिम्मेदार कौन है ? और अगर इस अस्पताल में किसी की जान चली जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा ? यह अस्पताल सरकारी मानकों को कितना पूरा करता है,वीडियो में साफ दिख जाएगा ।







नोडल साहब के कार्यकाल में जनपद में अवैध नर्सिंग होम और अवैध पैथालॉजी की भरमार हो गयी है । रोज ऐसे केंद्रों पर सैकड़ो की जिंदगियां झोलाछापों के हाथों संकट में होती है,लेकिन साहब है कि हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है । आलम यह है कि देहात को छोड़िये बलिया शहर में मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय के आसपास अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर,पैथालॉजी की भरमार है लेकिन न तो नोडल अधिकारी को ,न ही सीएमओ साहब को ही फुर्सत है कि देहात न सही शहर से तो अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड केंद्रों व पैथालॉजी से मुक्त क्षेत्र बना दे ।