मांडव गीत का चलाया गया वर्कशॉप
अरविंद चित्रांश
आजमगढ़ ।। भारतीय लोक परंपरा को जिंदा रखने हेतु लोकनाट्य 'बिटिया की विदाई' के पारंपरिक व संस्कार गीतों का संगीतमय वर्कशॉप अरविंद चित्रांश के संयोजन और अमित ओझा के निर्देशन में गायक तुषार सिंह और ढोलक वादक विशाल के साथ लगभग सैकड़ों बच्चों द्वारा चलाया गया,
बेटियां ईश्वर की गढ़ी वह खूबसूरत कृति है,जिसके बिना सृष्टि की कल्पना ही नहीं की जा सकती, इसी बात को दर्शाते हुए अरविंद चित्रांश द्वारा लिखित पारंपरिक संस्कार गीतों पर आधारित लोकनाट्य 'बिटिया की विदाई' के माँड़व गीत कुछ इस तरह से-
हरि हरि बाबा बंसवा कटईहा,
ऊंचे ऊंचे मँड़वा छवाई हो ना,
तेही भीतर बाबा बंसवा धरईहा,
मानिक क दियना जराई हो ना,
भारतीय लोकरंग में जो महत्व है,वह दुनिया के किसी कोने में नहीं मिलता, लुप्तप्राय लोकगीत, संस्कार व मांगलिक गीत जो दादी,नानी और मां के पास ही सुरक्षित है,जिसे आज की पीढ़ी इस तरह से पारंपरिक संस्कारगीत,लोकगीत को बाजारवाद के कारण भूलती जा रही है,जिसको बेटियों के साथ आम जनमानस के अंदर फिर से जागृत करने की आवश्यकता है,इसी कड़ी में लेखक/निर्देशक और लोककला संरक्षक अरविंद चित्रांश ने प्रचार प्रसार के लिए कमर कसते हुए जगह-जगह संगीतमय वर्कशॉप लगाकर बच्चों को इसके महत्व को बताने की शुरुआत करते हुए निशुल्क पुस्तक का वितरण किये,
अमित संगीत महाविद्यालय और अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगम भारत के संयुक्त तत्वाधान में पारंपरिक लोक संस्कार गीतों पर सैकड़ों बच्चों के साथ संगीतमय वर्कशॉप का निर्देशन अमित ओझा और संयोजन अरविंद चित्रांश, गायक तुषार सिंह और ढोलक पर विशाल द्वारा सैकड़ों बच्चों का अद्भुत संगीतमय संयोजन देखने और सुनने को मिला,आने वाला समय में इस तरह के पारंपरिक लोकगीतों का संगीतमय वर्कशॉप और प्रदर्शन से आम जनमानस के साथ बेटियों के अंदर संस्कार,सभ्यता और संस्कृति का वास होगा,जिससे बेटियां अपने हिस्से के सम्मान की हकदार होंगी ।