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जेएनसीयू की एलएलबी टॉपर लतिका सिंह ने कहा -लड़कियों की पहुंच से अब कोई क्षेत्र नही है परे



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। बेटियां बेटो से कम नही है, इसको जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय बसंतपुर बलिया की विश्वविद्यालय टॉप करने वाली 21 लड़कियों ने साबित किया है । बता दे कि इस वर्ष कुल 32 छात्र छात्राओं को गोल्ड मैडल मिला है जिसमे 21 लड़कियां और मात्र 11 लड़के है । 21 टॉपर छात्राओं में से एक है लतिका सिंह जिन्होंने इस वर्ष एलएलबी की उपाधि हासिल करने के साथ विश्वविद्यालय में सर्वाधिक अंक के साथ गोल्ड मेडल हासिल किया है । यह भी बता दे कि लतिका ने 2009 में इंग्लिश लिटरेचर से पोस्ट ग्रेजुएशन की उपाधि भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय को टॉप करते हुए ही हासिल की थी । 

कहते है कि बच्चों की शिक्षा दीक्षा में पारिवारिक वातावरण का विशेष प्रभाव पड़ता है । लतिका का पारिवारिक माहौल ऐसा मिला जिसमे बेटे बेटी में फर्क नही होता था । अपने अभियंता पिता इंजी विनोद कुमार सिंह व माता गीता सिंह (गृहिणी) की दुलारी लतिका शुरुआत से ही पढ़ने में रुचि रखने वाली बालिका थी । जब लतिका स्नातक की पढ़ाई कर रही थी तो 2005 में शादी के पवित्र बंधन में बंध गयी । शादी के बाद हर लड़की की ख्वाहिश होती है कि उसकी ससुराल भी मायके जैसी ही मिले, पर अमूमन होता ऐसा नही है । लेकिन लतिका की किस्मत यहां भी अच्छी निकली और इसके ससुराल का माहौल भी पढ़ाई लिखाई का था । लतिका का पढ़ाई के प्रति रुझान को देखते हुए पति डॉ शिशिर कुमार सिंह (असिस्टेंट प्रोफेसर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ होमियोपैथ कोलकाता) और श्वसुर डॉ ओपी सिंह (सेवानिवृत्त डायरेक्टर ,सरदार बल्लभ भाई पटेल विश्वविद्यालय मेरठ ) ने हतोत्साहित नही किया बल्कि इसकी पढ़ने की ललक को और जागृत किया । नतीजा यह निकला कि लतिका ने अंग्रेजी साहित्य से 2009 में परास्नातक की परीक्षा में इलाहाबाद विश्वविद्यालय को टॉप कर गोल्ड मेडल हासिल किया ।

2009 के बाद अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलता के साथ निभाते हुए (लतिका की दो बेटियां है -शितिका 13 वर्ष व लक्षिका 8 वर्ष ) जब पुरुष प्रधान क्षेत्र एलएलबी की पढ़ाई शुरू की तो नतीजा फिर से विश्वविद्यालय टॉप का निकला । लतिका का मानना है कि आज कोई भी क्षेत्र ऐसा नही है जिसमे महिलाओ ने डंका नही बजाया है ।

बलिया एक्सप्रेस ने लतिका से उसके घर जाकर बातचीत की और लतिका की सोच को जानने की कोशिश की । लतिका ने बताया कि चाहे पुरुष हो या महिला सभी को अपने अपने अधिकार जान लेने से काम नही चलेगा । कहा कि अधिकार तो सभी जताते है/बताते है लेकिन अपनी ड्यूटी बताने का जब समय आता है तो चुप्पी साध ली जाती है । लड़कियों को संदेश देते हुए कहा कि सिर्फ अपने अधिकार जानने से काम नही चलने वाला है,अधिकार के साथ अपनी ड्यूटी को भी निभाना है । पुरुष प्रधान क्षेत्र वकालत में आने की सोच कैसे पैदा हुई ? के जबाब में लतिका ने कहा कि आज कोई भी क्षेत्र महिलाओ की पहुंच से परे नही है । मेरी सोच है कि वकालत का पेशा भी लोगो की सेवा करने का है । इस पेशे के माध्यम से लोगो को, खासकर महिलाओं को मैं उनको अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने का काम करूंगी ।

आइये सुनते है कि बलिया एक्सप्रेस से लतिका सिंह ने क्या कहा --


लतिका सिंह का मायका रसड़ा के कोप कुरेम गांव में है । लतिका ने चितबड़ागांव के हरिशंकर प्रसाद विधि महाविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की है । अपनी सफलता का श्रेय यहां के प्राचार्य, अपने पति,श्वसुर सास,माता पिता व भाई के साथ अपनी छोटी बच्चियों को दिया है ।