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अदिति सिंह : एक ऐसी महिला प्रशासनिक अधिकारी जिसके आगे बाधाएं भी मांगती है पानी



मधुसूदन सिंह

बलिया ।। नव नियुक्त डीएम बलिया अदिति सिंह का नाम आते ही जेहन में एक ऐसी युवा महिला की तस्वीर आ जाती है जो कभी भी परिस्थितियों की दास नही रही बल्कि परिस्थियां चाहे कैसी भी हो उसको ही अपना दास बना लिया । चाहे कार्यक्षेत्र में आया विकटम क्षण हो या पारिवारिक जीवन की उलझनें ,निर्णय लेने में तनिक भी देर नही की और हर चुनौती का अबला की तरह नही सबला की तरह सामना किया और जीत की भी रही । जन्म के बाद से ही आईएएस माता पिता के साथ रहते हुए अदिति सिंह ने प्रशासनिक अधिकारी की ट्रेनिंग अनौपचारिक रूप से तो ले ही ली थी,आईएएस बनने के बाद औपचारिक ट्रेनिंग भी ले ली । यही कारण है कि एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप इस महिला ने कभी झुकना नही सीखा ।



सामाजिक ढ़कोरपंथी रीति रिवाजों को भी तोड़ा

हमारे हिन्दू धर्म मे माता पिता का अंतिम संस्कार करने के लिये पुत्रो को,पौत्रों को,प्रपौत्रों को, सगे भाइयों या नातेदार पुरुषों को अधिकार दिया गया है । इनके न रहने पर राजा को या गांव के प्रधान तक को यह अधिकार मिला हुआ है लेकिन सगी लड़कियों को ऐसा करने से मनाही है । अंतिम संस्कार करने की तो छोड़िए शमशान घाट जाने तक की मनाही है । लेकिन अदिति सिंह ने हापुड़ की जिलाधिकारी रहते हुए अपने 74 वर्षीय पिता डीपी सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी) की मौत होने पर न सिर्फ हापुड़ के ब्रजघाट नामक शमशान घाट तक अर्थी को उस बाप को कंधा लगाते हुए अंतिम विदाई दी जिन्होंने कभी अदिति को कंधे पर घुमाया था,बल्कि शमशान घाट में पिता को मुखाग्नि देकर ढकोरपंथी रूढ़िवादी मान्यताओं को भी जलाया जो बेटियों को बेटो से कमतर आंक कर मुखाग्नि देने से रोकती है ।

बचपन से ही अपने माता पिता को आदर्श मानकर अपनी पढ़ाई करने वाली अदिति सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक,परास्नातक (राजनीति शास्त्र)में करने के बाद राजनीति शास्त्र में ही एम फिल ,करने के बाद और अपने पिता से प्रेरणा लेते हुए 2009 में अच्छी रैंकिंग के साथ आईएएस बनकर यूपी कैडर हासिल किया ।

कोरोना वॉरियर हापुड़ की डीएम अदिति सिंह
कोरोना वॉरियर हापुड़ की डीएम अदिति सिंह

कोरोना संक्रमण काल मे अदिति सिंह सुपर वूमेन के रूप में दिखी । इस काल मे जहां लोग घरों से निकलने से डरते थे,अनजानों को छोड़िये अपनो से मिलने से भी खौफ खाते थे,ऐसी विकट परिस्थितियों में भी एक नन्ही बच्ची की मां होते हुए भी अदिति सिंह ने जिस तरह से जिलाधिकारी हापुड़ के रूप में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन संजीदगी के साथ किया,वह किसी से भी छुपा नही है । जब सड़को पर कोई भी आदमी नही दिखता था,पुलिस का खौफ चरम पर था, ऐसे में दिल्ली से पैदल चलकर हापुड़ की सीमा में पहुंचने वाले हजारों बिहारी मजदूरों को अदिति सिंह ने दुत्कारा नही की उनको सलीके से क्वारनटीन कराया,खाने पीने रहने की व्यवस्था कराकर यह साबित किया कि क्यो महिला को ममता का दूसरा रूप कहा जाता है ।

बेटियों को सपोर्ट देने व लड़को के परवरिश के ढंग को रीकंडीशन पर जोर

अदिति सिंह जहां अपने ऐसे माता पिता की एकलौती औलाद है जिनके लिये दुनिया का हर सुख ऐशोआराम मौजूद था,बावजूद इन लोगो ने अदिति को ही लड़के की तरह परवरिश दी ,आज अदिति भी इसी राह पर चल रही है । प्रशासनिक अधिकारी पति से अनबन के बाद भी अदिति सिंह टूटी नही बल्कि और मजबूत बनकर उभरी है । एक तरफ जहां हनक और कठोर कार्यवाही करने वाली जिलाधिकारी के रूप में सुविख्यात है तो वही इनके दिल मे ममत्व भी कूटकूट कर भरा है । यह सिर्फ अपनी ही बेटी के सम्बंध में नही सोचती है बल्कि यह समाज की हर बेटियों की चिंता करती है । समाज की बेटियों के प्रति जो नकारात्मक सोच है, उसके खिलाफ आवाज उठाती है और बेटियों को भी बेटो की तरफ सम्मान व पढ़ने लिखने का अधिकार देने की वकालत करने के साथ हर माता पिता से विनती भी करती है,जागरूक भी करती है ।

अदिति सिंह का मानना है कि वक्त आ गया है जब बच्चो के परवरिश के ढंग को री कंडीशन किया जाय । समाज मे बढ़ रहे महिला यौनाचारों पर रोक परिवार में लड़कों को लड़कियों के प्रति सोच को बदलकर ही लगाया जा सकता है । आज हर माता पिता का दायित्व हो गया है कि वह अपने लड़को को लड़कियों को देखने के नजरिये को बदले और उनके अंदर लड़कियों को आदर व सम्मान वैसे ही देने की आदत डालें जैसे अपने परिवार की महिलाओं के प्रति दिखाते है ।

आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कम नही है । जरूरत है सिर्फ इनको प्रोत्साहन देने की, सहारा देकर इनके अंदर  आत्मविश्वास पैदा करने की । सिर्फ बेटो से वंश की सुकीर्ति होगी इस धारणा को अब समाज से निकाल कर फेकने की जरूरत है क्योंकि बेटो से तो केवल एक कुल की सुकीर्ति फैलती है लेकिन बेटियां तो मायके व ससुराल दोनों कुलो की सुकीर्ति में सहभागी होती है ।

विवादों से भी रहा चोली दामन का सम्बंध

प्रशासनिक अधिकारी हो और वह विवादों में न रहे, ऐसा संभव ही नही है । अदिति सिंह भी विवादों से अछूती नही रही । उन्नाव का जिलाधिकारी रहते हुए इनके ऊपर तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार के केस में बहुत दिनों तक बचाने का आरोप भी लगा, सीबीआई ने भी अपनी जांच में इस बात का उल्लेख किया । ऐसी विषम परिस्थियों में भी अदिति सिंह अपने माता पिता के मार्गदर्शन में टूटने से बचकर और निखरी, जिसकी चमक कोरोना काल मे हापुड़ में देखने को मिला । आज भी अदिति सिंह के प्रशासनिक त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का प्रशासनिक गलियारों में लोहा माना जाता है ।

बलिया का कार्यकाल भी नही होगा कम चुनौती पूर्ण

बागीपन जिस जनपद के तासीर में रचा बसा हो,उस जनपद में बहुत तेज अधिकारियों का कार्यकाल काफी चुनौतीपूर्ण व छोटा होता है । इस जनपद में हमेशा राजनेताओ की चलती रही है । जो प्रशासनिक अधिकारी इनकी मर्जी के खिलाफ जनहित का कार्य करने की सोच भी रखा तो उसका बोरिया बिस्तर यहां से बंध जाता है । जनता से संवाद करना,उसकी बेहतरी के लिये सोच रखने का सर्वाधिकार यहां के राजनेताओ के पास सुरक्षित है । ऐसे बागी जनपद बलिया में अदिति सिंह का कार्यकाल कम चुनौतीपूर्ण नही होने वाला है । यहां विधायक व सांसद एक दूसरे पर तीर कमान लिये हमलावर की मुद्रा में है । स्वास्थ्य विभाग हो या नगर पालिका भ्रष्टाचार का बोलबाला है । जनपद का ऐसा कोई भी विभाग नही है जहाँ भ्रष्टाचार की पैठ नही है । सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट गौ आश्रय केंद्र में भ्रष्टाचार चरम पर है । यहां रहने वाले बछड़ो की सेहत व कद काठी वर्षो बाद भी नही बदलती है,बछड़े दो साल बाद भी बछड़े ही रहते है बैल नही हो पाते है ।

भ्रष्टाचार की 26 शिकायतें जिस नगर पालिका के अधिशाषी अधिकारी दिनेश विश्वकर्मा के खिलाफ चल रही हो,स्थानीय मंत्री तक ने सीएम योगी से लगायत प्रमुख सचिव तक शिकायत की हो,ऐसे अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही न होना,यह चुनौती है । देखना है कि अदिति सिंह क्या कार्यवाही करती है ।

पिछले 8 अगस्त 2020 को तत्कालीन जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने सीएमओ बलिया को शासन के निर्देश पर लेवल 4 व 3 के समस्त चिकित्साधिकारियों को सीएचसी/पीएचसी के वित्तीय व प्रशासनिक दायित्वों से मुक्त करने का आदेश दिया था । इस पत्र के बाद सीएमओ ने 9 अगस्त 2020 को ही सभी को उपरोक्त दायित्वों से मुक्त करके नये लोगो को दायित्व सौप कर इसकी कॉपी जिलाधिकारी के माध्यम से शासन को भेजवा दी । पर हकीकत यह है कि उपरोक्त आदेश जिलाधिकारी व शासन की आंखों में धूल झोंकने के लिये हुआ था, आज भी उपरोक्त सभी लोग 9 अगस्त 2020 के पूर्व जिस दायित्वों का निर्वहन करते थे, उसी को कर रहे है । अब सवाल यह उठता है कि क्या अदिति सिंह जिलाधिकारी/अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति के रूप में जारी पहले आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करवाएंगी ?