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बिना लैब में टेस्ट कराये ही बर्ड फ्लू बताने वाले नगरा में है महान पशु चिकित्सक




बृजेश सिंह

भीमपुरा बलिया ।।  पूरे देश में एक तरफ जहां वर्ड फ्लू की आहट मात्र से दहशत है जिम्मेदारों के कान खड़े है । ऐसे किसी भी संभावित केस का पता लगते ही टेस्ट के लिये मृत जानवर का सेम्पल लैब भेजा जा रहा है । लेकिन बलिया में एक ऐसे भी महान पशु चिकित्सक है जो हाथ से छूकर ही बता सकते है कि मृत पक्षी बर्ड फ्लू से मरा है कि नही । आज कंपोजिट जूनियर हाईस्कूल परिसर भीमपुरा में मृत मिले कौए की जांच करने पहुंचे पशु चिकित्सा अधिकारी नगरा डॉ बी एन पाठक ने कौए को बिना लैब भेजे हाथ सेे छूकर बता दिया कि कौवा वर्ड फ्लू बिमारी से नहीं बल्कि ठंड से मरा है। यही नहीं मातहतों से मृत कौए या उसके पार्ट्स को लैब भेजने के बजाय मिट्टी में दफन करा दिया। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो मृत कौए के सर और पीठ के पंख झड़े हुए थे। सवाल यह है कि क्या लैब भेजे बगैर वर्ड फ्लू नामक बीमारी की पहचान की जा सकती है अगर नहीं तो पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा इतना गैरजिम्मेदाराना रवैया कहां तक जायज है ?

    स्थानीय बाजार में एक ही कैम्पस में जूनियर हाईस्कूल, प्राथमिक, कन्या प्राथमिक, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय संचालित होता है। बुधवार की सुबह जूनियर हाइस्कूल के जर्जर भवन के तरफ एक कौआ मृत पड़ा दिखाई दिया। कौए के मरने की सूचना पाकर वर्ड फ्लू की दहशत से परिसर के सभी कर्मचारी घबरा गए। इसकी सूचना स्थानीय पशु अस्पताल पर दी गयी। पशु अस्पताल से आये कर्मचारियों ने तत्काल इस घटना की जानकारी नगरा के क्षेत्रीय पशु अधिकारी को दी। मौके पर पहुँचे पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ बी एन पाठक ने मृत कौए की जांच करने के बाद कहा कि कौए की मौत ठंड से हुई है। उन्होंने अपने अधीनस्थों को कौए को कहीं खाली स्थान में गाड़ने का निर्देश दिया। बातचीत के दौरान बताया कि अगर वर्ड फ्लू से कौए की मृत्यु होती है तो उनकी संख्या कम से कम तीन चार होती। उनके निर्देश पर पशु अस्पताल के कर्मचारी कौए को खाली जमीन में गड्ढा खोदकर गाड़ दिये।