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स्वामी विवेकानंद को रेत पर आकृति बनाकर दिया श्रद्धांजलि

 




बलिया ।।  सोशल मीडिया पर जहाँ स्वामी विवेकानन्द की जयंती मनाते हुए देखा गया। तो वहीं बाँसडीह तहसील अंतर्गत खरौनी निवासी रूपेश ने रेत पर आकृति बनाकर स्वामी विवेकानंद को श्रद्दांजलि दी है। वाराणसी स्थित काशी विद्यापीठ में फाइन आर्ट्स के अध्ययनरत छात्र रूपेश सिंह के हौसले को  लोग सलाम करते नही थक रहे हैं। दरअसल रूपेश सिंह भले ही सेंड आर्टिस्ट हैं। लेकिन गरीब परिवार से जुड़े रूपेश की तमन्ना है कि अपनी कला के माध्यम से देश का नाम विश्व पटल पर ले जाऊं। यही वजह है कि अपनी दाढ़ी मूँछ बाल तक नही कटवा रहे है। रूपेश का एक यह भी उद्देश्य है कि जब तक गिनीज बुक में नाम दर्ज नही हो जाएगा तब अपनी कला को इसी तरह प्रदर्शित करता रहूँगा। 


" राष्ट्रीय युवा दिवस के साथ ही है विवेकानंद जी की जयंती "

रूपेश का कहना है कि। राष्ट्रीय युवा दिवस के साथ आज स्वामी विवेकानन्द जी की जयन्ती है।स्वामी जी का बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था।उनका जन्म 12 जनवरी,1863 को कोलकाता में हुआ था।उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त तथा माता जी का नाम भुवनेश्वरी देवी था।पिता जी का निधन सन् 1884 में हो गया था।विश्व को स्वामी विवेकानन्द जी के अमूल्य योगदान पर विचार कर संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन् 1984 को ”अन्तर्राष्ट्रीय युवा  वर्ष " के रूप में मनाये जाने की घोषणा की थी। 

स्वामी विवेकानन्द का शरीरान्त 4 जुलाई,1902 को बेलूर मठ, हावड़ा में हुआ था।स्वामी जी अपने महान गुरु राम कृष्ण परमहंस जी के अनन्य अनुयायी थे।वे अपने गुरु के प्रति मनसा-वाचा-कर्मणा पूर्णत: समर्पित थे। स्वामी विवेकानन्द जी ने युवाओं को प्रेरणादायक महान सन्देश देते हुये कहा था- "उठो,जागो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हें तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाये।ब्रह्माण्ड की समस्त शक्तियाँ हमारे भीतर ही विद्यमान हैं।वह हम खुद हैं जिन्होंने अपने-अपने हाथों से अपनी आँखों को बन्द कर लिया है।इसके बावजूद हम चिल्लाते हैं कि यहाँ अँधेरा है।"स्वामी जी को हमारा सादर नमन।उनकी शिक्षाओं और संदेशों का अनुसरण करना ही हमारी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।