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यूपी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव : जाने कैसे होगा इस बार आरक्षण

 




पिछले 25 वर्षों में निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित रहा तो इस बार लाभ नहीं


ए कुमार

लखनऊ ।। यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिये आरक्षण का फार्मूला तय हो गया बताया जा रहा है । इस के अनुसार पिछले 25 वर्षों से अनुसूचित जाति (एससी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित रहे क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी), ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्षों के निर्वाचन क्षेत्रों में इस बार इन जातियों के लिए आरक्षण का लाभ लागू नहीं होगा। यही व्यवस्था एससी, एसटी के लिए आरक्षित रहे क्षेत्रों में भी लागू रहेगी। इस संबंध में जल्द ही शासन के निर्देश जारी हो सकते हैं।


पंचायत चुनाव के निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) में आरक्षण के लिए तैयार प्रस्तावित फार्मूले के मुताबिक, ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों तथा जिला पंचायतों में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र, यानी वार्डों की गणना पहले से तय फार्मूले के अनुसार डीएम के स्तर से की जाएगी। जिला पंचायतों में आगामी सामान्य निर्वाचन के आरक्षण में चक्रानुक्रम (रोटेशन) लागू किया जाएगा।


यानी 1995, 2000, 2005, 2010 एवं 2015 के चुनाव में आरक्षित वर्गों तथा महिलाओं के लिए आरक्षित जिला पंचायतों को इस बार इस वर्ग को नहीं रखा जाएगा। इनमें अवरोही (गिरते हुए) क्रम में अगली स्टेज पर आने वाली जिला पंचायत से आरक्षण दिया जाएगा। इसमें यह शर्त होगी कि यदि आरक्षण का कोटा पूरा करने के लिए जिला पंचायत शेष न हों तो पिछले पांच चुनावों में उस वर्ग के लिए आरक्षित जिला पंचायत में फिर से उसी वर्ग के लिए आरक्षण का निर्धारण हो सकता है। यही फार्मूला क्षेत्र पंचायत (ब्लॉक) प्रमुख पद पर लागू हो सकता है।


इस तरह समझें प्रक्रिया

जिला पंचायत अध्यक्षों या ब्लॉक प्रमुखों के आरक्षण के लिए सबसे पहले जिला पंचायतों को एसटी, एससी और ओबीसी की जनसंख्या के प्रतिशत के आधार पर अवरोही क्रम में सूचीबद्ध किया जाएगा। इनमें 1995 से 2015 तक आरक्षण की स्थिति देखकर फिर से इन वर्गों के लिए आरक्षित नहीं किया जाएगा।


वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश में एससी की जनसंख्या 0.57 प्रतिशत है अर्थात जिला पंचायत में शून्य पद हैं, जबकि आबादी 20.69 प्रतिशत के अनुसार जिला पंचायत अध्यक्ष के 16 पद आरक्षित रहेंगे। ओबीसी का 27 फीसदी आरक्षण है। जिला पंचायत अध्यक्ष के 20 पद पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे। हर क्षेणी में 33 प्रतिशत (कुल 25) पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।


ग्राम पंचायतों में 2015 के आधार पर मिलेगा आरक्षण

ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत सदस्य का आरक्षण तय करने में पिछले 25 सालों के आरक्षण को आधार नहीं बनाया जाएगा। वर्ष 2015 में जो ग्राम पंचायत जिस वर्ग के लिए आरक्षित थी, उस पर उसका आरक्षण नहीं होगा। पिछले साल के आरक्षण से आगे चक्रानुक्रम में सीट तय की जाएंगी। चक्रानुक्रम की शुरुआत एसटी की महिलाओं से होती है।


इसके बाद एससी, एससी महिलाएं, ओबीसी महिलाएं, ओबीसी के लिए आरक्षित की जाती हैं। यदि कोई ग्राम पंचायत 2015 में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी तो इस बार ओबीसी महिला के लिए आरक्षित होगी।


नया निर्वाचन क्षेत्र तभी जब 50 फीसदी से ज्यादा बदलाव

नए नगरीय निकायों के गठन या उनके सीमा विस्तार से यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में 50 फीसदी से अधिक परिवारों का बदलाव हुआ तो उसे नया वार्ड माना जाएगा। तभी उस पर नए सिरे से आरक्षण का निर्धारण होगा।