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कोरोना काल में एनीमिया से बचें :खानपान का रखें विशेष ध्यान

 



बलिया ।। कोरोना काल में इस बात पर विशेष जोर दिया जा रहा है कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होनी चाहिए। वर्तमान जीवन शैली में एनीमिया यानि खून की कमी एक आम समस्या हो गई है, लेकिन इसके प्रति लापरवाही जान जोखिम में डाल सकती है। व्यक्ति के शरीर में आयरन की कमी के कारण जब हीमोग्लोबिन का बनना सामान्य से कम हो जाता है, तब शरीर में खून की कमी होने लगती है। इस स्थिति को ही एनीमिया कहा जाता है। इस समस्या से बचाव के लिए लोगों को जीवनशैली बदलने एवं आयरन युक्त आहार का सेवन करने की जरूरत है। 

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. हरिनन्दन प्रसाद बताते हैं कि एनीमिया शारीरिक व मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है। एनीमिया में हीमोग्लोबिन की कमी होती है। हीमोग्लोबिन ही फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचाता है। यही कारण है कि शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने से ऑक्सीजन की कमी होने लगती है और शरीर को पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती है। जो व्यक्ति अपने संतुलित और स्वस्थ खानपान पर ध्यान नहीं देता है, उसे एनीमिया हो सकता है। ज़्यादातर महिलाओं में एनीमिया की समस्या अधिक देखने को मिलती है। 

डॉ. प्रसाद ने बताया कि वैसे तो बच्चों से लेकर बड़ों तक हर उम्र के लोग एनीमिया ग्रसित हो जाते हैं, लेकिन किशोरावस्था, प्रसव के बाद और रजोनिवृत्ति के बीच की आयु में यह समस्या अधिक देखी जाती है। आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब शरीर में लाल रक्त कणों की कोशिकाओं के नष्ट होने की दर उनके निर्माण की दर से अधिक होती है। उन्होंने कहा कि एनीमिया के लक्षण महसूस होने पर तुरंत किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। 

 डॉ.प्रसाद बताते हैं कि वर्तमान परिस्थिती को देखते हुये इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। ऐसी स्थिति में कोरोना के संक्रमण की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हमें ऐसे समय में अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सर्दी के मौसम में कई प्रकार की हरी सब्जियाँ और साग आती हैं जिसे प्रतिदिन अपने आहार में शामिल किया जाना चाहिए। गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को डाक्टर की सलाह से विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ नीबू, संतरा, आंवले के साथ आयरन की गोलियों का सेवन करना चाहिए। फल व सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर खाना चाहिए। खाना बनाने व खाना खाने से पहले हाथों को साबुन और पानी से अच्छे से धोना चाहिए। 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (2015-16) के अनुसार प्रदेश में 15 से 49 वर्ष की 51%.गर्भवती, 15 से 49 वर्ष के 23.7 प्रतिशत पुरुष और 15 से 49 वर्ष की 52.4 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। जिले की बात करें तो बलिया जिले में 15 से 49 वर्ष की 39.2 प्रतिशत गर्भवती, 48.6 प्रतिशत पुरूष और 26.3 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। एक स्वस्थ महिला में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12 ग्राम प्रति डेसीलीटर और पुरुषों में 14 ग्राम प्रति डेसीलीटर होनी चाहिएं

एनीमिया के लक्षण :- सांस फूलना, थकावट आना, चक्कर आना, घबराहट, एकाग्रता में कमी और आंखों, हथेलियों व नाखून का रंग सफ़ेद होना एनीमिया के प्रमुख लक्षण हैं।

एनीमिया से बचाव - आयरन युक्त भोजन गुड़, चना, हरी पत्तेदार सब्जियां, सोयाबीन, चुकंदर, मूंगफली, मक्खन, अंडे, टमाटर, अनार, शहद, सेब, खजूर, अंकुरित दालें, तिल, बाजरा आदि का सेवन करना चाहिए, इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है।