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योगी सरकार में भी विपक्ष के इशारों पर चलता जिला प्रशासन,कही भाजपा को उठाना न पड़ जाये घाटा

 






प्रशासनिक चूक से उठी विरोध की चिंगारी : कही बिहार चुनाव में भाजपा को पड़ न जाय भारी

मधुसूदन सिंह

बलिया ।। पिछले 15 अक्टूबर 2020 को हुई बैरिया तहसील के दुर्जनपुर में हुई कोटे की दुकान के लिये दो पक्षो की झड़प पहले दिन से ही प्रशासन के एक पक्षीय रुख के कारण उपजी बैरिया विधायक और ठाकुर समाज की विरोध की चिंगारी अब धीरे धीरे ज्वाला बनती जा रही है । अब यह जनपद ही नही प्रदेश की सीमा से निकल कर पूरे देश मे प्रचंड विरोध की किरण बनती जा रही है । अगर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व जल्द ही इस को नही रोकता है तो यह विरोध की चिंगारी के प्रचंड ताप से बिहार चुनाव को भी झुलसने से नही रोका जा सकता है । गलती जिला प्रशासन की और भुगतेगी भाजपा यह निश्चित है ।

छोटी सी मांग : घायलों की भी लिख लो एफआईआर सरकार

पहले दिन से ही भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह का यही रुख रहा है कि दोषियों को मत बख्शो चाहे वो किसी भी दल का हो । अगर धीरेंद्र सिंह गुनाहगार है तो उनको कानून सम्मत जो सजा हो दीजिये लेकिन धीरेंद्र सिंह के परिवार की महिलाओ और अन्य सदस्यों के ऊपर हमला करने वाले ,घर मे लूटपाट करने वाले अपराधियो,बलवाइयों को भी मत बख्शिये । लेकिन बलिया का जिला प्रशासन हत्यारोपी धीरेंद्र सिंह को रिमांड पर लेकर प्रयुक्त असलहा तो खोजने में दिन रात एक किये हुए है लेकिन धीरेंद्र के परिजनों पर किसने हमला किया,किसने लूटपाट की , इसको पता आज 7 दिन बाद भी लगा नही पायी है या यूं कहें कि पता लगाना ही नही चाहती है । यह कांड भी फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह आत्महत्या/हत्या जैसे ही बलिया पुलिस और डीआईजी आजमगढ़ बना चुके है । जिस तरह महाराष्ट्र की तेजतर्रार पुलिस को सुशांत सिंह मामले में आत्महत्या के अलावा हत्या का मामला दिखा ही नही , नतीजन सीबीआई को जांच सौंपी गई । आज बलिया में भी दुर्जनपुर कांड वैसा ही दिख रहा है । विरोधी दल के नेता लगातार सरकार को घेर रहे है लेकिन कई दर्जन इस कांड की वीडियो वायरल होने के बाद बलिया पुलिस को दुर्जनपुर कांड बलवा दिख ही नही रहा है । सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि विधायक सुरेंद्र सिंह के बाद सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने भी दूसरे पक्ष के घायलों की तरफ से एफआईआर दर्ज करने की मांग उठा चुके है लेकिन अब तक कोई सुनवाई नही हुई है ।

योगी सरकार में विपक्ष के इशारों पर चलता प्रशासन

सरकार भाजपा की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ,लेकिन बलिया में दुर्जनपुर कांड में हुई प्रशासनिक कार्यवाही यह साबित करती है कि यहां का जिला प्रशासन विपक्ष के इशारे पर चल रहा है और सरकार को घेरने के लिये मुद्दा दे रहा है । जिस तरह से विपक्षी दलों के प्रतिनिधि मंडलों ने दुर्जनपुर जाकर जातीयता का जहर घोलकर सरकार को बदनाम करने की कोशिश की है उसमें जिला प्रशासन बराबर का जिम्मेदार है । वायरल हुई वीडियोस यह साबित करती है कि वहां हजारों लोगों के बीच बलवा हुआ और इस दरमियान एक व्यक्ति की जान चली गयी लेकिन बलिया पुलिस अपने डीआईजी महोदय की अगुवाई में मानने को तैयार नही है । वही न्याय का तकाजा यह है कि हर पीड़ित को पुलिस संरक्षण दे , उसके खिलाफ हुई ज्यादती के लिए एफआईआर दर्ज कर जांच करके आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करें ,पर बलिया पुलिस यह भी नही कर रही है । विरोधी दलों के प्रदर्शन और प्रतिनिधि मंडलों को गांव में जाकर जातीयता का जहर बोने देती है बलिया पुलिस लेकिन विधायक सांसद और दूसरे पक्ष के समर्थकों की एफआईआर लिखने की मांग को अनसुनी करना क्या विरोधी दलों के इशारों पर चलने जैसा नही है ।

मात्र एफआईआर लिखवाने के लिये निवेदन करने और ठाकुर पक्ष के घायल महिलाओ पुरुषों से मिलने जाने वाले करणीसेना के प्रमुख को रोकना क्या एकपक्षीय कार्यवाही नही है ? विरोधी दलों के नेताओ को जाने की छूट व भाजपा से जुड़े लोगों को जाने पर रोक ?



लखनऊ से वापस लौटे समय धीरेंद्र के परिजनों से बीएचयू में मिलकर वापस बलिया लौटते समय जिस तरह से रसड़ा व बलिया बैरिया में विधायक सुरेंद्र सिंह का स्वागत हुआ है, यह दर्शाता है कि सुरेंद्र सिंह की एफआईआर दर्ज कराने की मांग अब चिंगारी की जगह ज्वाला बन गयी है और समय रहते भाजपा नेतृत्व बलिया जिला प्रशासन व विपक्षी दलों की साजिश को नही रोकता है तो बिहार चुनाव व यूपी के उप चुनाव में बलिया कांड के चलते नुकसान उठाने के लिये तैयार रहे । क्योकि बलिया पुलिस की एकपक्षीय जांच की आंच से जहां विपक्षियों को हमला करने का मौका मिलेगा वही भाजपा को नुकसान होगा । इस लिये यूपी सरकार को चाहिये कि जल्द से जल्द इस कांड की जांच को बलिया पुलिस से लेकर एसआईटी से कराकर दूध का दूध और पानी का पानी कराना चाहिये ।