बार बार टेंडर निरस्त करना, कही बन न जाय बड़े कांड का कारण
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। जल निगम निर्माण खण्ड बलिया के द्वारा आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों के लोगो के घरों में आर्सेनिकमुक्त पेयजल पाइप लाइन के द्वारा पहुंचाने की परियोजना के लिये 17 अलग अलग कार्यो की निविदाओं को अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही कहे या अपने चहेते ठेकेदारों को ईटेंडरिंग के चलते काम न देने की खुन्नस कहिये , इसके टेंडर को लिपिकीय भूल कह कर दो बार निरस्त कर दिया गया है । यह सोचनीय प्रश्न है कि दो पेज के पेपर को निकालने में भी लिपिकीय त्रुटि? यह सीएम योगी के 1 नवंबर से यहां पानी पहुंचाने की घोषणा को पलीता लगाने का कार्य है । ये 17 निविदायें 10 लाख से लेकर 25 लाख रुपये लागत तक की है । दो बार निरस्त हो जाने से जहां छोटे छोटे ठीकेदारों का लाखो रुपये का नुकसान हुआ है वही यह टेंडर ठेकेदारों के मध्य कुछ भी कराने की दहलीज पर धीरे धीरे पहुंच रहा है और इसको पहुंचा रहे है यहां के अधिशाषी अभियंता अंकुर श्रीवास्तव । बता दे कि ऐसे ही टेंडर विवाद में लगभग दो दशक पहले लोक निर्माण विभाग में खूनी संघर्ष हो गया था जिसमे 4 लोगो की एक ही समय हत्या हो गयी थी ।
जब इस सबन्ध में अधिशाषी अभियंता अंकुर श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने दूसरी बार निविदाओं के निरस्त होने के लिये भी लिपिकीय भूल को जिम्मेदार ठहराया । इनके अनुसार निविदा के लिये प्रकाशित सूचना और वास्तविक आगणन में अंतर होने के कारण इसको निरस्त किया जा रहा है । साथ ही यह भी कहे कि सारे कार्यो का एक लॉट बनाकर निविदा आमंत्रित करने की योजना पर भी विचार चल रहा है । जब इनसे कहा गया कि अलग अलग परियोजनाओं को एक कैसे कर सकते है तो जबाब में सिर्फ घुमाने लगे । फिर कहा गया कि एक ही बड़े आदमी के द्वारा कार्य को ले लेने से तो कार्य समाप्त होने की अंतिम तिथि 31 मार्च तक तो काम हो ही नही पायेगा ,तो गोलमोल जबाब देने लगे । यह भी कहे कि अब यह टेंडर अधीक्षण अभियंता के द्वारा निकाला जाएगा ।
अब देखना यह है कि कब तक टेंडर निरस्त होते रहते है और कौन है वह भाग्यशाली ठेकेदार जिसके लिये यह प्रक्रिया बार बार निरस्त हो रही है ?
बाइट इंजी अंकुर श्रीवास्तव अधिशाषी अभियंता जल निगम निर्माण खण्ड