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बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आया ऐतिहासिक फैसला : घटना पूर्व नियोजित नही,हुई अचानक,सभी हुए बरी

बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आया ऐतिहासिक फैसले का पहला कमेंट : घटना पूर्व नियोजित नही,हुई अचानक
           ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले माननीय जज






ए कुमार
लखनऊ ।। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में न्यायाधीश एसके यादव ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है । अदालत ने कहा कि यह घटना क्रम सुनियोजित नही था बल्कि अचानक हुआ ।

फैसले के पहले क्या क्या हुआ

बाबरी केस में जज ने फैसला पढ़ना शुरू किया...

जज सुरेंद्र कुमार यादव फैसला पढ़ना शुरू किया...

लखनऊ सीबीआई हाईकोर्ट में पढ़ा जा रहा है फैसला...

लगभग दो हजार पन्नों का फैसला है...

घटना पूर्व नियोजित नहीं थी : जज...

जज ने कहा-बाबरी घटना अचानक हुई : जज...

साक्ष्य नहीं होने के कारण सभी 32 आरोपियों को बरी किया गया...

घटना रोकने के लिए मंच से लगातार अपील होती रही...

 जज की पहली टिप्पणी- घटना पूर्वनियोजित नहीं थी

जज एस के यादव घटना पूर्व नियोजित नही थी
घटना अचानक हुई थी।

अयोध्या विवादित ढांचा ध्वंस  जज एसके यादव ने फैसला सुनाना शुरू किया :  घटना पूर्व नियोजित नहीं, आकस्मिक थी। साजिश के मजबूत साक्ष्य नहीं है। संगठन ने रोकने का प्रयास किया था।

अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस के सभी 32 लोग बरी करार दिए गए
 बाबरी मस्जिद मामले में सभी आरोपियों को कोर्ट ने बड़ी किया


बाबरी केस में सभी आरोपियों को कोर्ट ने बरी किया आज की सबसे बड़ी खबर आडवाणी जोशी उमा भारती बृजभूषण शरण सिंह सभी के सभी आरोपी बरी



सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 वर्ष के बाद आज माना कि बाबरी मस्जिद विध्वंस में गुम्बद पर चढ़ने वाले सभी आरोपी असामाजिक तत्व थे। 

सभी बड़े नेता जोकि 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नेता सिर्फ भीड़ को रोक रहे थे।

सभी 32 आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने सीबीआई को झटका देते हुए सुनाये गए फैसले में कहा की साक्ष्य के अभाव में बरी किया जाता है।

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 सी बी आई कोर्ट ने बाबरी मस्जिद केस के सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया है ।

यह भी कहा कि मस्जिद का ध्वंस पहले से सुनियोजित नहीं था ।

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सभी आरोपी बरी कर दिए गए हैं, साक्ष्य इतने नहीं थे कि कोई आरोप साबित हो सके । बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाते हुए जज एसके_यादव ने कहा कि वीएचपी नेता अशोक_सिंघल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं. फैसले में कहा गया है कि फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी में जिस तरह से सबूत दिए गए हैं, उनसे कुछ साबित नहीं होता है.