कोरोना संक्रमण के बढ़ने का कारण :लॉक डाउन को लागू करने में पूरी तरह असफल बलिया का जिला प्रशासन
मधुसूदन सिंह
बलिया ।। जिस जनपद में पूरे देश मे कोरोना के संक्रमण के फैलाव होने के वावजूद 41 दिनों तक 1 भी कोरोना का पेशेंट नही था, उस जनपद में अगर कोरोना संक्रमण के स्टेज में पहुंच कर तांडव करने की स्थिति में है तो निश्चित ही सोचनीय प्रश्न है । आखिर इतने बड़े लॉक डाउन के वावजूद अगर कोरोना का प्रसार दिन दूनी रात चौगुनी के स्पीड से बढ़ रहा है तो यह प्रश्न तो उठ ही गया है कि आखिर बलिया का जिला प्रशासन क्या कर रहा है ?
सच माने तो बलिया के जिला प्रशासन ने लॉक डाउन को लगा तो देता है लेकिन उसके क्रियान्वयन में पूरी तरह असफल रहा है , लॉक डाउन की सख्ती तो यहां कभी दिखी ही नही । लॉक डाउन के दरमियान मोबाइल वैन व दुकानों के चयन और इसकी घोषणा करके जिला प्रशासन अपना कर्तव्य पूरा करके मानो सो जाता है । न कही मास्क पहनने की चेकिंग, न कही आवाजाही के प्रतिबंध की चेकिंग । लॉक डाउन ऐसे दिखता है जैसे कोई प्रतिबंध लगा ही न हो ।
दुकानों के चयन, बाजारों के खुलने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की जिम्मेदारी जैसे लगता है प्रशासन ने आम जनता पर छोड़ दी है । बलिया की जनता भी ऐसी की घरों में चिल्लायेगी कि लॉक डाउन सख्ती से न पालन होने से कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है और खुद ही नियमो की धज्जियां उड़ाएगी । बलिया एक्सप्रेस का मानना है कि बलिया में लॉक डाउन का वाराणसी मॉडल लागू करने से ही कोरोना संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है । जबकि बलिया का जिला प्रशासन इस महामारी को रोकने की सारी जिम्मेदारी स्वास्थ्य महकमे पर डालकर अपने कर्तव्य की पूर्ति समझ रहा है । जबकि होना यह चाहिये कि जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीम यह निर्णय करती कि कैसे प्रभावी ढंग से लॉक डाउन को लागू करके कोरोना संक्रमण को रोका जाय, जो नही हो रहा है ।
वाराणसी मॉडल क्यो आवश्यक
आज अगर पूरे प्रदेश में वाराणसी मॉडल की चर्चा हो रही है तो वह अकारण नही है । वाराणसी के डीएम एसएसपी सीएमओ ने संयुक्त रूप से जो कार्य योजना बनाकर लागू किया है, उसकी तारीफ होनी ही चाहिये ।
जिला प्रशासन जो आदेश जारी करता है , वाराणसी का पुलिस प्रशासन उसको सख्ती के साथ लागू करता है तो स्वास्थ्य विभाग पूरी ताकत के साथ संभावित मरीजो के चिन्हित करने व सेम्पलिंग में अपनी पूरी ताकत झोंक रहा है ।बाजारों के खुलने का भी सुस्पष्ट नियम है, आज इस पटरी की दुकानें खुलेगी तो कल दूसरी पटरी की । इसके बावजूद मजाल है कि कोई दुकानदार नियम विरुद्ध दुकान खोल दे या लॉक डाउन में सड़क पर वाहन दिखाई दे दे ।