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फलों और सब्जियों के अर्धप्रसंस्करण के बारे में किया जाए अधिक से अधिक प्रचार- प्रसार :केशव प्रसाद मौर्य



लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि वह फलों और सब्जियों के अर्धप्रसंस्करण के बारे में लोगों को अधिक से अधिक जानकारी दें ।फलों और सब्जियों के अर्धप्रसंस्करण करने से उनको सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि फल एवं सब्जियों के टुकडो़, रस एवं गूदे को रसायनिक परिरक्षक -नमक ,ग्लैशियल एसिटिक एसिड ,पोटैशियम मेटाबाईसल्फाइट इत्यादि की सहायता से संरक्षित किया जाता है।फलो एवं सब्जियों का अर्धप्रसंस्करण ,बाद  मे उनसे तैयार होने वाले प्रसंस्कृत उत्पादों को ध्यान में रखकर करना चाहिए ,ताकि उन्हें आसानी से प्रसंस्कृत  उत्पादो में बदला जा सके। उन्होने निर्देश दिये हैं कि प्रसंस्करण की जाने वाली विधि के बारे में ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार किया जाए ,ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका लाभ उठा सकें।


 निदेशक, उद्यान एवं प्रसंस्करण उत्तर प्रदेश  श्री  एस ०बी०शर्मा ने बताया  कि रासायनिक घोल में फलों और सब्जियों को सुरक्षित रखने का सरल तरीका है ,जिससे इनको खराब होने से बचा सकते हैं तथा बिना मौसम के उनका प्रयोग किया जा सकता है। सब्जियों और फलों के बिना अधिक  व्यय के साधारण रसायनों  का उपयोग करके सुरक्षित रखा जा सकता है।

उन्होंने बताया परिरक्षण के लिए केवल अच्छी प्रकार की सब्जियां व फल  ही काम में लाने चाहिए। सब्जियों जैसे -गाजर, कमलककड़ी ,मूली, अदरक को छीलकर तथा फूलगोभी, शलगम, ककड़ी, खीरा आदि को बिना  छील ही टुकड़ों में काट लें। मटर के दाने निकाल लें। फलों में कच्चे आम की फांके व और पपीता छीलकर काट लें ,जबकि करौंदा साबुत ही रखा जा सकता है। बताया कि सामान्यतः घोल की मात्रा कटी हुयी सब्जियों या फलों के तौल के अनुसार डेढ़ गुनी या दो गुनी रखी जाती है ,लेकिन करौदे या मटर के दानों  (जो सब्जियां साबुत और छोटे आकार की हो)के लिए घोल की मात्रा बराबर रखी जाती है ।घोल तैयार करने के लिए 1 लीटर पानी मे 30 ग्राम नमक, 2 ग्राम पोटैशियम मेटाबाईसल्फाइट  व 8 मि०ली० ग्लेशियल एसिटिक एसिड का घोल तैयार किया जाता है।
 फलों और सब्जियों को इस तरह से घोल मे डाल दिया जाता है कि वह पूरी तरह से डूब जाएं तथा इसको ठण्डे एवं अंधेरे स्थान पर सुरक्षित रखा जाता है। इनको धूप में नहीं रखा जाता है ,क्योंकि कम तापमान पर परिरक्षित पदार्थों की पौष्टिकता व रंग सुरक्षित रहते हैं। परिरक्षित सब्जियों का उपयोग सलाद ,अचार, चटनी, पकोड़े में करना हो, तो इन्हें घोल से निकाल कर सीधे ही इस्तेमाल में लाया जा सकता है ।पकाने के लिए इनका खट्टापन कम करना पड़ता है। 3-4  घन्टे पानी में डुबोकर रखने से खट्टापन दूर हो जाता हैं। इसके लिए ताजे या गुनगुने पानी का प्रयोग किया जा सकता है ।

इस सम्बन्ध  मे अधिक जानकारी के लिए जिला उद्यान अधिकारी /खाद्य प्रसंस्करण अधिकारी/ मंडलीय उपनिदेशक उद्यान/ प्रभारी फल संरक्षण केंद्र से प्राप्त की जा सकती है तथा निदेशालय स्तर से प्रवीन कुमार, उप निदेशक खाद्य प्रसंस्करण ,लखनऊ,( मोबाइल नंबर 7906569262 तथा डा०एस०के०चौहान निदेशक ,क्षेत्रीय खाद्य अनुसंधान एवं विश्लेषण केंद्र, लखनऊ(मोबाइल नंबर 7905176163) से संपर्क किया जा सकता है।