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ईद : प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करने वाला पर्व


नगरा बलिया ।।भारत जहां साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आपसी सद्भावना के कारण दुनिया में एक अलग पहचान बनाये हुए है, वहीं यहां के पर्व−त्यौहारों की समृद्ध परम्परा, धर्म−समन्वय एवं एकता भी उसकी स्वतंत्र पहचान का बड़ा कारण है। इन त्योहारों में इस देश की सांस्कृतिक विविधता झलकती है। यहां बहुत−सी कौमें एवं जातियां अपने−अपने पर्व−त्योहारों तथा रीति रिवाजों के साथ आगे बढ़ी हैं। प्रत्येक पर्व−त्यौहार के पीछे परंपरागत लोक मान्यताएं एवं कल्याणकारी संदेश निहित है। इन पर्व−त्यौहारों की श्रृंखला में मुसलमानों के प्रमुख त्यौहार ईद का विशेष महत्व है। यह त्योहार रमजान के महीने की त्याग, तपस्या और व्रत के उपरांत आता है। यह प्रेम और भाईचारे की भावना उत्पन्न करने वाला पर्व है। इस दिन चारों ओर खुशी और मुस्कान छाई रहती है। हर कोई ईद मनाकर स्वयं को सौभाग्यशाली समझता है।
               इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने को रमजान का महीना कहते हैं और इस महीने में अल्लाह के सभी बंदे रोजे रखते हैं। इसके बाद दसवें महीने की शव्वाल रात पहली चाँद रात में ईद−उल−फितर मनाया जाता है। इस रात चाँद को देखने के बाद ही ईद−उल−फितर का ऐलान किया जाता है। ईद−उल−फितर ऐसा त्यौहार है जो सभी ओर इंसानियत की बात करता है, सबको बराबर समझने और प्रेम करने की बात की राह दिखाता है। इस दिन सबको एक समान समझना चाहिए और गरीबों को खुशियाँ देनी चाहिए।

               ईद के बारे में समाजसेवी व बसपा नेता इश्तियाक अहमद कहते हैं कि रमजान के इस महीने में जो नेकी करेगा और रोजा के दौरान अपने दिल को साफ−पाक रखता है, नफरत, द्वेष एवं भेदभाव नहीं रखता, मन और कर्म को पवित्र रखता है, अल्लाह उसे खुशियां जरूर देता है। रमजान महीने में रोजे रखना हर मुसलमान के लिए एक फर्ज कहा गया है। उन्होंने कहा कि भूखा−प्यासा रहने के कारण इंसान में किसी भी प्रकार के लालच से दूर रहने और सही रास्ते पर चलने की हिम्मत मिलती है।

                   वहीं शहबान ग्रुप ऑफ कॉलेज के एमडी मो इमरान बताते है कि ईद का आगमन मनुष्य के जीवन को आनंद और उल्लास से भर देता है। ईद लोगों में बेपनाह खुशियां बांटती है और आपसी मोहब्बत का पैगाम देती है। ईद का मतलब है एक ऐसी खुशी जो बार−बार हमारे जीवन में आती है और उसे बांटकर बहुगुणित किया जाता है। गरीब से गरीब आदमी भी ईद को पूरे उत्साह से मनाता है। दुख और पीड़ा पीछे छूट जाती है। अमीर और गरीब का अंतर मिट चुका है। खुदा के दरबार में सब एक हैं, अल्लाह की रहमत हर एक पर बरसती है। अमीर खुले हाथों दान देते हैं।

             एनसीएस के प्रबन्धक मो युनूस ने बताते है कि यह कुरान का निर्देश है कि ईद के दिन कोई दुखी न रहे। यदि पड़ोसी दुख में है तो उसकी मदद करो। यदि कोई असहाय है तो उसकी सहायता करो। यही धर्म है, यही मानवता है, यही ईद मनाने का अर्थ है। सिर्फ अच्छे वस्त्र धारण करना और अच्छे पकवानों का सेवन करना ही ईद की प्रसन्नता नहीं बल्कि इसमें यह संदेश भी निहित है कि यदि खुशी प्राप्त करना चाहते हो तो इसका केवल यही उपाय है कि अल्लाह को प्रसन्न कर लो।

रिपोर्ट संतोष द्विवेदी