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नईदिल्ली : शाहीनबाग के प्रदर्शनकारियों को पुलिस व मीडिया पर नही है भरोसा,वार्ताकार से कहा- सुप्रीम कोर्ट दे हमे सुरक्षा,वापस लौटी वार्ताकार

 नईदिल्ली : शाहीनबाग के प्रदर्शनकारियों को पुलिस व मीडिया पर नही है भरोसा,वार्ताकार से कहा- सुप्रीम कोर्ट दे हमे सुरक्षा,वापस लौटी वार्ताकार

नईदिल्ली 22 फरवरी 2020 ।। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त वार्ताकार साधना रामचंद्रन लगातार चौथे दिन शनिवार सुबह प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंची और उन्हें रास्ता खोलने के लिए समझाया। हालांकि चौथे दिन की बात भी बेनतीजा ही रही और साधना रामचंद्रन को वापस लौटना पड़ा । प्रदर्शनकारियों ने साफ तौर पर कहा कि पुलिस व मीडिया पर उन्हें भरोसा नही है । सुप्रीम कोर्ट हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करे ।

सीएए व एनआरसी के विरोध में शाहीन बाग में धरने पर बैठे लोगों ने साधना से कहा कि हमारी सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट आदेश दे। हमारी सुरक्षा पुलिस पर न छोड़ी जाए। प्रदर्शनकारियों ने ये भी कहा कि जामिया और शाहीन बाग के लोगों के ऊपर हुए केस को वापस लिया जाए।

शाहीन बाग की एक दादी ने साधना रामचंद्रन से कहा कि जब सरकार सीएए वापस लेगी तो रोड खाली होगा अन्यथा नहीं। एक दूसरी महिला ने कहा कि अगर आधी सड़क खुलती है तो सुरक्षा और एल्युमिनियम शीट चाहिए।

उन्होंने कहा कि हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस नहीं सुप्रीम कोर्ट ले। उन्होंने कहा कि स्मृति ईरानी ने हमारे बारे में कहा है कि 'शाहीन बाग की महिलाएं बातचीत के लायक नहीं हैं।' जिन लोगों ने शाहीन बाग के खिलाफ बोला है उनके खिलाफ कार्रवाई हो।

शुक्रवार शाम वार्ताकारों की क्या हुई बातचीत

शुक्रवार को बातचीत के दौरान प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकारों से सुप्रीम कोर्ट से सुरक्षा का आश्वासन मांग लिया। वार्ताकारों ने मौके पर मौजूद शाहीन बाग एसएचओ विजय पाल से पूछा कि यदि एक ओर का रास्ता चालू हो जाए तो कोई दिक्कत तो नहीं? पुलिस ने सुरक्षा का भरोसा दिया तो प्रदर्शनकारियों ने लिखित आश्वासन मांगा। वार्ताकारों ने नोएडा की ओर के रास्ते बंद करने पर पुलिस से नाराजगी भी जताई। उनका कहना था कि शुक्रवार को रास्ता चालू करने के बाद दोबारा क्यों बंद किया गया?

अगर कोई गोली चला दे तो...

बातचीत की शुरुआत से पहले मध्यस्थों ने पुरुष प्रदर्शनकारियों को बाहर जाने को कहा, उसके बाद मंच से उतर कर महिलाओं के बीच जाकर वार्ता शुरू की। इस दौरान एक महिला ने कहा कि जामिया के छात्रों ने एक तरफ रास्ता खोला था तो उसका नतीजा पूरी दुनिया ने देखा। जामिया की तरह अगर कोई गोली चला दे तो माहौल तनावपूर्ण हो सकता है। इसलिए कोर्ट सुरक्षा का भरोसा दे तो रास्ता खाली कर देंगे। इस पर हेगड़े ने कहा, फैसला लेने का अधिकार सरकार को है। कुल मिलाकर तीसरे दिन की बातचीत भी बेनतीजा रही। प्रदर्शनकारी बिना आश्वासन बात सुनने को तैयार नहीं हैं।

केवल एक दिन शेष
सुप्रीम कोर्ट ने वार्ताकारों को 24 फरवरी को रिपोर्ट देने को कहा है। इसलिए वार्ताकारों के पास केवल एक दिन बचा है। रविवार को यदि रास्ता खाली करने पर सहमति नहीं बनी तो अगली सुनवाई में इस पर कोई फैसला होगा। वार्ताकार दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से भी बातचीत कर सकते हैं।