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कटुता के बीच यूपी विधानमण्डल दल ने किया सर्वधर्म समभाव के सन्देश का स्वागत ,बोले नेता प्रतिपक्ष :एक शुभ संकेत, तारीफ होनी चाहिए विधानसभा अध्यक्ष,विधानपरिषद सभापति , मुख्यमंत्री योगी जी और विधानमण्डल दल का

कटुता के बीच यूपी विधानमण्डल दल ने किया सर्वधर्म समभाव के सन्देश का स्वागत ,बोले नेता प्रतिपक्ष :एक शुभ संकेत, तारीफ होनी चाहिए विधानसभा अध्यक्ष,विधानपरिषद सभापति , मुख्यमंत्री योगी और  विधानमण्डल दल का

लखनऊ 19 जनवरी 2020 ।। 16 -18 जनवरी तक चले
सातवे राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत प्रक्षेत्र सम्मेलन 2020
 में विधानमण्डल दल, उत्तर प्रदेश ने मेज थपथपाकर गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर और स्वामी विवेकानन्द के विचारों के उन अंशों का जोरदार स्वागत किया जो सर्वधर्म और समभाव का स्पष्ट संकेत देते हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि चौतरफा व्याप्त कटुता और कट्टरपंथ के माहौल के बीच सर्वधर्म और समभाव का संदेश देने वाले इन अंशों के स्वागत की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। मेरी राय है कि इसके लिए उत्तर प्रदेश विधानमण्डल दल की तो तारीफ होनी ही चाहिए, साथ में विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, विधान परिषद सभापति श्री रमेश यादव और  विधानमण्डल दल के नेता योगी श्री आदित्यनाथ की चौतरफा तारीफ होनी चाहिए।
  इस अवसर पर अपने उदबोधन में नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चौधरी ने  गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर की पुस्तक का हवाला देते हुए कहा, "भारत ने हमेशा एक समावेशी सभ्यता की नींव रखी है। उसने कभी किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं भगाया है। कभी किसी को गैर आर्यन कहने वाले किसी व्यक्ति को अपवित्र नहीं किया है। उसने किसी का भी मजाक नहीं बनाया है। भारत ने सभी को स्वीकार किया है।"
नेता प्रतिपक्ष उत्तर प्रदेश श्री रामगोविन्द चौधरी ने गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर के विचार के उक्त अंश को रखने से पहले यह भी कहा है, "भारत देश का इतिहास मानवतावादी सिद्धान्तों पर आधारित रहा है। इसी उदबोधन में आगे उन्होंने यह भी कहा," हमारा संविधान वसुधैव कुटुम्बकम की हमारी मूल संस्कृति पर आधारित है।"
नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चौधरी ने इस उदबोधन में स्वामी विवेकानन्द के शिकागो के उस भाषण को भी कोट किया जिसमें स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है, " मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूँ जिसने दुनियां को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूँ, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इजरायलियों की पवित्र स्मृतियाँ संजोकर रखी है, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़तोड़कर खण्डहर बना दिया था और तब उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी।"
नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चौधरी के इस उदबोधन का सम्पूर्ण विधानमंडल दल ने मेज थपथपा कर स्वागत किया।
वर्तमान में देश का माहौल किसी से छिपा नहीं है। नागरिकता देने के मामले में एक धर्म को छोड़ देने के बाद एनआरसी और एनपीआर को लेकर बड़ी संख्या में लोग धरने पर है। इसे लेकर उत्तर प्रदेश में ही हुए धरना प्रदर्शन में 20 लोगों की जाने जा चुकी हैं। हजारों कानून के शिंकजे में हैं। दिल्ली का शालीनबाग, जामिया मिलिया, जेएनयू समेत देश के अनेकों महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान इसे लेकर भारत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष श्री रामगोविन्द चौधरी इसके पीड़ितों को संविधान रक्षक सेनानी सम्मान और पेंशन देने की घोषणा कर चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी श्री आदित्य नाथ जी इसके धन को लेकर उनके बाप तक को बखान चुके हैं।
ऐसे वातावरण में भी विधानमण्डल ने - इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए लोगों को शरण दी है- का स्वागत किया। यह कोई मामूली बात नहीं है।
मेरी राय है कि सर्वधर्म और समभाव का संदेश देने वाले इस स्वागत के लिए उत्तर प्रदेश विधानमण्डल के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, विधानपरिषद सभापति श्री रमेश यादव और विधानमण्डल दल के नेता मुख्यमंत्री योगी श्री आदित्य नाथ का सदन के बाहर भी चौतरफा स्वागत होना चाहिए। उन लोगों का विशेष रूप से होना चाहिए जिन्होंने कट्टरपंथ और कटुता के माहौल को इस लायक बनाया जिसमें स्वामी विवेकानन्द और गुरुदेव रविन्द्र नाथ ठाकुर के उन विचारों का भी स्वागत किया गया जो कट्टरपंथ और कटुता के गले से नीचे नहीं उतरते।
  याद रहे 16 जनवरी को उत्तर प्रदेश विधानसभा में सातवां राष्ट्रमंडल संसदीय संघ, भारत प्रक्षेत्र सम्मेलन 2020 का पहला दिन था। इस अवसर पर लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला और मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री लालजी टण्डन की भी गतिमाम्य उपस्थिति थी। उत्तर प्रदेश विधानमण्डल दल के सदस्य तो थे ही।