बलिया : गो आश्रय स्थल में बछड़ो के मरने की बहाना है बीमारी, भूखे पेट रहने वाले बछड़ो की मौत के आगोश में जाना है लाचारी, रसड़ा के रघुनाथपुर आश्रय केंद्र में बेजुबानों की मौत का सिलसिला जारी
बलिया : गो आश्रय स्थल में बछड़ो के मरने की बहाना है बीमारी, भूखे पेट रहने वाले बछड़ो की मौत के आगोश में जाना है लाचारी, रसड़ा के रघुनाथपुर आश्रय केंद्र में बेजुबानों की मौत का सिलसिला जारी
संतोष द्विवेदी
नगरा बलिया 15 नवम्बर 2019 ।। एक पुरानी कहावत नगरा ब्लाक के रघुनाथपुर गो आश्रय केंद्र पर सटीक बैठती है -ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया। क्योकि बछड़ो की मौत के बाद जितनी जांच हो रही है , उसी तेजी से बछड़ो के मरने का सिलसिला भी बढ़ता जा रहा है । अगर यही रफ्तार मरने की रही तो यह आश्रय स्थल नही बछड़ो का कब्रिस्तान कहलाने लगेगा ।अधिकारी रोज दौड़ रहे है किन्तु बछड़ो की मौत थम नहीं रहा। बृहस्पतिवार की रात भी दो बछड़े दम तोड़ दिए। चार दिन के अंदर छः बछड़ो की मौत ने पंचायत विभाग के देख रेख की पोल खोल कर रख दिया है ।
बता दे कि सीएम योगी की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत नगरा विकास खण्ड के रघुनाथपुर गॉव में गौ आश्रय स्थल खोला गया है।जबसे यह आश्रय स्थल खोला गया है तभी से इसमें रखे गए बछडों का मरने का क्रम जारी है ।माह सितम्बर में तो नगरा रसड़ा मार्ग पर चलना मुश्किल हो गया था क्योकि आश्रय स्थल में मरे बछड़ों को इसके जिम्मेदार लोग द्वारा रात के अंधेरे में सड़क किनारे फेक दिया था ,जिससे मरे बछड़ों की दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल हो गया था।जब खबर मीडिया में प्रकाशित हुई तो प्रशासन की तन्द्रा टूटी किन्तु प्रशासन साफ तौर पर आश्रय स्थल के बछड़े होने से ही इनकार कर दिया और जांच में लीपापोती कर पल्ला झाड़ लिया। लगातार मरते बछड़ों के कारण आश्रय स्थल खाली हो गया था लेकिन प्रशासन इसे मानने को तैयार नहीं था।बरसात खत्म होते ही पंचायत कर्मियों ने क्षेत्र से बछड़े लाकर आश्रय स्थल में छोड़ दिये। इन बछड़ो के शरीर मे जब तक दम था जिंदा रहे लेकिन चारे के अभाव में दम तोड़ना शुरू कर दिए।पांच दिन पूर्व जब बछड़ो के मरने की खबर मीडिया को हुई तो वे पहुंचकर टैग लगे मरे बछड़ो का वीडियो बना लिया, तब प्रशासन ने बछड़ो की मौत को स्वीकार किया अन्यथा माह सितंबर की तरह टैग का बहाना बनाकर बछड़ो की मौत से ही इस बार भी इनकार कर देता।बुधवार को बछड़ो की मौत की जांच एसडीएम रसड़ा ,बीडीओ नगरा और पशुपालन विभाग ने की। उपजिलाधिकारी रसड़ा विपिन कुमार जैन ने बछड़ो के मौत का कारण प्लास्टिक खाना तथा एनीमिया बताया।गुरुवार को वाराणसी परिक्षेत्र के पशुपालन विभाग के उप निदेशक एसपी सिंह जिले के विभाग के अधिकारियों के साथ आश्रय स्थल पर बछड़ो के रख रखाव पर मंथन किये।अफसरों के मंथन के बीच भी बछड़ा मरा था।इधर गुरुवार की रात भी चारे के अभाव में दो बछड़े दम तोड़ दिए।बछड़ो की मौत प्रशासन के चारे के दावे की पोल खोल रहा है। जब भी अफसर आश्रय स्थल का दौरा या जांच हेतु आते है कुछ चारे नाद चरन में रख दिया जाता है अन्यथा नाद चरण में गोबर दिखाई पड़ता है।शासन स्तर से दो बार अधिकारी बछड़ो की जांच हेतु आ चुके है फिर भी इस जांच का असर प्रशासन पर नहीं है और बछड़ो के तड़प तड़प कर मरने का सिलसिला जारी है।
इस संदर्भ मै खंड विकास अधिकारी नगरा राम अशीष ने बताया कि मै गावो की जांच में व्यस्त हूं। अभी बछड़ों के मौत की जानकारी नहीं है। पशु चिकित्सक देख रहे है, वहीं बता पाएंगे। डॉ बीएन पाठक ने बताया कि मै अस्वस्थ हूं। विभाग के लोगो को मौके पर भेजा हूं ।
संतोष द्विवेदी
नगरा बलिया 15 नवम्बर 2019 ।। एक पुरानी कहावत नगरा ब्लाक के रघुनाथपुर गो आश्रय केंद्र पर सटीक बैठती है -ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया। क्योकि बछड़ो की मौत के बाद जितनी जांच हो रही है , उसी तेजी से बछड़ो के मरने का सिलसिला भी बढ़ता जा रहा है । अगर यही रफ्तार मरने की रही तो यह आश्रय स्थल नही बछड़ो का कब्रिस्तान कहलाने लगेगा ।अधिकारी रोज दौड़ रहे है किन्तु बछड़ो की मौत थम नहीं रहा। बृहस्पतिवार की रात भी दो बछड़े दम तोड़ दिए। चार दिन के अंदर छः बछड़ो की मौत ने पंचायत विभाग के देख रेख की पोल खोल कर रख दिया है ।
बता दे कि सीएम योगी की महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत नगरा विकास खण्ड के रघुनाथपुर गॉव में गौ आश्रय स्थल खोला गया है।जबसे यह आश्रय स्थल खोला गया है तभी से इसमें रखे गए बछडों का मरने का क्रम जारी है ।माह सितम्बर में तो नगरा रसड़ा मार्ग पर चलना मुश्किल हो गया था क्योकि आश्रय स्थल में मरे बछड़ों को इसके जिम्मेदार लोग द्वारा रात के अंधेरे में सड़क किनारे फेक दिया था ,जिससे मरे बछड़ों की दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल हो गया था।जब खबर मीडिया में प्रकाशित हुई तो प्रशासन की तन्द्रा टूटी किन्तु प्रशासन साफ तौर पर आश्रय स्थल के बछड़े होने से ही इनकार कर दिया और जांच में लीपापोती कर पल्ला झाड़ लिया। लगातार मरते बछड़ों के कारण आश्रय स्थल खाली हो गया था लेकिन प्रशासन इसे मानने को तैयार नहीं था।बरसात खत्म होते ही पंचायत कर्मियों ने क्षेत्र से बछड़े लाकर आश्रय स्थल में छोड़ दिये। इन बछड़ो के शरीर मे जब तक दम था जिंदा रहे लेकिन चारे के अभाव में दम तोड़ना शुरू कर दिए।पांच दिन पूर्व जब बछड़ो के मरने की खबर मीडिया को हुई तो वे पहुंचकर टैग लगे मरे बछड़ो का वीडियो बना लिया, तब प्रशासन ने बछड़ो की मौत को स्वीकार किया अन्यथा माह सितंबर की तरह टैग का बहाना बनाकर बछड़ो की मौत से ही इस बार भी इनकार कर देता।बुधवार को बछड़ो की मौत की जांच एसडीएम रसड़ा ,बीडीओ नगरा और पशुपालन विभाग ने की। उपजिलाधिकारी रसड़ा विपिन कुमार जैन ने बछड़ो के मौत का कारण प्लास्टिक खाना तथा एनीमिया बताया।गुरुवार को वाराणसी परिक्षेत्र के पशुपालन विभाग के उप निदेशक एसपी सिंह जिले के विभाग के अधिकारियों के साथ आश्रय स्थल पर बछड़ो के रख रखाव पर मंथन किये।अफसरों के मंथन के बीच भी बछड़ा मरा था।इधर गुरुवार की रात भी चारे के अभाव में दो बछड़े दम तोड़ दिए।बछड़ो की मौत प्रशासन के चारे के दावे की पोल खोल रहा है। जब भी अफसर आश्रय स्थल का दौरा या जांच हेतु आते है कुछ चारे नाद चरन में रख दिया जाता है अन्यथा नाद चरण में गोबर दिखाई पड़ता है।शासन स्तर से दो बार अधिकारी बछड़ो की जांच हेतु आ चुके है फिर भी इस जांच का असर प्रशासन पर नहीं है और बछड़ो के तड़प तड़प कर मरने का सिलसिला जारी है।
इस संदर्भ मै खंड विकास अधिकारी नगरा राम अशीष ने बताया कि मै गावो की जांच में व्यस्त हूं। अभी बछड़ों के मौत की जानकारी नहीं है। पशु चिकित्सक देख रहे है, वहीं बता पाएंगे। डॉ बीएन पाठक ने बताया कि मै अस्वस्थ हूं। विभाग के लोगो को मौके पर भेजा हूं ।





