Breaking News

स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की पोल खोलती बलिया एक्सप्रेस की रिपोर्ट : मची है एनएचएम में लूट ,दवा से लेकर आलमारी तक की खरीद में लूट, जेम पोर्टल के सहारे लूट

बलिया : मची है एनएचएम में लूट ,दवा से लेकर आलमारी तक की खरीद में लूट, जेम पोर्टल के सहारे लूट
मधुसूदन सिंह

बलिया 1 दिसंबर 2019 ।। मृत सीएमओ के हस्ताक्षर को स्कैन कर के गबन का प्रयास करते हुए गिरफ्तार किये गए स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ लिपिक मुन्ना पटेल , एनएचएम के जिला लेखा अधिकारी मऊ/बलिया , जिसके खाते में भुगतान होता था निर्मल पांडेय (इसके खाते में इससे पहले लगभग 91 लाख का भुगतान जा चुका है ) फरार चल रहे बाबू मुकेश भारद्वाज ही  इस गबन के षड़यंत्र में शामिल है , यह कहना गलत होगा क्योंकि इसमे बिना नोडल के मिलीभगत के कुछ भी सम्भव नही है । वही बाबुओ की कमी के चलते गैर जनपद में घोटाला करके जेल यात्रा से लौटे बाबू को महत्वपूर्ण चार्ज देना ,कही न कही इस गबन के प्रयास के लिये उत्तरदायी हो सकता है । मनोज यादव का भी देर रात में सीएमओ बलिया के द्वारा दूसरी तहरीर देकर बाहर निकालना लोगो को हजम नही हो रहा है । जबकि सीएमओ बलिया का कहना है कि मनोज यादव का गबन और गबन करने के प्रयास वाले किसी भी कागज पर हस्ताक्षर न होने के कारण इस मुकदमे से बाहर किया गया है । जबकि गिरफ्तारी वाले दिन मुन्ना पटेल और मनोज यादव हवालात में ही खूब वादविवाद किये थे और एक दूसरे पर गबन करने का आरोप लगाये थे ।
आईडी पासवर्ड मनोज के पास ?
सूत्रों की माने तो मुन्ना पटेल को कम्प्यूटर चलाना नही आता है । यह सारा काम मनोज यादव से कराता था । यहां तक कि एनएचएम का आईडी पासवर्ड भी मनोज यादव ही जानता है । ऐसे में फ़ाइल पर हस्ताक्षर है कि नही , इस पर जाने से बेहतर है कि सीएमओ आवास पर बने कैम्प कार्यालय की गतिविधियों को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाली जाय और पता लगाया जाए कि एनएचएम के बिलो को डिजिटली कौन पोस्ट करता है , अप्रूव्ड करता है ? साथ ही यह भी जांच का विषय हो सकता है कि भुगतान होने पर किसके मोबाइल पर बैंक से एसएमएस जाता है ? लगभग 3 लाख के भुगतान वाले एसएमएस आने के बाद सम्बंधित अधिकारी ने क्या जांच करायी , इसकी भी पड़ताल जरूरी है । बता दे कि जेम पोर्टल से खरीदारी के लिये विभिन्न आइटमों को वर्गीकृत करके चार भागों में बांटा गया है और इसके लिये चार आईडी पासवर्ड बनाये गये है जो सम्बंधित 4 अलग अलग पटल देखने वाले /खरीदारी से सम्बंधित , बाबुओ के पास होना चाहिये लेकिन ऐसा नही हुआ है । यह एक ही आदमी के पास होना यह साबित करता है कि फर्जीवाड़ा करने की नीयत से ऐसा किया गया है । सूत्रों की माने तो एक बाबू ने शनिवार को सीएमओ बलिया को लिखित रूप से शिकायत किया है कि मेरे नाम से किसी ने आईडी पासवर्ड बनवाकर अपने पास रख लिया है और उसका प्रयोग कर रहा है , इसको तत्काल बन्द कराया जाय । साथ ही यह भी कहा है कि मेरे चार्ज लेने से लेकर अब तक जो भी ख़रीदारियां मेरे आईडी पासवर्ड से की गई है , उसके लिये मैं जिम्मेदार नही हूँ । अब सवाल यह उठता है कि आखिर कौन है जो दूसरे की आईडी पासवर्ड का प्रयोग करता है और सीएमओ बलिया हो या नोडल अधिकारी उसको वेरिफाई कर देते है ? सूत्रों की माने तो मनोज यादव के पास एनएचएम,स्टेट बजट,जैम पोर्टल एवं डिवीडिएमएस से सबंधित आईडी पासवर्ड  है।

छह माह पहले बदल चुके नोडल स्टोर के आईडी पासवर्ड से पिछले माह तक हुई है खरीदारी, महिला अस्पताल में अतुल श्रीवास्तव के आईडी पासवर्ड हो रहे है प्रयुक्त
घोटाला यहां किस स्तर पर हो रहा है , इसकी पड़ताल से होश उड़ जाएंगे । स्टोर के नोडल अधिकारी डॉ जीपी चौधरी पिछले लगभग 6 माह पूर्व ही हटा दिये गए और इनकी जगह पर डॉ राजनाथ को नोडल अधिकारी बना दिया गया । होना यह चाहिये कि जिस दिन से डॉ जीपी चौधरी को हटा दिया गया उसी दिन से उनके आईडी पासवर्ड को बंद करके डॉ राजनाथ के नाम से दूसरा आईडी पासवर्ड बनवा कर कार्य किया जाना चाहिये । लेकिन सूत्रों के हवाले से यह खबर है कि नबम्बर माह तक डॉ जीपी चौधरी के पासवर्ड आईडी से खरीदारी हुई है । अगर यह सही है तो निश्चित रूप से कोई न कोई घोटाला हुआ है । यही नही जिला महिला अस्पताल में तो इस से भी बड़ा गुल खिलने की सूचना सूत्रों के हवाले से मिल रही है । यहां तो लगभग एक साल से अधिक समय से गैर जनपद स्थानांतरित बाबू अतुल श्रीवास्तव के ही आईडी पासवर्ड से खरीदारी हो रही है । जो निश्चित ही बड़े घोटाले की तरफ इशारा कर रही है । बता दे कि आईडी पासवर्ड ट्रेजरी द्वारा बनाकर सीएमओ को दिया जाता है जो एक कॉपी अपने पास रखकर दूसरी सम्बंधित नोडल अधिकारियों व पटल बाबुओ को दे देते है, ऐसा नियम है । अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या सीएमओ बलिया का पासवर्ड भी इन्ही बाबुओ के पास है ? जांच इस बात की होनी जरूरी है कि कौन है जो सबका पासवर्ड प्रयोग करता है ? यह भी जांच होनी चाहिये कि सीएमओ बलिया द्वारा जनपद में यूडीसी के होते हुए महत्वपूर्ण पटलों को मनोज यादव जैसे एलडीसी को कैसे दिया गया है ।

50 लाख ही नही अभी करोड़ो का निकल सकता है फर्जीवाड़ा
बलिया का सीएमओ कार्यालय का एनएचएम विभाग लगता है सिर्फ और सिर्फ घोटाले के लिये ही संचालित है । प्रधानमंत्री मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी जी भ्रष्टाचार को दूर करने के लिये सरकारी विभागों को खरीद फरोख्त के लिये जेम पोर्टल का संचालन शुरू कराये है । लेकिन इनको क्या पता कि इस पोर्टल के माध्यम से ही सर्वाधिक भ्रष्टाचार किया जा रहा है । बलिया सीएमओ के द्वारा खरीद फरोख्त की अगर जांच किसी एजेंसी से करा दी जाय तो यहां घोटाला करोड़ो का निकलेगा । सूत्रों की माने तो अभी पिछले दो माह के अंदर ही मुन्ना पटेल ने अवनी परिधि नामक संस्था के साथ मिलकर लगभग 150 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की पोस्टिंग करायी है । इसमें प्रयेक कैंडिडेट डेढ़ लाख तक कि वसूली हुई है ऐसा कहा जा रहा है ।
जेम पोर्टल बना भ्रष्टाचार छुपाने का हथियार
 सरकार ने अतिआवश्यक सामानों की आपूर्ति में किसी भी प्रकार की देर न हो इस के लिये जेम पोर्टल की सेवा शुरू की है । इससे बिना किसी टेंडर के सामानों की खरीद की जाती है । शर्त सिर्फ यही है कि इसमें जो L1 पर हो यानी सबसे कम दर का हो , उसी से आपूर्ति लेनी है । L1 से ही खरीद को सत्यापित करने के लिये L2,L3 को भी दर्शाया जाता है और बताया जाता है कि आवश्यक सामान की आपूर्ति देने वाली इन तीन फर्मों का रेट चार्ट यह है और तुलनात्मक रिपोर्ट में L1 की दर सबसे कम होने के कारण आपूर्ति मंगायी जा सकती है जिसको नोडल अधिकारी प्रमाणित कर देता है और ऑन लाइन आपूर्ति आर्डर सम्बंधित फर्म को चला जाता है और सामान की आपूर्ति और भुगतान हो जाता है ।
    अब आप सोच रहे होंगे कि इसमें तब कहां और कैसे भ्रष्टाचार हुआ ? तो लीजिये अब आपको जेम पोर्टल द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार को उजागर कर रहा हूँ । जेम पोर्टल में अगर छेड़छाड़ नही की गई तो वह हमेशा सम्बंधित सामान की श्रेणी में सबसे कम से बढ़ते क्रम में दर सूची प्रदर्शित करेगा । सूत्रों की माने तो भ्रष्टाचारियों ने अपनी चहेती फर्म को ही आपूर्ति का आर्डर मिले इसके लिये सॉफ्टवेयर में जुगाड़ खोज लिया है । मान लीजिये कि अमुक इंटरप्राइजेज से सम्बंधित बाबू और अधिकारियों की सेटिंग है और ये लोग इसी को आपूर्ति देना चाहते है , तो ये लोग साफ्टवेयर के माध्यम से आधे घण्टे के लिये अमुक इंटरप्राइजेज से कम दर वाली जितनी भी फर्म/कम्पनियां है उनको कम्प्यूटर स्क्रीन से गायब कर देंगे और L1 की पोजिशन पर अमुक इंटरप्राइजेज दिखने लगेगा जिसके आधार पर तुलनात्मक रिपोर्ट बनाकर अधिकारी के अप्रूवल प्राप्त कर लिये जाएंगे और आपूर्ति के बाद भुगतान करके इस फर्म से अपना हिस्सा ले लेते है ।अगर सूत्रों द्वारा बतायी गयी बात सच है तो प्रदेश का एक भी विभाग ऐसा नही बचेगा , जहां इस तरह के बड़े पैमाने पर घोटाले न हुए है ? इस जांच में जेम पोर्टल की भी जांच को सम्मिलित करना चाहिये ।
1.90 रुपये की सीरिंज खरीदारी 5.25 रुपये में
 अगर कहा जाता है कि बलिया के स्वास्थ्य विभाग का एनएचएम कालिख की कोठरी है तो गलत नही कहा जाता है । यहां जेम पोर्टल को हथियार बनाकर खूब लूट की जा रही है । सूत्रों की माने तो बलिया में एक छोटे से आइटम सिरिंज की खरीदारी में लाखों करोड़ों का घोटाला हुआ है । जेम पोर्टल पर ही सिरिंज का L1 दर रुपये 1.90 है जबकि बलिया में इसको रूपये 5.25 में मंगाया गया है । यानी एक सिरिंज में रुपये 3.35 का घोटाला । यही नही यहां सैकड़ो की संख्या में आलमारियां खरीदी गई है , जो अप्रूव्ड दर से दुगने दर और साइज में आधी बतायी जा रही है और एएनएम ट्रेनिंग सेंटर वाले स्टोर में रखी हुई बतायी जा रही है ।यही नही इनके द्वारा लगभग 400 के करीब कुर्सियां भी खरीदी गई है और आपूर्ति आ भी गयी है लेकिन कुर्सियों का कही अता पता नही है । सौभाग्य की बात यही है कि इनका अभी तक भुगतान नही हुआ है ।
18 पैसे के कैल्शियम को रुपये 3.24 में हुई है खरीदारी, फिनायल खरीद में भी घोटाला
 भारत सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिये एनएचम के माध्यम से कैल्शियम टैबलेट देने की योजना संचालित है । एक कैल्शियम टैबलेट की अप्रूव्ड दर 18 पैसे है जबकि बलिया में घोटाला करने की नीयत से प्रति टैबलेट रुपये 3.24 की दर से खरीदारी करके 32 लाख रुपये का गबन किया गया बताया जा रहा है । वही चाहे जिला अस्पताल हो, महिला अस्पताल हो या सीएचसी, पीएचसी या चाहे एएनएम सेंटर ही क्यो न हो , साफ सफाई के लिये एक एजेंसी नियुक्त है । इस एजेंसी को साफ सफाई के लिये (फिनायल के साथ) एनएचएम द्वारा प्रतिमाह भुगतान किया जाता है । ऐसे में सीएमओ स्तर से फिनायल की खरीदारी का कोई औचित्य नही है । फिर भी इनके स्तर से दो बार मे 27 लाख रुपये का फिनायल खरीदा गया है ऐसा सूत्रों ने बताया है । इस खरीदारी में लगभग 8 लाख रुपये का फिनायल अप्रूव्ड रेट से खरीदा गया है और दूसरी बार हाई रेट से । उपरोक्त ख़रीदारियां 16 मार्च 2019 से 31 मार्च 2019 के बीच मे की गई है ।

उपरोक्त उदाहरण तो बस बानगी भर है , अगर यहां के एनएचएम में कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर दवाओं, सामानों की खरीद फरोख्त की उच्च स्तरीय जांच करा दी जाय तो यहां कई सफेदपोश भी बेनकाब हो जाएंगे ।