बलिया : कुपोषण के खिलाफ जंग में पोषण पुनर्वास केंद्र बना सशक्त हथियार
कुपोषण के खिलाफ जंग में पोषण पुनर्वास केंद्र बना सशक्त हथियार
बलिया, 12 अगस्त 2019 - जन्म के महज कुछ महीने के अंदर ही रेवती ब्लॉक के अंतर्गत कुशहर गांव के सुरेंद्र नट की बेटी दिव्यांशी कुपोषण की चपेट में आ जाने से अति कुपोषित हो गयी। उस पर जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांधारी की नजर पड़ी तो उसने उसके पिता को जिला चिकित्सालय में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) वार्ड के बारे में जानकारी दी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गंधारी के सहयोग से सुरेंद्र नट ने दिव्यांशी को दो माह पूर्व पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करवाया। भर्ती के समय दिव्यांशी का वजन 2.5 किलोग्राम था। 16 दिन के उपचार और पोषण युक्त बेहतर खानपान की वजह से उसका वजन 3.0 किलोग्राम हो गया। इसके पश्चात उसको एनआरसी से डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया।
पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास हेतु आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।जिला चिकित्सालय में अक्टूबर 2016 में एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में 300 से ऊपर तक कुपोषित बच्चों की नई जिंदगी दी जा चुकी है।
इसी तरह ब्लॉक बेरुआबरी के सुखपुरा गाँव निवासी शिवशंकर काकरीब दो साल का बेटा बिट्टू कुपोषण की चपेट में आ गया। घर के हालात अच्छे नहीं थे ऐसे मे गांव के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नजर इस बच्चे पर गई तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बिट्टू की मां को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निःशुल्क दिया जाता है। इसके बाद बिट्टू को एक माह पूर्व एनआरसी में भर्ती करवाया गया। भर्ती के समय बिट्टू का वजन 4.255 किलोग्राम था और 14 दिन तक इलाज होने के बाद उसका वजन 5.2 किलोग्राम हो गया। बिट्टू की मां ने कहा घर की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण इलाज कराने में वह अक्षम थी। लेकिन यहां आकर उसका इलाज अच्छे से किया गया और अब बिट्टू पूरी तरीके से स्वस्थ है।
क्या है एनआरसी ?
बलिया के जिला चिकित्सालय में स्थित एनआरसी वार्ड में कार्यवाहक मेडिकल ऑफिसर डॉ अनुराग सिंह, 4 स्टाफ नर्स मधु पांडे, श्वेता यादव, आशुतोष शर्मा, विल्व सिंह, एक केयरटेकर बलराम प्रसाद, डाइटिशियन रेनू तिवारी हैं।डाइटिशियन रेनू तिवारी ने बताया इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 15 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 व F-100 यानि प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा इत्यादि।साथ में दवाइयां एवं सुदम पोषित तत्व जैसे आयरन, विटामिन ए, जिंक, मल्टीविटामिंस इत्यादि भी दी जाती हैं।
इस संबंध में सीएमएस डॉ एस प्रसाद ने कहा एनआरसी वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने, टीवी भी है। गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम आशा आंगनवाड़ी कार्यकर्ती एनआरसी में भर्ती करा रहे हैं ताकि एक बेहतर और कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण हो सके।
बलिया, 12 अगस्त 2019 - जन्म के महज कुछ महीने के अंदर ही रेवती ब्लॉक के अंतर्गत कुशहर गांव के सुरेंद्र नट की बेटी दिव्यांशी कुपोषण की चपेट में आ जाने से अति कुपोषित हो गयी। उस पर जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांधारी की नजर पड़ी तो उसने उसके पिता को जिला चिकित्सालय में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) वार्ड के बारे में जानकारी दी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गंधारी के सहयोग से सुरेंद्र नट ने दिव्यांशी को दो माह पूर्व पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करवाया। भर्ती के समय दिव्यांशी का वजन 2.5 किलोग्राम था। 16 दिन के उपचार और पोषण युक्त बेहतर खानपान की वजह से उसका वजन 3.0 किलोग्राम हो गया। इसके पश्चात उसको एनआरसी से डिस्चार्ज कर घर भेज दिया गया।
पोषण पुनर्वास केंद्र एक ऐसी सुविधा है जहां छह माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे जिनमें चिकित्सकीय जटिलताएं होती हैं, को चिकित्सकीय सुविधाएं मुफ्त में प्रदान की जाती है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास हेतु आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।जिला चिकित्सालय में अक्टूबर 2016 में एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में 300 से ऊपर तक कुपोषित बच्चों की नई जिंदगी दी जा चुकी है।
इसी तरह ब्लॉक बेरुआबरी के सुखपुरा गाँव निवासी शिवशंकर काकरीब दो साल का बेटा बिट्टू कुपोषण की चपेट में आ गया। घर के हालात अच्छे नहीं थे ऐसे मे गांव के आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नजर इस बच्चे पर गई तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बिट्टू की मां को जिला चिकित्सालय स्थित एनआरसी वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां उसे बेहतर इलाज और पौष्टिक भोजन दोनों निःशुल्क दिया जाता है। इसके बाद बिट्टू को एक माह पूर्व एनआरसी में भर्ती करवाया गया। भर्ती के समय बिट्टू का वजन 4.255 किलोग्राम था और 14 दिन तक इलाज होने के बाद उसका वजन 5.2 किलोग्राम हो गया। बिट्टू की मां ने कहा घर की स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण इलाज कराने में वह अक्षम थी। लेकिन यहां आकर उसका इलाज अच्छे से किया गया और अब बिट्टू पूरी तरीके से स्वस्थ है।
क्या है एनआरसी ?
बलिया के जिला चिकित्सालय में स्थित एनआरसी वार्ड में कार्यवाहक मेडिकल ऑफिसर डॉ अनुराग सिंह, 4 स्टाफ नर्स मधु पांडे, श्वेता यादव, आशुतोष शर्मा, विल्व सिंह, एक केयरटेकर बलराम प्रसाद, डाइटिशियन रेनू तिवारी हैं।डाइटिशियन रेनू तिवारी ने बताया इस वार्ड में कुपोषित बच्चों को कम से कम 15 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, F-75 व F-100 यानि प्रारम्भिक दूधाहार, दलिया, हलवा इत्यादि।साथ में दवाइयां एवं सुदम पोषित तत्व जैसे आयरन, विटामिन ए, जिंक, मल्टीविटामिंस इत्यादि भी दी जाती हैं।
इस संबंध में सीएमएस डॉ एस प्रसाद ने कहा एनआरसी वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने, टीवी भी है। गर्मियों में पंखे और सर्दियों में रूम हीटर चलते हैं। कुपोषित बच्चों को पहचान कर आरबीएसके की टीम आशा आंगनवाड़ी कार्यकर्ती एनआरसी में भर्ती करा रहे हैं ताकि एक बेहतर और कुपोषण मुक्त समाज का निर्माण हो सके।