बलिया : गर्भवती महिला एवं शिशु को प्रथम 1,000 दिन देखभाल के लिए बेहद आवश्यक :आंगनबाड़ी केंद्र डूहीमुसी पर गोदभराई दिवस आयोजित
बलिया : गर्भवती महिला एवं शिशु को प्रथम 1,000 दिन देखभाल के लिए बेहद आवश्यक :आंगनबाड़ी केंद्र डूहीमुसी पर गोदभराई दिवस आयोजित
बलिया, 30 जुलाई 2019 : जनपद के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गुरुवार को गोदभराई दिवस समारोह का आयोजन किया गया| इसी क्रम में बांसडीह ब्लॉक के ग्रामसभा डूहीमुसी स्थित प्राथमिक विद्यालय नंबर 1 स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र पर गोदभराई दिवस मनाया गया, जिसमें गर्भवती महिलाओं को नारियल, फल, साग-सब्जियों और पुष्टाहार से सजी डलिया भेंट की गयी।
इस अवसर पर सभी को जीवन चक्र के प्रथम 1,000 दिन यानि गर्भावस्थाकाल के 270 दिन और जन्म से लेकर 2 साल तक 730 दिन महत्वपूर्ण बताए गए। इन दिवसों में गर्भवती माता और प्रसव के बाद शिशु की देखभाल बहुत जरूरी होती है, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों को कुपोषण से बचाया जा सके। इसके अलावा महिलाओं को सुरक्षित और संस्थागत प्रसव, संतुलित एवं स्वस्थ आहार, टीकाकरण, प्रसव पूर्व जाँच, परिवार नियोजन एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी जानकारीयाँ दी गयी।
नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे 4 ( 2015-16) के अनुसार बलिया में कुल 37.7 फीसदी महिलाओं की कम से कम चार प्रसवपूर्व देखभाल की गयी। कुल 10.1 फीसदी महिलाओं ने गर्भवती होने पर 100 दिनों या उससे अधिक के लिए आयरन फॉलिक एसिड गोलियों का सेवन किया।*
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मंजू देवी ने वहां मौजूद गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को प्रसव के पूर्व की तैयारी और प्रसव पश्चात की तैयारी के विषय में जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने टीकाकरण, परिवार नियोजन, संस्थागत और सुरक्षित प्रसव के विषय में भी बताया। उन्होंने पोषण के अन्तर्गत हरी सब्जी, दूध, फल का सेवन, स्वास्थ्य के अन्तर्गत नियमित टीकाकरण, आयरन की गोली, प्रसव पूर्व जाँच के बारे में जानकारी दी| उन्होंने सभी महिलाओं को बताया कि जन्म से लेकर छः माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान ही कराएँ और अन्य किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ न देने के लिए परामर्श दिया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बसंती देवी ने वहां उपस्थित महिलाओं एवं किशोरियों को साफ-सफाई के बारे में बताया कि घर के आसपास साफ-सफाई का माहौल रखें और कहीं भी पानी भी इकठ्ठा न होने दें क्योंकि रुके हुये पानी में मच्छर के पनपने का डर रहता है। इसके साथ ही उन्होने संतुलित एवं स्वस्थ पोषाहार ग्रहण करने के बारे में बताया ताकि उनसे मिलने वाले पोषक तत्वों से बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ सके।
आंगनबाड़ी केंद्र पर मिलने वाले पौष्टिक आहार के बारे में पूछे जाने पर लाभार्थियों ने बताया कि पुष्टाहार से गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों को पोषक तत्व प्रदान किया जा सकता है एवं उनको कुपोषण से बचाया जा सकता है। संतुलित खानपान और पोषाहार से बच्चों के शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है एवं पूरक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है।
बलिया, 30 जुलाई 2019 : जनपद के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गुरुवार को गोदभराई दिवस समारोह का आयोजन किया गया| इसी क्रम में बांसडीह ब्लॉक के ग्रामसभा डूहीमुसी स्थित प्राथमिक विद्यालय नंबर 1 स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र पर गोदभराई दिवस मनाया गया, जिसमें गर्भवती महिलाओं को नारियल, फल, साग-सब्जियों और पुष्टाहार से सजी डलिया भेंट की गयी।
इस अवसर पर सभी को जीवन चक्र के प्रथम 1,000 दिन यानि गर्भावस्थाकाल के 270 दिन और जन्म से लेकर 2 साल तक 730 दिन महत्वपूर्ण बताए गए। इन दिवसों में गर्भवती माता और प्रसव के बाद शिशु की देखभाल बहुत जरूरी होती है, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों को कुपोषण से बचाया जा सके। इसके अलावा महिलाओं को सुरक्षित और संस्थागत प्रसव, संतुलित एवं स्वस्थ आहार, टीकाकरण, प्रसव पूर्व जाँच, परिवार नियोजन एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी जानकारीयाँ दी गयी।
नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे 4 ( 2015-16) के अनुसार बलिया में कुल 37.7 फीसदी महिलाओं की कम से कम चार प्रसवपूर्व देखभाल की गयी। कुल 10.1 फीसदी महिलाओं ने गर्भवती होने पर 100 दिनों या उससे अधिक के लिए आयरन फॉलिक एसिड गोलियों का सेवन किया।*
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मंजू देवी ने वहां मौजूद गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को प्रसव के पूर्व की तैयारी और प्रसव पश्चात की तैयारी के विषय में जानकारी दी। इसके अलावा उन्होंने टीकाकरण, परिवार नियोजन, संस्थागत और सुरक्षित प्रसव के विषय में भी बताया। उन्होंने पोषण के अन्तर्गत हरी सब्जी, दूध, फल का सेवन, स्वास्थ्य के अन्तर्गत नियमित टीकाकरण, आयरन की गोली, प्रसव पूर्व जाँच के बारे में जानकारी दी| उन्होंने सभी महिलाओं को बताया कि जन्म से लेकर छः माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान ही कराएँ और अन्य किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ न देने के लिए परामर्श दिया।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बसंती देवी ने वहां उपस्थित महिलाओं एवं किशोरियों को साफ-सफाई के बारे में बताया कि घर के आसपास साफ-सफाई का माहौल रखें और कहीं भी पानी भी इकठ्ठा न होने दें क्योंकि रुके हुये पानी में मच्छर के पनपने का डर रहता है। इसके साथ ही उन्होने संतुलित एवं स्वस्थ पोषाहार ग्रहण करने के बारे में बताया ताकि उनसे मिलने वाले पोषक तत्वों से बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ सके।
आंगनबाड़ी केंद्र पर मिलने वाले पौष्टिक आहार के बारे में पूछे जाने पर लाभार्थियों ने बताया कि पुष्टाहार से गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भ में पल रहे बच्चों को पोषक तत्व प्रदान किया जा सकता है एवं उनको कुपोषण से बचाया जा सकता है। संतुलित खानपान और पोषाहार से बच्चों के शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है एवं पूरक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है।