Breaking News

बांसडीह बलिया : प्रसव पूर्व एवं पश्चात संतुलित पोषाहार की है अधिक आवश्यकता , बांसडीह ब्लॉक के आंगनबाड़ी केंद्र में आयोजित किया गया ममता दिवस

प्रसव पूर्व एवं पश्चात संतुलित पोषाहार की है अधिक आवश्यकता
बांसडीह ब्लॉक के आंगनबाड़ी केंद्र में आयोजित किया गया ममता दिवस

बलिया, 16 मार्च 2019 ।। सुरक्षित जच्चा-बच्चा के लिए महिलाओं को गर्भावस्था और प्रसव के पश्चात संतुलित एवं अच्छे खानपान की अवश्यकता होती है ताकि दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहे और कुपोषण से मुक्त हो सके। कुछ इसी तरह स्वास्थ्य एवं पोषाहार से जुड़ी बातें गत दिवस बांसडीह ब्लॉक के सुहवल आंगनबाड़ी केंद्र में आयोजित किए गए ममता दिवस के अवसर पर गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को दी गईं। इस अवसर पर मौजूद बच्चों एवं किशोरियों को भी स्वच्छता एवं शारीरिक विकास से जुड़ी जानकारी के बारे में जागरूक किया गया। इस मौके पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा लाभार्थियों को पोषाहार के पैकेटों का वितरण कराया गया।
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर मनाए जाने वाले ममता दिवस का उद्देश्य हाल ही बनी माँओं को पोषाहार और उपहार देकर सम्मानित किया जाता है और एक चैम्पियन के रूप में समुदाय के सामने बेहतर उदाहरण के रूप में पेश किया जाता है जिससे समुदाय में अन्य महिलाएं भी स्वास्थ्य एवं पोषाहार के प्रति जागरूक हो सकें।
इस अवसर पर मुख्य सेविका लीना कुमारी बताया कि प्रसव से पूर्व एवं पश्चात संतुलित आहार एवं प्रोटीन व विटामिन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन अपने खानपान में करना चाहिए जिससे जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रह सकें। सुबह गुड़ और चना खाने से शरीर में आयरन की बढ़ोतरी में सहायता मिलती है और गाजर, चुकंदर, अनार आदि के खाने से शरीर में खून में मदद मिलती है। उन्होने बताया कि अक्सर महिलाओं और किशोरियों में खून की कमी पायी जाती है जिसका कारण सही खानपान न हो पाना है। इसकी वजह से शरीर में थकावट और चिड़चिड़ापन आता है।
उन्होने बताया कि किशोरियाँ ही आगे चलकर माँ बनती है इसीलिए किशोरावस्था से ही बेहतर एवं संतुलित खानपान लेना चाहिए। वहीं किशोरियों को हर माह चार बार यानि सप्ताह में एक बार आयरन की नीली गोली खानी चाहिए जिससे उनमें खून की कमी न हो सके।
इसके अलावा आँगनबाड़ी नीलम वर्मा ने बताया कि बच्चों को पुष्टाहार से बने विभिन्न तरीके के व्यंजन बनाकर खिलाने चाहिए जिससे बच्चों में पोषाहार के प्रति उत्साह बना रहे। इसके साथ ही पोषाहार के प्रथम एक हजार दिवस के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गयी। महिलाओं को घर में साफ-सफाई, खाना बनाते समय स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने पर जानकारी प्रदान की। इसके साथ ही उन्होने बच्चों के साथ होने वाले गुड टच उयर बेड टच के बारे में जानकारी प्रदान की।