बलिया : विश्व क्षयरोग दिवस पर विशेष : मिलजुल के 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाएँ टीबी के नियंत्रण में भारत सरकार का हाथ बटाएँ जागरूकता से ही क्षयरोग का उन्मूलन संभव
विश्व क्षयरोग दिवस पर विशेष :
मिलजुल के 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाएँ
टीबी के नियंत्रण में भारत सरकार का हाथ बटाएँ
जागरूकता से ही क्षयरोग का उन्मूलन संभव
बलिया 23 मार्च 2019 ।। विश्व क्षयरोग दिवस, विश्व तपेदिक दिवस, विश्व टीबी दिवस ये सभी दिवस प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को अलग-अलग नामों से मनाए जाते हैं। टीबी का पूरा नाम ‘ट्यूबरकुल बेसिलाई’ है। यह एक संक्रामक रोग है और इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित हो सकता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। इस दिवस के जरिये टीबी जैसी समस्या के विषय में और इससे बचने के उपायों के विषय में बात करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही लोगों को इस बीमारी के विषय और रोकथाम के लिए कदम उठाने हेतु जागरूक किया जाता है।
इस वर्ष विश्व टीबी दिवस का विषय ‘इट्स टाइम’ यानि ‘यह समय है’ निर्धारित किया गया है जिसका उद्देश्य रोकथाम और उपचार तक पहुंच बनाना, जवाबदेही का निर्माण करना, अनुसंधान के लिए पर्याप्त और स्थायी वित्तपोषण सुनिश्चित करना, कलंक और भेदभाव को खत्म करने को बढ़ावा देना और लोगों को एक न्यायसंगत, अधिकार-आधारित और प्रतिक्रिया को बढ़ावा देना है।
दुनिया में टीबी के मरीजों से मुक्त करने हेतु 2030 लक्ष्य रखा गया है जबकि देश इसका लक्ष्य 2025 तय किया गयाहै। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक संयुक्त पहल “FIND. TREAT. ALL. #EndTB” शुरू की है। यह पहल टीबी प्रतिक्रिया को तेज करने और देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से WHO ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की ओर समग्र ड्राइव के रूप में शुरू की है।
*जिला क्षयरोग केंद्र के 2018 में कुल 2950 मरीज पंजीकृत हुये थे और 774 प्राईवेट मरीज थे। कुल 2950 मरीजों में 646 मरीज रोग मुक्त हो चुके है औएर शेष की दवा चल रही है। वहीं 10 मार्च 2019 तक 610 मरीज पंजीकृत किये जा चुके हैं।*
*इसके अलावा सरकार द्वारा 01 अप्रैल 2018 से टी0बी0 के प्रत्येक मरीजों को निक्षय पोषण योजना के अन्तर्गत रु.500/- प्रतिमाह पूर्ण उपचार तक दिया जा रहा है। 20 मार्च 2019 तक 1,450 मरीजों निश्चय पोषण योजना के अन्तर्गत 500 रुपये दिया जा चुका है।*
*विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2012 में दुनिया भर में 86 लाख लाख लोग टीबी रोग का शिकार हुए और जिनमें 13 लाख मौत हुई। हालांकि नये मामले पिछले दशकों के दौरान हर साल दो फीसदी की दर से कम हो रहे हैं। वहीं भारत में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं, कुल मरीजों के 26 फीसदी भारत में रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टीबी के मरीजों की ठीक ढंग से देखभाल नहीं होने के कारण यह तेजी से फैल रहा है।*
देश, प्रदेश एवं जिला स्तर पर टीबी से निपटने के लिए पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके तहत प्रत्येक मरीज के नजदीक एक डोट्स सेंटर बनाया गया है जिससे मरीज को दवा खाने में कोई परेशानी न आए और वह अपना सम्पूर्ण घर पर ही रहकर ठीक कर सके। इसके साथ ही कार्यक्रम के अंतर्गत सक्रिय टीबी खोज अभियान चलाया जा रहा है जिसमें घर-घर जाकर टीबी के छुपे मरीजों को खोजा जा रहा है और उनको इलाज पर रखकर ठीक किया जा रहा है।
टीबी के फैलने का एक मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों का सचेत न होना और इसे शुरूआती दौर में गंभीरता से न लेना है। टीबी किसी को भी हो सकता है, इससे बचने के लिए प्रारम्भिक अवस्था में ही रोकना इसका बचाव है। इसके अलावा जन्म के तुरंत बाद या छः माह बाद शिशु को बीसीजी का एक टीका क्षयरोग से बचाता है। यह टीका सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क लगाया जाता है ताकि देश की भावी पीढ़ी को क्षयरोग से बचाया जा सके।
मिलजुल के 24 मार्च को विश्व क्षयरोग दिवस मनाएँ
टीबी के नियंत्रण में भारत सरकार का हाथ बटाएँ
जागरूकता से ही क्षयरोग का उन्मूलन संभव
बलिया 23 मार्च 2019 ।। विश्व क्षयरोग दिवस, विश्व तपेदिक दिवस, विश्व टीबी दिवस ये सभी दिवस प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को अलग-अलग नामों से मनाए जाते हैं। टीबी का पूरा नाम ‘ट्यूबरकुल बेसिलाई’ है। यह एक संक्रामक रोग है और इसे प्रारंभिक अवस्था में ही न रोका गया तो जानलेवा साबित हो सकता है। यह व्यक्ति को धीरे-धीरे मारता है। इस दिवस के जरिये टीबी जैसी समस्या के विषय में और इससे बचने के उपायों के विषय में बात करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही लोगों को इस बीमारी के विषय और रोकथाम के लिए कदम उठाने हेतु जागरूक किया जाता है।
इस वर्ष विश्व टीबी दिवस का विषय ‘इट्स टाइम’ यानि ‘यह समय है’ निर्धारित किया गया है जिसका उद्देश्य रोकथाम और उपचार तक पहुंच बनाना, जवाबदेही का निर्माण करना, अनुसंधान के लिए पर्याप्त और स्थायी वित्तपोषण सुनिश्चित करना, कलंक और भेदभाव को खत्म करने को बढ़ावा देना और लोगों को एक न्यायसंगत, अधिकार-आधारित और प्रतिक्रिया को बढ़ावा देना है।
दुनिया में टीबी के मरीजों से मुक्त करने हेतु 2030 लक्ष्य रखा गया है जबकि देश इसका लक्ष्य 2025 तय किया गयाहै। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक संयुक्त पहल “FIND. TREAT. ALL. #EndTB” शुरू की है। यह पहल टीबी प्रतिक्रिया को तेज करने और देखभाल तक पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से WHO ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज की ओर समग्र ड्राइव के रूप में शुरू की है।
*जिला क्षयरोग केंद्र के 2018 में कुल 2950 मरीज पंजीकृत हुये थे और 774 प्राईवेट मरीज थे। कुल 2950 मरीजों में 646 मरीज रोग मुक्त हो चुके है औएर शेष की दवा चल रही है। वहीं 10 मार्च 2019 तक 610 मरीज पंजीकृत किये जा चुके हैं।*
*इसके अलावा सरकार द्वारा 01 अप्रैल 2018 से टी0बी0 के प्रत्येक मरीजों को निक्षय पोषण योजना के अन्तर्गत रु.500/- प्रतिमाह पूर्ण उपचार तक दिया जा रहा है। 20 मार्च 2019 तक 1,450 मरीजों निश्चय पोषण योजना के अन्तर्गत 500 रुपये दिया जा चुका है।*
*विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक 2012 में दुनिया भर में 86 लाख लाख लोग टीबी रोग का शिकार हुए और जिनमें 13 लाख मौत हुई। हालांकि नये मामले पिछले दशकों के दौरान हर साल दो फीसदी की दर से कम हो रहे हैं। वहीं भारत में टीबी के सबसे ज्यादा मरीज हैं, कुल मरीजों के 26 फीसदी भारत में रहते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टीबी के मरीजों की ठीक ढंग से देखभाल नहीं होने के कारण यह तेजी से फैल रहा है।*
देश, प्रदेश एवं जिला स्तर पर टीबी से निपटने के लिए पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके तहत प्रत्येक मरीज के नजदीक एक डोट्स सेंटर बनाया गया है जिससे मरीज को दवा खाने में कोई परेशानी न आए और वह अपना सम्पूर्ण घर पर ही रहकर ठीक कर सके। इसके साथ ही कार्यक्रम के अंतर्गत सक्रिय टीबी खोज अभियान चलाया जा रहा है जिसमें घर-घर जाकर टीबी के छुपे मरीजों को खोजा जा रहा है और उनको इलाज पर रखकर ठीक किया जा रहा है।
टीबी के फैलने का एक मुख्य कारण इस बीमारी के लिए लोगों का सचेत न होना और इसे शुरूआती दौर में गंभीरता से न लेना है। टीबी किसी को भी हो सकता है, इससे बचने के लिए प्रारम्भिक अवस्था में ही रोकना इसका बचाव है। इसके अलावा जन्म के तुरंत बाद या छः माह बाद शिशु को बीसीजी का एक टीका क्षयरोग से बचाता है। यह टीका सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क लगाया जाता है ताकि देश की भावी पीढ़ी को क्षयरोग से बचाया जा सके।