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मुसलमानों की वो जातियां जिनको मिलेगा सवर्ण आरक्षण का लाभ




8 जनवरी 2019 ।।
केंद्र सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण जातियों को भी आरक्षण का लाभ देने की बात कही है. सरकार के अनुसार ऊंची जाति के आर्थिक रूप से कमजोर 10 प्रतिशत लोगों को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्‍थानों में आरक्षण का लाभ दिया जाएगा.

ऐसा नहीं है कि इसका लाभ सिर्फ हिंदू सवर्ण समाज को ही मिलेगा. मुसलमानों में भी कुछ सवर्ण जातियां सामाजिक तौर पर घोषित हैं. उन्हें भी इस 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा. आइए जानते हैं मुसलमानों में कौन-कौन सी जातियां सवर्ण वर्ग में आती हैं.






मुस्लिम पॉलिटिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष तसलीम रहमानी कहते हैं, 'वैसे तो मुसलमानों में मज़हबी और सामाजिक तौर पर जाति व्यवस्था और ऊंच-नीच का कोई चलन नहीं है. दूसरे ये कि अगर कोई कहता है कि मैं सैय्यद हूं, मैं पठान और मुगल, शेख हूं तो वो साबित कैसे करेगा.'

वहीं मिर्जा गालिब रिसर्च एकेडमी के निदेशक डॉ. इख्तियार जाफरी बताते हैं, 'जो सैय्यद होने का दावा करते हैं उनका कहना है कि वो हज़रत मोहम्मद साहब के वंशज हैं. जिसके चलते समाज में उन्हें ऊंचा ओहदा मिला है.'

वहीं पठानों के बारे में कहा जाता है कि ये सेनाओं का संचालन करते थे. दूसरे समुदाय को सुरक्षा देते थे. हुकूमत करते थे. मुगल कोई अलग से नहीं थे. ये भी पठानों में से ही हुए हैं. जो पठान मुगल थे उनहें मुगल पठान कहा गया. ये भी हुकूमत करना, सेना की कमान संभालना और लोगों को सुरक्षा देने का काम करते थे. ये क्षत्रियों की तरह से योद्धा जाति है.

अरबी में शेख का मतलब होता है बुजुर्ग. अगर शेखों की बात करें तो बिहार और पश्चिम बंगाल में शेख ज्यादा हैं. ये कोई जाति नहीं है. शेखों के बारे में कहा जाता है कि एक बुजुर्ग हुए थे जो अपने नाम के साथ शेख लिखते थे. जिसके चलते उनके आसपास जितने भी लोग थे उन्होंने भी शेख लिखना शुरु कर दिया. तभी से शेख लिखने वालों ने अपने को एक अलग वर्ग मान लिया.