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बलिया मे जिला क्रीड़ा समिति के गठन मे डीआईओएस ने दिखायी बाजीगरी, अपने चहेतो को सौपी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी



शिक्षा निदेशक (मा०) के आदेशों की बलिया में उड़ी धज्जियां

डीआईओएस ने बन्द कमरे में अपने चहेतों के साथ बना लिया जिला क्रीड़ा समिति

 शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) के आदेशों की अनदेखी कर हुआ गठन 

समिति के सदस्यों ने जिला विद्यालय निरीक्षक पर लगाया मनमानी का आरोप

 बकाया है खिलाड़ियों का भुगतान, खाली पड़ा है क्रीड़ा कोष 


बलिया।। डीआईओएस बलिया की बाजीगरी से जनपद के खेल शिक्षकों मे आक्रोश बढ़ गया है। एक ही विद्यालय के प्रधानाचार्य व खेल शिक्षक को  क्रमशः कोषाध्यक्ष व सचिव की जिम्मेदारी देने पर सदस्यों ने सवाल खड़ा कर दिया है। डीआईओएस ने विद्यालय के मुखिया को मातहत के नीचे पद देकर शासनादेश का खुला उलंघन किया है। बता दे कि डीआईओएस बलिया द्वारा शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) के आदेशों को ताक पर रख जिला क्रीड़ा समिति के गठन का खेल जनपद में लगातार तीसरे वर्ष किया गया। क्रीड़ा समिति के कुछ सदस्यों ने जब इस पर अपनी आपत्ति दर्ज की तो बैठक की अध्यक्षता कर रहे जिला विद्यालय निरीक्षक देवेंद्र गुप्ता आंखे दिखाने लगे और अध्यापकों संग अमर्यादित व्यवहार किया।

बैठक मे आये 23 की जगह मात्र 8 

उल्लेखनीय है कि जिला विद्यालय निरीक्षक बलिया ने अपने कार्यालय पत्रांक-3556-59 / दिनांक 23 जुलाई द्वारा बिना किसी मीटिंग के ही शैक्षिक सत्र 2025-26 की जिला क्रीड़ा समिति के पदाधिकारियों एवम सदस्यों को अपने मनमानेपन से नामित करते 25 जुलाई को नवगठित समिति की बैठक बुला लिया। बैठक में कुल 23 के स्थान पर मात्र 8 लोग ही उपस्थित रहे।

बैठक में उपस्थित पदेन सदस्य विनोद कुमार सिंह ने समिति की अध्यक्षता कर रहे जिला विद्यालय निरीक्षक महोदय से यह पूछ लिया कि, समिति का गठन कब कहाँ और किन लोगों के साथ बैठक बुलाकर की गई है और मीटिंग का कोरम क्यों पूरा नहीं है। इस पर डीआईओएस देवेन्द्र गुप्ता असहज होकर बैठक स्थगित करने की बात करने लगे लेकिन समिति के सदस्य अपने प्रश्न का उत्तर मांगते रहे जो अन्त तक नहीं मिला।




गठन से संबंधित आदेश मांगने पर डीआईओएस हुए आगबबूला

 हद तो तब हो गयी जब समिति के सदस्य ने शिक्षा निदेशक के जिला क्रीड़ा समिति के गठन से सम्बंधित आदेश का हवाला देते हुए समिति के गठन की प्रक्रिया पूछ लिया। इसका भी कोई उत्तर ना देकर महोदय ने उस पदेन सदस्य को ही बैठक से बाहर जाने का आदेश दे दिया।

व्यय भुगतान मे आसानी के लिये एक ही विद्यालय से सचिव कोषाध्यक्ष 

 घर मे नहीं दाने अम्मा चली भुनाने 

जिला विद्यालय निरीक्षक ने रामदहिंन सिंह इण्टर कालेज  से ही कोषाध्यक्ष और सचिव दोनो को नामित कर दिया। इस पर भी सवाल उठा कि क्या बलिया जिले में केवल एक ही विद्यालय के पदाधिकारी और वो भी कोषाध्यक्ष और सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर बनाये जाएंगे तो बड़ा ही हास्यास्पद उत्तर मिला कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि व्यय भुगतान करने में आसानी रहेगी।यह वक्तव्य देते समय श्री गुप्ता यह नहीं ध्यान दिये कि कोष मे तो पैसा ही नहीं है, भुगतान किससे करेंगे। यह तो वही बात हुई कि घर मे नहीं है दाने, अम्मा चली भुनाने।

 जनपद के नौनिहालों के स्कूली खेलों को संचालित करने वाली क्रीड़ा समिति के गठन में शासनादेशों की अनदेखी के आरोप पर नाराज डीआईओएस ने बैठक को कोरम के अभाव में स्थगित करने की बात कही, यह हालत तब हैं जब लगातार तीन सत्र से जिला क्रीड़ा समिति का गठन बगैर किसी कोरम के बंद कमरे में हो रहा है। 


समिति के गठन मे जमकर हुआ है खेल 

विद्यालयी खेलों का प्रदेशीय व मंडलीय कैलेंडर जारी होने के बाद भी अब तक जनपदीय खेलों का कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं हो सका है। इस बाबत जिला विद्यालय निरीक्षक ने 25 जुलाई को अपने कार्यालय में जिला क्रीड़ा समिति की बैठक बुलाई। बैठक की शुरुआत होते ही जैसे ही डीआईओएस ने समिति के गठन की जानकारी दी। उपस्थित कुछ सदस्यों ने अपना विरोध जताते हुए क्रीड़ा समिति के गठन हेतु शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) के द्वारा निर्गत आदेश की बात रखी, जिस पर डीआईओएस अपना आप आपा खो बैठे। गौरतलब हो कि विगत दो सत्र में भी बंद कमरे में गठित हुई जनपदीय क्रीड़ा समिति ने खेलों में जम कर खेल किया है। खिलाड़ियों के भुगतान और चयन की प्रक्रिया सवालों के घेरे में रही है।

आरोप : फर्जी खिलाड़ियों को बरेली ले जाने वाले शिक्षकों को बचा रहे है डीआईओएस 

क्रीड़ा समिति की मिलीभगत से ही गत सत्र में बरेली में आयोजित प्रदेशीय वॉलीबाल प्रतियोगिता में पकड़े गए फर्जी खिलाड़ियों के विषय में भी अब तक जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। संयुक्त शिक्षा निदेशक बरेली व आजमगढ़ ने उस प्रकरण में डीआईओएस बलिया को कार्यवाही करने के लिए निर्देशित भी किया था। उच्चाधिकारियों के आदेश के एक साल बीतने के बावजूद अपने चहेते दागियों को बचाना खेलों में चल रहे बड़े खेल का एक उदाहरण मात्र है। चयन प्रक्रिया में भी खिलाड़ियों से धन उगाही के आरोप लगते आ रहे हैं, बरेली में पकड़े गए गैर जनपद के खिलाड़ी किसी और के नाम पर खेलते पकड़े गए थे और ऑन कैमरा पर्यवेक्षक के सामने खिलाड़ियों ने इस तथ्य को स्वीकार भी किया था। यही नहीं खिलाड़ियों ने सार्वजनिक रूप से उन्हें इस षड्यंय का हिस्सा बनाने वाले अध्यापकों का नाम भी उजागर किया था, इस क्रम में प्रदेश के दो संयुक्त शिक्षा निदेशकों ने कार्यवाही का निर्देश दिया था जिसे जनपद में ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।

सम्मान समारोह के लिये है पैसे, खिलाड़ियों के लिये नहीं 

बैठक में उपस्थित खेल अध्यापकों का दावा था कि सत्र 23-24, 24-25 में भी क्रीड़ा सचिव का चयन अवैधानिक था। इस वर्ष भी शासनादेशों का उल्लंघन कर मनमाना रवैया अपनाया गया है। चहेतों के सम्मान समारोह लिए क्रीड़ा समिति के पास धन है लेकिन खिलाड़ियों का भुगतान लंबित है। उच्चाधिकारियों के प्रश्रय पर जनपदीय विद्यालयी खेल व्यवस्था का माखौल उड़ाया जा रहा है। विदित हो कि कई खिलाड़ियों के विगत सत्र का टीए, डीए का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है। खिलाड़ियों जब अपने हक की मांग करते हैं तो क्रीड़ा सचिव द्वारा खाली क्रीड़ा कोष का रोना रोया जाता रहा है। बहरहाल वर्तमान हालात में देख कर कहना गलत नहीं होगा कि बच्चों के खेलों के रक्षक ही उनके अधिकारों के भक्षक बनते दिख रहे हैं। पद, कोष और अहम के इस युद्ध में जनपद के होनहार खिलाड़ियों की इस सत्र में प्रदेशीय व राष्ट्रीय मंच पर प्रतिभागिता अंधेरे में दिख रही है।