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अफसोश : खगोल शास्त्र में भारत का लहराया परचम , पर इस वैज्ञानिक के पास नही है लंदन जाकर " बेस्ट साइंटिस्ट रिसर्च अवॉर्ड " लेने के लिये पैसे




4 दिसम्बर 2018 ।।

कहते हैं कि प्रतिभा किसी भी परिस्थिति में अपना हुनर दिखा देती है लेकिन जब उस प्रतिभा की कदर नहीं मिलती है तो दुख होता है. सासाराम के रहने वाले एक वैज्ञानिक रिसर्चर ने खगोलशास्त्रीय अवलोकन में अपना स्थान बनाया जिस कारण उन्हें 30 दिसंबर को ब्रिटेन के लंदन में होने वाले ASDF बेस्ट साइंटिफिक रिसर्चर के अवार्ड के लिए नॉमिनेट किया गया है लेकिन दुख इस बात का है कि आर्थिक तंगी के कारण वो इस पुरस्कार को ग्रहण करने के लिए लंदन जाने में असमर्थ हैं.

आलोक प्रसाद श्रीवास्तव एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं लेकिन कतिपय कारणों से कुछ दिनों पूर्व इनकी नौकरी चली गई है. 59 वर्षीय स्कॉलर आज आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वो चाहते हैं कि उनको किसी प्रकार की अगर मदद मिल जाए, तो वे अवार्ड सेरोमनी में जाकर देश का नाम रोशन करें सके. उन्होंने बैंकों से भी मदद मांगी लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल सकी है.

ADSF संस्था दुनिया के 25 रिसर्चरों को विज्ञान के विभिन्न श्रेणियों में शोध पत्र जारी करने पर सम्मानित करती है. आलोक प्रसाद श्रीवास्तव का चयन 'बेस्ट साइंटिस्ट रिसर्च अवॉर्ड' के लिए चयनित किया गया है. भारत के 2 लोगों का इस पुरस्कार के लिए चयन हुआ है जिसमें एक आलोक प्रसाद श्रीवास्तव भी हैं.
आलोक प्रसाद श्रीवास्तव को विज्ञान के क्षेत्र में दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं लेकिन इस बार उन्हें विश्व स्तरीय अवार्ड के लिए चुना गया है.

खगोलशास्त्र में सोलर-डे के अलावा शुक्र पारगमन तथा कोपरनिकस के शुक्र ग्रह को लेकर किए गए विवेचना में भी इन्होंने कई शोध किया है. इन्हीं रिसर्चों के लिए आलोक प्रसाद श्रीवास्तव चुने गए हैं लेकिन आज इन्हें सहायता की जरूरत है ताकि वे विश्व मंच पर भारत का मान बढ़ा सकें.

वो कहते हैं कि अगर 50 से 60 हज़ार की भी आर्थिक मदद हो जाए तो वे लंदन में अवॉर्ड सेरेमनी में शामिल हो सकते हैं. आलोक ने अपने निजी हौसलों से अभी तक का उड़ान भरा है, लेकिन अब इन्हें मदद की दरकार हैं ताकि अपनी प्रतिभा से विश्व मंच पर बिहार ही नहीं पूरे भारत को सम्मान दिला सकें