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नॉलेज : जानिये 5 साल में 4 प्रधान मंत्रियों का कार्यकाल देखने और 3 को शपथ दिलाने वाले महामहिम राष्ट्रपति के बारे में यहां ..
नॉलेज : जानिये 5 साल में 4 प्रधान मंत्रियों का कार्यकाल देखने और 3 को शपथ दिलाने वाले महामहिम राष्ट्रपति के बारे में यहां ..

4 दिसम्बर 2018 ।।
वो भारत के इकलौते राष्ट्रपति है, जिनके पांच साल के कार्यकाल में देश में सबसे ज्यादा सियासी उठापटक हुआ. लोकसभा में सरकारें बनती और गिरती रहीं. एक दो नहीं बल्कि उन्होंने अपने कार्यकाल में चार चार प्रधानमंत्री देखे, जिसमें तीन को उन्होंने शपथ दिलाई.
वो राष्ट्रपति थे रामास्वामी वेंकटरमन, जिनकी आज जन्मतिथि है. वेंकटरमन की लंबी सियासी यात्रा रही. वो कांग्रेस के सदस्य थे. आजादी की लड़ाई में भी कूद. चेन्नई के जाने माने वकील बने. फिर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर और फिर उपराष्ट्रपति से लेकर राष्ट्रपति तक की यात्रा तय की लेकिन उनकी इमेज हमेशा बेदाग रही.
वो राष्ट्रपति थे रामास्वामी वेंकटरमन, जिनकी आज जन्मतिथि है. वेंकटरमन की लंबी सियासी यात्रा रही. वो कांग्रेस के सदस्य थे. आजादी की लड़ाई में भी कूद. चेन्नई के जाने माने वकील बने. फिर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर और फिर उपराष्ट्रपति से लेकर राष्ट्रपति तक की यात्रा तय की लेकिन उनकी इमेज हमेशा बेदाग रही.
पहली बार गठजोड़ सरकारें उन्हीं के टर्म बननी शुरू हुुईं
जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब उन्होंने 1987 में देश के आठवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. उनसे पहले जैल सिंह राष्ट्रपति थे, जिनके राजीव के साथ तल्ख संबंधों की चर्चाओं ने खासा तूल पकड़ा था. वेंकटरमन इसके उलट विवादों से परे रहने वाले शख्स थे.
उनके कार्यकाल में सियासी उठापटक खूब हुई. देश और लोकसभा इसकी गवाह बनी लेकिन क्या मजाल एक बार भी वेंकटरमन पर किसी भी तरह के विवादों के छींटे पड़े हों.
मध्यावधि चुनाव भी हुए
राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार को 1988 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद देश में पहली बार केंद्र में गठजोड़ सरकारों का दौर शुरू हुआ. वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. लेकिन 1989 में गठित उनकी सरकार महज एक साल ही चल पाई. तब वेंकटरमन ने चंद्रशेखऱ को नौवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई. लेकिन ये सरकार भी सत्ता में महज आठ महीने तक काबिज रही. तभी देश ने मध्यावधि चुनावों का मुंह देखा.
राजीव की हत्या भी हुई
उन्हीं चुनावों के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री की चेन्नई के पास पेरांबुदूर में बम धमाके से हत्या कर दी गई. 90 के मध्यावधि चुनावों में कांग्रेस को बहुमत मिला और राष्ट्रपति के रूप में वेंकटरमन ने अब चौथे प्रधानमंत्री को शपथ दिलाई.
माना जा रहा था कि वेंकटरमन को राष्ट्रपति के रूप में एक और कार्यकाल मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ, उनकी जगह शंकर दयाल शर्मा नए राष्ट्रपति बने. शंकरदयाल शर्मा को भी चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम करना पड़ा, जिसमें तीन को उन्होंने शपथ दिलाई.
सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यकाल
लेकिन ये कहना होगा कि वेंकटरमन का कार्यकाल सबसे चुनौतीपूर्ण रहा. बाद में अपने अनुभवों पर उन्होंने एक किताब भी लिखी. 1992 में राष्ट्रपति पद से अवकाश लेने के बाद वो चेन्नई में रहने लगे. वर्ष 2009 में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.
मिसाइल प्रोग्राम शुरू कराया
80 के दशक में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भरोसेमंद मंत्रियों में गिना जाता था. उनके पास वित्त मंत्रालय से लेकर रक्षा मंत्रालय तक अहम महकमे रहे. उन्हें भारतीय मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढाने वाला भी कहा जाता है.
उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम को स्पेस प्रोग्राम से मिसाइल प्रोग्राम में शिफ्ट किया, ताकि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी में अपने पैरों पर खड़ा हो सके. उन्हीं के रक्षा मंत्री रहते समेकित मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत हुई.
उनके कार्यकाल में सियासी उठापटक खूब हुई. देश और लोकसभा इसकी गवाह बनी लेकिन क्या मजाल एक बार भी वेंकटरमन पर किसी भी तरह के विवादों के छींटे पड़े हों.
मध्यावधि चुनाव भी हुए
राजीव गांधी की कांग्रेस सरकार को 1988 के चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद देश में पहली बार केंद्र में गठजोड़ सरकारों का दौर शुरू हुआ. वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने. लेकिन 1989 में गठित उनकी सरकार महज एक साल ही चल पाई. तब वेंकटरमन ने चंद्रशेखऱ को नौवें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई. लेकिन ये सरकार भी सत्ता में महज आठ महीने तक काबिज रही. तभी देश ने मध्यावधि चुनावों का मुंह देखा.
राजीव की हत्या भी हुई
उन्हीं चुनावों के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री की चेन्नई के पास पेरांबुदूर में बम धमाके से हत्या कर दी गई. 90 के मध्यावधि चुनावों में कांग्रेस को बहुमत मिला और राष्ट्रपति के रूप में वेंकटरमन ने अब चौथे प्रधानमंत्री को शपथ दिलाई.
माना जा रहा था कि वेंकटरमन को राष्ट्रपति के रूप में एक और कार्यकाल मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ, उनकी जगह शंकर दयाल शर्मा नए राष्ट्रपति बने. शंकरदयाल शर्मा को भी चार प्रधानमंत्रियों के साथ काम करना पड़ा, जिसमें तीन को उन्होंने शपथ दिलाई.
सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यकाल
लेकिन ये कहना होगा कि वेंकटरमन का कार्यकाल सबसे चुनौतीपूर्ण रहा. बाद में अपने अनुभवों पर उन्होंने एक किताब भी लिखी. 1992 में राष्ट्रपति पद से अवकाश लेने के बाद वो चेन्नई में रहने लगे. वर्ष 2009 में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.
मिसाइल प्रोग्राम शुरू कराया
80 के दशक में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भरोसेमंद मंत्रियों में गिना जाता था. उनके पास वित्त मंत्रालय से लेकर रक्षा मंत्रालय तक अहम महकमे रहे. उन्हें भारतीय मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढाने वाला भी कहा जाता है.
उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम को स्पेस प्रोग्राम से मिसाइल प्रोग्राम में शिफ्ट किया, ताकि भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी में अपने पैरों पर खड़ा हो सके. उन्हीं के रक्षा मंत्री रहते समेकित मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत हुई.
नॉलेज : जानिये 5 साल में 4 प्रधान मंत्रियों का कार्यकाल देखने और 3 को शपथ दिलाने वाले महामहिम राष्ट्रपति के बारे में यहां ..
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
December 04, 2018
Rating: 5
