बलिया : राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन आ संगोष्ठी उज्जैन में सम्पन्न , बलिया का रहा दबदबा
राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन आ संगोष्ठी उज्जैन में सम्पन्न , बलिया का रहा दबदबा
मधुसूदन सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
बलिया 15 दिसम्बर 2018 ।।
विश्व भोजपुरी परिषद नई दिल्ली की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन आ संगोष्ठी का कार्यक्रम सन्त निवास मंगलनाथ रोड उज्जैन म0प्र0 में मनाया गया।जिसका शुभारम्भ सन्त निवास के संत आचार्य वयोबृद्ध रमेश शर्मा जी एवं मुख्य अतिथि सुग्रीव गोरखपुरी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उपकुलसचिव प्रेम चंद्र पांडेय (विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर),विशिष्ट अतिथि अरविंद पाठक तथा जिन्होंने अपनी जिंदगी ही भोजपुरी में खपा दी सहयोगी रविन्द्र शाहबादी,एस0डी0एम0 संजय जी थे।बलिया के शेरो ने भी भोजपुरी में अपनी कविता और अपनी अभिव्यक्ति सुना कर जिले की झंडा को बुलंद कर दिया जिसमे राजेन्द्र प्रसाद विद्रोही ,रामा शंकर मनहर,डॉ रघुनाथ उपाध्याय शलभ , डॉ फतेह चंद्र बेचैन,डॉ कमल कुमार सिंह,रत्नेश ओझा ने अपनी भोजपुरी कविताओं से स्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । वही पहली बार भोजपुरी के कार्यक्रम मेंडॉ दिनेश प्रसाद ने कहा कि हमारे देश के साथ ही साथ यह मॉरिशस में भी बोली जाती है।इसमें इतनी मिठास है कि लोग एक दूसरे से जुड़े हुए महसूस करते है।यह हमारे लिए गौरव की बात है। साथ ही साथ डॉ सुनील कुमार ओझा ने भी भोजपुरी में अश्लीलता पर टिप्पड़ी करते हुए कहा कि आज के समय में जहाँ एक तरफ हम भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में डालने की बात करते है ,साहित्यकार और कवि कही संस्कृति को बचाने के बारे में बात करते है और हमारे गायक पूरे गीत को ही समाज मे सुनने लायक नही रहने दे रहे है।इसका विरोध होना चाहिए।तब हमारे भोजपुरी का विकास ही नही होगा , अन्य लोगो मे भी विश्वास को हासिल करने में कामयाब हो जाएगी । इसके साथ ही साथ अपनी एक भोजपुरी मुक्तक में कहा कि-
महज गुमराह कईल,
ताना मार के तबाह कईल।
ई इंसानियत ना ह,
कौनो उपलब्धि या खासियत ना ह।
लेकिन हमरा पता बा,
कि उनकर आस त हई ,तलाश ना हई।
पर हमरा दुःख बा कि,
हम उनकर विश्वास ना हई।।
इस भोजपुरी कविता पर काफी वाह वाही मिली।डॉ सुनील ने पहलीबार भोजपुरी सम्मेलनमें सारी बात भोजपुरी में ही बोली । इस पर कार्यक्रम के संयोजक, अध्यक्ष के द्वारा सम्मानित किया गया।इस कार्यक्रम में भीम प्रजापति देवरिया,निर्दोष प्रेमी शिकोहाबाद,डॉ कमल मिश्र भोपाल,मनोज प्रसाद,डली देवी,अरविंद पाठक नागदा,जितेंद्र कुमार,,विश्वनाथ शर्मा, डॉ कमल सिंह, के साथ ही साथ कवित्रियों में शुषमा सिंह,पदमा सिंह कानपुर तथा प्रियंका कुमारी छपरा ने भी भोजपुरी में अपनी बात रखी।इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ जनार्दन सिंह देवरिया ने कहा कि भोजपुरी मेरे रग रग में है।संचालन का कार्य करते हुए आदित्य अंशु ने भोजपुरी के बारे में कहा कि भोजपुरी का झंडा आज महाकाल की धरती पर लहरा दिया गया और यह परचम चिर काल तक लहराता रहेगा ।उम्मीद करता हूं कि भोजपुरी का कार्यक्रम मध्यप्रदेश सरकार हर साल कराए ।
मधुसूदन सिंह की स्पेशल रिपोर्ट
बलिया 15 दिसम्बर 2018 ।।
विश्व भोजपुरी परिषद नई दिल्ली की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन आ संगोष्ठी का कार्यक्रम सन्त निवास मंगलनाथ रोड उज्जैन म0प्र0 में मनाया गया।जिसका शुभारम्भ सन्त निवास के संत आचार्य वयोबृद्ध रमेश शर्मा जी एवं मुख्य अतिथि सुग्रीव गोरखपुरी के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उपकुलसचिव प्रेम चंद्र पांडेय (विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर),विशिष्ट अतिथि अरविंद पाठक तथा जिन्होंने अपनी जिंदगी ही भोजपुरी में खपा दी सहयोगी रविन्द्र शाहबादी,एस0डी0एम0 संजय जी थे।बलिया के शेरो ने भी भोजपुरी में अपनी कविता और अपनी अभिव्यक्ति सुना कर जिले की झंडा को बुलंद कर दिया जिसमे राजेन्द्र प्रसाद विद्रोही ,रामा शंकर मनहर,डॉ रघुनाथ उपाध्याय शलभ , डॉ फतेह चंद्र बेचैन,डॉ कमल कुमार सिंह,रत्नेश ओझा ने अपनी भोजपुरी कविताओं से स्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । वही पहली बार भोजपुरी के कार्यक्रम मेंडॉ दिनेश प्रसाद ने कहा कि हमारे देश के साथ ही साथ यह मॉरिशस में भी बोली जाती है।इसमें इतनी मिठास है कि लोग एक दूसरे से जुड़े हुए महसूस करते है।यह हमारे लिए गौरव की बात है। साथ ही साथ डॉ सुनील कुमार ओझा ने भी भोजपुरी में अश्लीलता पर टिप्पड़ी करते हुए कहा कि आज के समय में जहाँ एक तरफ हम भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में डालने की बात करते है ,साहित्यकार और कवि कही संस्कृति को बचाने के बारे में बात करते है और हमारे गायक पूरे गीत को ही समाज मे सुनने लायक नही रहने दे रहे है।इसका विरोध होना चाहिए।तब हमारे भोजपुरी का विकास ही नही होगा , अन्य लोगो मे भी विश्वास को हासिल करने में कामयाब हो जाएगी । इसके साथ ही साथ अपनी एक भोजपुरी मुक्तक में कहा कि-
महज गुमराह कईल,
ताना मार के तबाह कईल।
ई इंसानियत ना ह,
कौनो उपलब्धि या खासियत ना ह।
लेकिन हमरा पता बा,
कि उनकर आस त हई ,तलाश ना हई।
पर हमरा दुःख बा कि,
हम उनकर विश्वास ना हई।।
इस भोजपुरी कविता पर काफी वाह वाही मिली।डॉ सुनील ने पहलीबार भोजपुरी सम्मेलनमें सारी बात भोजपुरी में ही बोली । इस पर कार्यक्रम के संयोजक, अध्यक्ष के द्वारा सम्मानित किया गया।इस कार्यक्रम में भीम प्रजापति देवरिया,निर्दोष प्रेमी शिकोहाबाद,डॉ कमल मिश्र भोपाल,मनोज प्रसाद,डली देवी,अरविंद पाठक नागदा,जितेंद्र कुमार,,विश्वनाथ शर्मा, डॉ कमल सिंह, के साथ ही साथ कवित्रियों में शुषमा सिंह,पदमा सिंह कानपुर तथा प्रियंका कुमारी छपरा ने भी भोजपुरी में अपनी बात रखी।इस कार्यक्रम के संयोजक डॉ जनार्दन सिंह देवरिया ने कहा कि भोजपुरी मेरे रग रग में है।संचालन का कार्य करते हुए आदित्य अंशु ने भोजपुरी के बारे में कहा कि भोजपुरी का झंडा आज महाकाल की धरती पर लहरा दिया गया और यह परचम चिर काल तक लहराता रहेगा ।उम्मीद करता हूं कि भोजपुरी का कार्यक्रम मध्यप्रदेश सरकार हर साल कराए ।