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बलिया के भारतेन्दु कला मंच पर रचनाओं की जगह चुटकिलो और भाषणों की सजी महफ़िल: ददरी मेला में नेताओ पर विश्वास की सेना ने खूब चलाये व्यंगों के तीर , क्या पीएम क्या दिल्ली के सीएम , क्या राहुल , क्या मनमोहन , क्या राजा सभी की उठाई खांट ,गंगा सफाई अभियान पर भी कसे तंज








ददरी मेला में नेताओ पर विश्वास की सेना ने खूब चलाये व्यंगों के तीर
क्या पीएम क्या दिल्ली के सीएम , क्या राहुल , क्या मनमोहन , क्या राजा सभी की उठाई खांट
गंगा सफाई अभियान पर भी कसे तंज
मधुसूदन सिंह की रिपोर्ट
  बलिया 10 दिसम्बर 2018 ।।
" एशिया के हम परिंदे , आसमां है हद हमारी ,
जानते है चांद सूरज , जिद हमारी जद हमारी,
.......हां हम है देशी हम है देशी , हर देश मे छाये है हम "



 नामक अपने प्रसिद्ध गीत से श्रोताओं को जोड़कर कुमार विश्वास ने जहां पूर्वांचल की सौंधी मिट्टी और देशीपन के गुरुर को जागृत कर परवान दी तो वही अपनी अंतिम प्रस्तुति "शोहरत न अता करना मौला , दौलत न अता करना मौला ........ होठो पे गंगा हो हाथों में तिरंगा हो " से 1857 के विद्रोह के पहले शहीद मंगल पांडेय की जन्मभूमि को नमन कर एक बार फिर बागी बलिया के बागीपन को परवान चढ़ाकर श्रोताओं से खूब वाहवाही लूटी । वही मनमोहन सिंह सरकार में हुए घोटालों पर तंज कसते हुए कहा कि अगर सोनिया जी को भोजपुरी आती तो मनमोहन सरकार में ए राजा कभी भी घोटाला नही कर पाते क्योकि बहुत पहले से ही भोजपुरी में कहा जाता है --लहरिया लूटलअ  ए राजा , इतना सुनना था कि बलिया के श्रोताओं ने खूब ताली बजायी ।



     इससे पहले ददरी मेला के भारतेन्दु कला मंच पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का शुभारंभ बलिया की पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली ने दीप प्रज्ज्वलित कर और फीता काटकर किया । नपा अध्यक्ष अजय कुमार समाजसेवी ने मुख्य अतिथि एसपी बलिया को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम से सम्मानित किया । अधिशाषी अधिकारी डीके विश्वकर्मा ने विशिष्ट अतिथि नगर मजिस्ट्रेट को स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम से सम्मानित किया । वही नपा अध्यक्ष और ईओ दोनो लोगो ने कवि सम्मेलन में पधारे डॉ कुमार विश्वास , अजात शत्रु ,रमेश मुस्कान ,मानसी द्विवेदी, दिनेश बावरा, विपिन मलीहाबादी ,हेमंत पांडेय ,पंकज श्रीवास्तव , प्रख्यात मिश्र , राजेन्द्र प्रसाद लल्लू ,हर्ष पांडेय(बलिया का युवा उभरता कवि) का मंच पर फूलमाला पहनाकर और स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया ।
डॉ कुमार विश्वास की तबियत खराब होने के कारण कवि सम्मेलन का संचालन उदयपुर राजस्थान के सुप्रसिद्ध कवि , आलोचक , हास्य और वीर रस में कविताओं की प्रस्तुति करके श्रोताओं को बांधे रखने वाले युवा कवि अजात शत्रु ने किया ।
  ददरी मेला का भारतेन्दु कला मंच पर रविवार को कभी लगता था कि कवि सम्मेलन हो रहा है , फिर लगने लगता था कि नही यहां तो लॉफ्टर चैनल का प्रोग्राम चल रहा है , तभी ऐसा लगने लगता था कि नही भाई यहां राजनैतिक भाषण चल रहा है । श्रोताओं की भीड़ और तालियों की गड़गड़ाहट यह तो साबित की कि यह कार्यक्रम बेहद ही सफल रहा लेकिन दूसरे ही पल यह महसूस होने लगा कि क्या यह वही मंच है जहाँ देश के नामी गिरामी कवियों और शायरों ने अपनी नई नई रचनाएं पढ़ी थी । मेरी नजर में अगर देखा जाय तो कवित्व के मामले में प्रस्तुतियां कुमार विश्वास को छोड़कर उस स्तर की नही थी जिस स्तर की पहले इस मंच पर प्रस्तुत हो चुकी है । लेकिन आयोजन और मनोरंजन की दृष्टि से यह बेहद ही कामयाब रहा जहां श्रोताओं ने नेताओ अधिकारियों पत्रकारों को कवियों के कटाक्ष से खूब आहत देखकर खूब तालियां बजाकर सराहना की ।
 कुमार विश्वास ने मंच पर पहुंचते ही कहा कि भाइयो आज यहां से एक कसम लेकर जाना कि नेताओ पर भरोसा करके एक दूसरे से मत लड़ना । क्योकि मैने राजनीति को नजदीक से देखकर जाना है कि ऐसा कोई नेता नही , जिसने अपनो को ठगा नही यानी नेता किसी का सगा नही । जहां भारतेन्दु कला मंच की तारीफ करते हुए बागी बलिया की बगावती तेवर को सलाम किया , बलिया के ठाकुर साहब पूर्व प्रधानमंत्री के दोस्ती के किस्से सुनाकर बलियावासियो को गर्व कराया तो धीरे से यह कहकर कि एक पीएम बलिया ने दिया और दूसरा पीएम काशी ने दिया परन्तु काशी से बलिया के बीच जो बीस साल पहले मेरे आने पर गड्ढे थे वो आज भी वही संभाल कर रखे गये है , विकास के दावे करने वालो को आइना भी दिखा दिया ।
  कवि सम्मेलन की बाकायदा शुरुआत एक मात्र अयोध्या से पधारी कवियत्री मानसी द्विवेदी की मां वंदना से हुई । उसके बाद बलिया के उदयमान युवा कवि हर्ष पांडेय ने काव्यपाठ कर श्रोताओं से खूब ताली बटोरी । विंध्यांचल से आये कवि राजेन्द्र त्रिपाठी लल्लू ने प्रेम के गीत प्रस्तुत करके वाहवाही लूटी ।
उड़ाऊंगा परिंदे शब्द के , उनको मैं पर दूंगा
सभी सूखे कुओं को लबालब आज भर दूंगा
मुहब्बत की कमाई कर रहा हूँ रातदिन प्यारे
लगाया जाएगा जितना ,उतना मुनाफा कर दूंगा ।।
  वही - आदमी आदमी नही यंत्र है
सारा जीवन ही जैसे षडयंत्र है
वक्त ने रख दिया है गले पर छुरी
ऐसे में गीत गाने का मन कैसे हो ---
दोस्ती दुश्मनी में नही फर्क है
सच को बंदी बनाये हुए तर्क है
दुनियादारी की राहें बड़ी खुरदरी
ऐसे में गीत गाने का मन कैसे हो ।।
   को प्रस्तुत करके श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी ।

इसके बाद वीर रस के नौजवान कवि प्रख्यात मिश्र ने सीमा पर शहीद हुए जवान की मां बहन बीबी के जज्बातों को अपनी कविता में उकेर कर श्रोताओं से मिले जबरदस्त समर्थन से जता दिया कि वह दिन दूर नही जब वीर रस के बड़े कवियों में प्रख्यात मिश्र का भी नाम लिखा जाएगा ।
पंकज श्रीवास्तव ने प्रेम रस की कविता के साथ व्यंग बाण भी खूब छोड़े । आज श्रोताओं को कविता से ज्यादे लतीफे वाले मुक्तक ज्यादे पसंद आ रहे थे । लगता था अब दर्शक टेस्ट मैच की जगह ट्वेंटी ट्वेंटी का मैच देखना चाह रहे थे । पंकज श्रीवास्तव ने पकौड़े और चाय की दुकान पर अपने व्यंग के तीर चलकर खूब वाहवाही बटोरी ।
खुद मैं एक सेलेब्रेटी की झलक पाता हूँ
जब से नुक्कड़ पर पकौड़े चाय का ठेला लगाता हूं ---

वही पुरुष प्रधानमंत्री से बेहतर महिला प्रधानमंत्री बताते हुए कहा -
अगर देश मे महिला प्रधानमंत्री होती तो नोटबन्दी न होती ,
तुम सवाल करते हो राफेल पर ,देश के कट्टे तक का हिसाब लेती ।।
   साथ ही सीएम योगी के ऐन्टी रोमियो पर कटाक्ष करते हुए कहा - पीएम के कथन न खाऊंगा न खाने दूंगा की तर्ज पर हमारे सीएम ने कहा - न मैने किया है , न किसी को करने दूंगा ।।
के माध्यम से खूब हंसाया ।
इनके बाद हेमंत पांडेय और विपिन की कविताओं पर श्रोताओं ने हूटिंग भी की । इसके बाद गोरखपुरी दिनेश बावरा ने मंच पर आते ही भोजपुरी के माध्यम से श्रोताओं की नब्ज को टटोलकर काव्यपाठ शुरू किया ।
बावरा ने रावण को नेता जी लोग ही क्यो जलाते है के सवाल बच्चे द्वारा पूंछे जाने वाले प्रसंग को प्रस्तुत करते हुए बच्चे को जबाब दिया बेटा , मरने वाले को उनके सगे सम्बन्धी ही तो जलाते है , से खूब ताली बटोरी । फिर करप्शन पर कटाक्ष कर स्कूल के निरीक्षण की घटना को रोचक और भोजपुरी अंदाज में सुनाकर पांडाल को तालियों की गड़गड़ाहट से भरने के लिये श्रोताओं को मजबूर कर दिया । वही अपने संस्कारो को छोड़कर पाश्चात्य संस्कारो को ग्रहण करने वालो को एक बच्चे के पैदा होते ही मुझे लिफ्ट करा दो ... गाना गाने के प्रसंग से यह संदेश दिया कि जब गर्भ मे पलने वाले अभिमन्यु ने जन्म से पहले ही चक्रव्यूह तोड़ने का प्रसंग सुनकर ही सिख लिया था तो क्या आज दिन भर फिल्मी गीत सुनने वाली मां का बच्चा एमटीवी बनकर नही पैदा होगा ।
इसके बाद मानसी द्विवेदी ने जानकी जी के अयोध्या से राम द्वारा निष्कासित किये जाने के प्रसंग को बड़े ही मार्मिक अंदाज में प्रस्तुत किया --- रावण के राज में नही , राम के राज में ही अयोध्या से निकाली गई जानकी ..
इसके बाद दो प्रेम विरह के दो गीतों को प्रस्तुत किया ।
  इनके बाद रमेश मुस्कान ने मंच संभाला । इन्होंने --- मोहब्बत सिर्फ खर्चो की बड़ी लम्बी कहानी है
कभी पिक्चर दिखानी है कभी साड़ी दिलानी है
मास्टर रोज कहता है कहां है फीस के पैसे
उसे कैसे समझाऊं , कि मुझे छोरी भी पटानी है , प्रस्तुत कर श्रोताओं से वाहवाही पायी ।
कुमार विश्वास के काव्य पाठ शुरू करने से पहले कवि सम्मेलन का खूबसूरती के साथ संचालन करने वाले अजातशत्रु ने मंच संभाला ।
केजरी धरने से उठकर बोले धरने पर बैठ जाऊंगा
मोदी जी हंसकर बोले ऊंची ऊंची फेंकूँगा
ममता जी चिल्लाकर बोली खांट खड़ी  दूंगी
राहुल जी मम्मी से बोले मम्मी पोंगो देखूंगा ।।
इस प्रस्तुति के बाद हिंदी की तारीफ में कविता प्रस्तुत करके खूब ताली बटोरी ।