गोरखपुर : छात्र संघ चुनाव के मद्देनजर विश्वविद्यालय में शिक्षकों, अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक
विश्वविद्यालय में शिक्षकों, अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक
छात्रसंघ चुनाव को देखते हुए कुलपति ने दिया निर्देश
अमित कुमार
गोरखपुर 7 सितंबर 2018 ।। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है मंगलवार को नामांकन पत्रों की बिक्री शुरू हो जाने के बाद आचार संहिता भी लागू हो गई है ऐसे में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो वी के सिंह ने सभी शिक्षकों अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वह छुट्टी ना ले।
कुलपति के निर्देश पर कुलसचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि छात्र संघ चुनाव के दौरान किसी भी शिक्षक, कर्मचारी की आवश्यकता पड़ सकती है इसे ध्यान में रखकर समस्त शिक्षकों अधिकारियों व कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि छात्र संघ चुनाव 2018 के दृष्टिगत किसी भी प्रकार का अवकाश ना लें यदि अपरिहार्य स्थिति में अवकाश पर जाना हो तो इसकी अनुमति कुलपति से लेने के बाद ही अवकाश पर जाएं। मालूम हो कि छात्र संघ चुनाव में मतदान 13 सितंबर को होना है छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के कारण कर्मचारियों के कार्य बढ़ गए हैं जिसको देखते कुलपति निर्देश रजिस्ट्रार के माध्यम से जारी किया है।
विश्वविद्यालय नियन्ता का कार्यकाल एक साल बढ़ा
गोरखपुर । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के नियन्ता व राजनीति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर गोपाल प्रसाद का कार्यकाल कार्य परिषद के अनुमोदन के प्रत्याशा में आगामी 1 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है पिछले 1 वर्षों से नियन्ता के पद पर कार्य कर रहे हैं। कुलसचिव ने कुलपति के आदेश पर जारी आदेश में कहा है कि कार्य परिषद के अनुमोदन के प्रत्याशा में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की परिनियमावली, परनियम की धारा के अंतर्गत प्रोफेसर गोपाल प्रसाद के विश्वविद्यालय नियन्ता का कार्यकाल पूरा देश के क्रम में 1 वर्ष के लिए विस्तारित किया जाता है।
विधि छात्रों का लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा विरोध प्रदर्शन
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विधि विभाग के तृतीय वर्ष छठे सेमेस्टर के विद्यार्थियों का लगातार दूसरे दिन भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रहा। 1 दिन पहले विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लिंगदोह का हवाला देते हुए विधि छठे सेमेस्टर एवं बीजे विभाग के विद्यार्थियों का संयुक्त रुप से लगभग 300 छात्र-छात्राओं को वोट देने व चुनाव लड़ने से रोक दिया गया जिस के विरोध में विधि विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के मुख्य गेट के अंदर शांतिपूर्ण ढंग से धरने पर बैठ गए लेकिन जब मौके पर कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचा तो कतारबद्ध होकर विधि विद्यार्थी कुलपति कार्यालय में जाकर धरने पर बैठ गए और अपनी मांगों को ज्ञापन के माध्यम से कुलपति की अनुपस्थिति में प्रति कुलपति प्रोफेसर एसके दीक्षित एवं मुख्य नियंता प्रो.गोपाल प्रसाद को सौंपा। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती के कारण विधि विभाग के विद्यार्थियों का सत्र 6 माह विलंब चल रहा जिसके कारण ही हम न्यायिक सेवा की भर्तियों(PCS.J) के लिए आवेदन नहीं कर पाए।हम रेगुलर क्लास भी करते है अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवाते हैं बावजूद इसके हमें हमारे वोट देने के संवैधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है जो सरासर हमारे साथ नाइंसाफी है। इस संबंध में विधि छात्र प्रणव द्विवेदी के द्वारा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका भी दाखिल की गई है। छात्रों का यह भी कहना है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कुलपति को विश्वविद्यालय के संबंध में विशेषाधिकार प्राप्त है और वह स्वयं में ही एक स्वायत्त संस्था है इसलिए वह हमें चुनाव लड़ने व वोट देने का अधिकार प्रदान कर सकते हैं।
छात्रसंघ चुनाव को देखते हुए कुलपति ने दिया निर्देश
अमित कुमार
गोरखपुर 7 सितंबर 2018 ।। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया शुरू हो चुकी है मंगलवार को नामांकन पत्रों की बिक्री शुरू हो जाने के बाद आचार संहिता भी लागू हो गई है ऐसे में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो वी के सिंह ने सभी शिक्षकों अधिकारियों व कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वह छुट्टी ना ले।
कुलपति के निर्देश पर कुलसचिव द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि छात्र संघ चुनाव के दौरान किसी भी शिक्षक, कर्मचारी की आवश्यकता पड़ सकती है इसे ध्यान में रखकर समस्त शिक्षकों अधिकारियों व कर्मचारियों को सूचित किया जाता है कि छात्र संघ चुनाव 2018 के दृष्टिगत किसी भी प्रकार का अवकाश ना लें यदि अपरिहार्य स्थिति में अवकाश पर जाना हो तो इसकी अनुमति कुलपति से लेने के बाद ही अवकाश पर जाएं। मालूम हो कि छात्र संघ चुनाव में मतदान 13 सितंबर को होना है छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के कारण कर्मचारियों के कार्य बढ़ गए हैं जिसको देखते कुलपति निर्देश रजिस्ट्रार के माध्यम से जारी किया है।
विश्वविद्यालय नियन्ता का कार्यकाल एक साल बढ़ा
गोरखपुर । दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के नियन्ता व राजनीति शास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर गोपाल प्रसाद का कार्यकाल कार्य परिषद के अनुमोदन के प्रत्याशा में आगामी 1 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है पिछले 1 वर्षों से नियन्ता के पद पर कार्य कर रहे हैं। कुलसचिव ने कुलपति के आदेश पर जारी आदेश में कहा है कि कार्य परिषद के अनुमोदन के प्रत्याशा में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की परिनियमावली, परनियम की धारा के अंतर्गत प्रोफेसर गोपाल प्रसाद के विश्वविद्यालय नियन्ता का कार्यकाल पूरा देश के क्रम में 1 वर्ष के लिए विस्तारित किया जाता है।
विधि छात्रों का लगातार दूसरे दिन भी जारी रहा विरोध प्रदर्शन
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के विधि विभाग के तृतीय वर्ष छठे सेमेस्टर के विद्यार्थियों का लगातार दूसरे दिन भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रहा। 1 दिन पहले विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा लिंगदोह का हवाला देते हुए विधि छठे सेमेस्टर एवं बीजे विभाग के विद्यार्थियों का संयुक्त रुप से लगभग 300 छात्र-छात्राओं को वोट देने व चुनाव लड़ने से रोक दिया गया जिस के विरोध में विधि विभाग के छात्र-छात्राओं द्वारा बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के मुख्य गेट के अंदर शांतिपूर्ण ढंग से धरने पर बैठ गए लेकिन जब मौके पर कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं पहुंचा तो कतारबद्ध होकर विधि विद्यार्थी कुलपति कार्यालय में जाकर धरने पर बैठ गए और अपनी मांगों को ज्ञापन के माध्यम से कुलपति की अनुपस्थिति में प्रति कुलपति प्रोफेसर एसके दीक्षित एवं मुख्य नियंता प्रो.गोपाल प्रसाद को सौंपा। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती के कारण विधि विभाग के विद्यार्थियों का सत्र 6 माह विलंब चल रहा जिसके कारण ही हम न्यायिक सेवा की भर्तियों(PCS.J) के लिए आवेदन नहीं कर पाए।हम रेगुलर क्लास भी करते है अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवाते हैं बावजूद इसके हमें हमारे वोट देने के संवैधानिक अधिकार से वंचित किया जा रहा है जो सरासर हमारे साथ नाइंसाफी है। इस संबंध में विधि छात्र प्रणव द्विवेदी के द्वारा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका भी दाखिल की गई है। छात्रों का यह भी कहना है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार कुलपति को विश्वविद्यालय के संबंध में विशेषाधिकार प्राप्त है और वह स्वयं में ही एक स्वायत्त संस्था है इसलिए वह हमें चुनाव लड़ने व वोट देने का अधिकार प्रदान कर सकते हैं।