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दूबेछपरा बलिया : शिक्षा के व्यवसायीकरण ने भारत में शिक्षा को पहुंचाया है नुकसान : डॉ सुनील ओझा

शिक्षक शिष्य का सर्वांगीण विकास करता है
 दुबेछपरा बलिया 5 सितम्बर 2018 ।।
       
       आज शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर" राष्ट्रीय प्रतिभा संस्थान हल्दी, बलिया द्वारा अपने संस्थान में 17 वां शिक्षक दिवस समारोह धूम- धाम से मनाया गया एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का सुभारम्भ किया समारोह के मुख्य अतिथि अमर नाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा , बलिया के प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक रहे , जब कि विशिष्ट अतिथि  असिस्टेण्ट प्रोफेसर श्री संजय कुमार मिश्र थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा० सुनील कुमार ओझा(असिस्टेंट प्रोफेसर-भूगोल) ने किया।सभी अतिथियों को संस्थान द्वारा अंगबस्त्र से सम्मानित किया गया।
      बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा० गणेश कुमार पाठक  ने कहा कि गुरू ब्रह्मा के समान शिष्य का समग्र सृजन करता है, विष्णु के समान शिक्षा का पोषण करता है एवं शिव के समान अज्ञानता का नाश करता है। इस लिए गुरू साक्षात परम ब्रह्म है। ऐसे गुरूओं के चरणों में मैं शत - शत नमन करता हूं।
     डा० पाठक ने बताया कि गुरू वह होता है जो अपने ज्ञान के प्रकाश से शिष्य के जीवन से अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर भगाता है।एक गुरू जब शिक्षक के रूप में शिष्य के जीवन निर्माण हेतु तराशता है तो वह तीन तरह से कार्य करता है-
1. शि- शिक्षा के क्षेत्र में शिष्य को शिखर तक ले जाता है।
2. क्ष- क्षमा की भावना रखते हुए अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर करता है।
3. क- कमजोरियों को दूर कर शिष्य सर्व समर्थवान बनाता है।
  डा० पाठक ने बताया कि एक सच्चा शिक्षक अपने शिष्य का सर्वांगीण विकास करता है। शिक्षक अपने शिष्य के मन को गढ़ता है, सफल जीवन जीने की शिक्षा प्रदान करता है एवं अपने शिष्य को सद्गुणों से युक्त एक सुयोग्य इंसान बनाता है। डा० सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार " शिक्षक द्वारा प्रदत्त शिक्षण एक ऐसा पेशा हे जो सभी प्रकार के पेशों का सृजन करता है। " उनका कहना है कि" शिक्षक देश का मन है".एक सच्चा शिक्षक वह होता है जो अपनी सम्पूर्ण क्षमता से अपने शिष्य को अच्छे गुणों एवं ज्ञान की शिक्षा प्रदान कर उसे अपने जीवन पथ पर चलने हेतु पूर्ण सक्षम बना देता है।
    डा० पाठक ने बताया कि एक गुरू को सबसे अधिक खुशी तब होती है जब उसका शिष्य गुण एवं ज्ञान में गुरू से भी आगे निकल जाता है।
    विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए असिस्टेण्ट प्रोफेसर  संजय कुमार मिश्र ने कहा



कि एक सच्चा गुरू अपने शिष्य के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर नहीं देता है,बल्कि अपनी शिक्षा से वह शिष्य को इस काबिल बना देता है कि शिष्य प्रश्न का उत्तर स्वयं देने में सक्षम हो जाए। एक शिक्षक अपने शिष्य को प्रेरित कर ऐसा स्वरूप प्रदान करता है कि उसका शिष्य एक सच्चा , सत्यनिष्ठ,  सद्गुणी , सत्कर्मी, सहयोगी, सहनशील, शालीन, साहसी, सदाशयी आदि गुणों से युक्त एक सच्चा एवं सुयोग्य इंसान बन सके।
     कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डा० सुनील कुमार ओक्षा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में गुरू - शिष्य परम्परा के ऐतिहासिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक समय था जब भारत विश्व गुरू कहा जाता था। किन्तु जैसे जैसे शिक्षा का व्यवसायीकरण होता गया शिक्षा, शिक्षक एवं शिक्षार्थी का स्वरूप बिगड़ता गया और आज जो स्थिति है वह किसी से छिपा नहीं है । इसके लिए न केवल सरकार दोषी है , बल्कि शिक्षा व्यवस्था, शिक्षक , शिक्षार्थी एवं अभिभावक समान रूप से दोषी हैं । यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति भयावह होती जायेगी।शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर शिव शंकर  ठाकुर,राकेश कुमार ओझा,राम यादव,एवं हिमांशु उपाध्याय ने भी अपनी बातों को बच्चो में रखा।
  कार्यक्रम के अंत में संस्था के निदेशक डा० (मानद) दिनेश ठाकुर ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया।