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लखनऊ : यूपी में प्राइवेट स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाने वाला विधेयक हुआ पास

यूपी में प्राइवेट स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाने वाला विधेयक हुआ पास, ये हैं खास बातें

अमित कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ 30 अगस्त 2018 ।।
उत्तर प्रदेश में प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस पर अंकुश लगाने के लिए योगी सरकार ने उप्र स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक 2018 गुरुवार को विधानसभा में पेश किया. सदन से पारित कर दिया गया है. अब विधानपरिषद में पारित होने के लिए विधेयक भेजा जाएगा. माना जा रहा है कि इस विधेयक के लागू होने से सबसे ज्यादा फायदा अभिभावकों को होगा. जो हर साल होने वाली फीस में बेतहाशा वृद्धि से परेशान दिखते हैं.उप्र स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क का विनियमन) विधेयक में फीस वृद्धि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को आधार बनाना जरूरी किया गया है. यही नहीं स्कूल कैंपस के कॉमर्शियल इस्तेमाल को भी स्कूल की आमदनी माना गया है. इसके अलावा ड्राफ्ट में अभिभावकों की शिकायतों के लिए जोनल शुल्क विनियामक समिति के गठन का भी प्रस्ताव है.पिछले साल विधेयक का ड्राफ्ट सीएम के सामने पेश किया गया. जिस पर सीएम ने कहा कि हमारी कोशिश है कि ऐसा प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिसमें छात्रों के हितों की रक्षा हो साथ ही स्कूलों को भी कुछ भी गलत न लगे. इस ड्राफ्ट को लेकर व्यापक स्तर पर रायशुमारी की जाए, ताकि विधेयक को ज्यादा से ज्यादा व्यवहारिक बनाया जा सके.
खास बातें --

- प्रस्तावित विधेयक विभिन्न बोर्ड के उन प्राइवेट स्कूलों के लिए है, जो छात्रों से 20 हजार से अधिक वार्षिक शुल्क लेते हैं ।
- निजी स्कूलों में हर साल फीस वृद्धि का आधार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक होगा.
- स्कूल कक्षावार छात्रों की संख्या के आधार पर ताजा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में फीस का 5 प्रतिशत जोड़ते हुए शुल्क वृद्धि कर सकेगा.
- शिक्षकों, कर्मचारियों की मासिक वेतन में हुई वृद्धि के औसत से अधिक फीस वृद्धि नहीं होगी.
- स्कूल कैंपस में व्यावसायिक गतिविधियों से कमाई स्कूल की आमदनी मानी जाएगी.
- फीस में बढ़ोतरी आय और व्यय के समानुपाती होगी.
- छात्रों से एडमीशन फीस सिर्फ कक्षा 1 में दाखिला लेने पर ही लिया जाएगा. इसके बाद कक्षा 9 और 11 में ही छात्रों से एडमीशन फीस लिया जा सकेगा.
- कैपिटेशन फीस नहीं ली जाएगी.
- फीस का अधिकतम 15 प्रतिशत स्कूल के विकास कार्यो पर खर्च किया जा सकता है.
- स्कूलों को आगामी सत्र की फीस 31 दिसंबर तक अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करनी होगी.
- छात्र, अभिभावक या अभिभावक संघ की शिकायतों के लिए कमिश्नर की अध्यक्षता में जोनल शुल्क विनियामक समिति का गठन किया जाएगा.
- इस समिति के फैसले से असहमति होने पर पक्षकार राज्य स्ववित्तपोषित विद्यालय प्राधिकरण में अपील कर सकेंगे ।