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सूत्रों के हवाले से खबर : एससी/एसटी एक्ट के पुराने प्राविधानों को ही कैबिनेट ने दी मंजूरी
सूत्रों के हवाले से खबर : एससी/एसटी एक्ट के पुराने प्राविधानों को ही कैबिनेट ने दी मंजूरी

नईदिल्ली 1 अगस्त 2018 ।।
दलित अत्याचार कानून के मूल प्रावधानों को बहाल करने से जुड़े बिल को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न निरोधक) कानून के पुराने प्रावधान लागू करने से जुड़े बिल को जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने फैसले में अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न निरोधक कानून (SC/ST एक्ट) के तहत आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. इसे लेकर देश भर के तमाम दलित संगठनों और नेताओं में नाराज़गी थी और उन्होंने 9 अगस्त को इसके खिलाफ 'भारत बंद' का आह्वान किया था ।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को अपने फैसले में अनुसूचित जाति-जनजाति उत्पीड़न निरोधक कानून (SC/ST एक्ट) के तहत आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. इसे लेकर देश भर के तमाम दलित संगठनों और नेताओं में नाराज़गी थी और उन्होंने 9 अगस्त को इसके खिलाफ 'भारत बंद' का आह्वान किया था ।
रामविलास पासवान सहित एनडीए सरकार के विभिन्न घटक दल के नेताओं ने भी इसे लेकर सरकार के रुख पर नाराज़गी जताई थी और कोई कदम न उठाए जाने पर 9 अगस्त के इस बंद में शामिल होने की चेतावनी दी थी. हालांकि उससे पहले ही कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दे दी और संसद से इसके पारित होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वत: पलट जाएगा.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर अपने 20 मार्च के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि संसद भी बिना उचित प्रक्रिया के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अनुमति नहीं दे सकती. कोर्ट ने कहा कि उसने शिकायतों की पहले जांच का आदेश देकर निर्दोष लोगों के प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों की रक्षा की है. केंद्र ने फैसले का यह कहते हुए विरोध किया था कि अदालतें संसद द्वारा बनाए गए कानून के किसी प्रावधान को हटाने या बदलने का आदेश नहीं दे सकती है.
पीठ ने इस ममले में कहा था कि, ‘‘20 मार्च के फैसले में हमने इस अदालत के पूर्व के फैसलों पर विचार किया है, जो कहती है कि आर्टिकल 21 की रक्षा की जानी चाहिए. बिना जांच के एकतरफा बयान के आधार पर हम कैसे किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की अनुमति दे सकते हैं.’’।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट पर अपने 20 मार्च के फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि संसद भी बिना उचित प्रक्रिया के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अनुमति नहीं दे सकती. कोर्ट ने कहा कि उसने शिकायतों की पहले जांच का आदेश देकर निर्दोष लोगों के प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों की रक्षा की है. केंद्र ने फैसले का यह कहते हुए विरोध किया था कि अदालतें संसद द्वारा बनाए गए कानून के किसी प्रावधान को हटाने या बदलने का आदेश नहीं दे सकती है.
पीठ ने इस ममले में कहा था कि, ‘‘20 मार्च के फैसले में हमने इस अदालत के पूर्व के फैसलों पर विचार किया है, जो कहती है कि आर्टिकल 21 की रक्षा की जानी चाहिए. बिना जांच के एकतरफा बयान के आधार पर हम कैसे किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी की अनुमति दे सकते हैं.’’।
सूत्रों के हवाले से खबर : एससी/एसटी एक्ट के पुराने प्राविधानों को ही कैबिनेट ने दी मंजूरी
Reviewed by बलिया एक्सप्रेस
on
August 01, 2018
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